Fact Check: मध्‍य प्रदेश के मुरैना में छोटे भाई का शव गोद में लिए बैठे मासूम का मामला एक साल पुराना है, हाल का नहीं

मध्‍य प्रदेश के मुरैना में छोटे भाई का शव गोद में लिए बैठे मासूम का यह मामला पिछले साल जुलाई का है। इसका हाल-फिलहाल से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। मध्‍य प्रदेश के मुरैना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में एक मासूम अपने छोटे भाई का शव गोद में लिए जमीन पर बैठा है। इसको शेयर कर यूजर्स दावा कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश के मुरैना के अस्पताल में 1500 रुपए नहीं चुका पाने पर एक दलित को बेटे का शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। इसके बाद आठ साल का मासूम अपने भाई का शव गोद में लेकर बैठा रहा। इस घटना से लोगों में आक्रोश है। यूजर्स जिस तरह से इस वीडियो को शेयर कर रहे हैं, उससे यह घटना हाल की लग रही है।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी जांच में पाया कि मध्‍य प्रदेश के मुरैना की यह मार्मिक घटना पिछले साल की है। मामला संज्ञान में आने के बाद कलेक्‍टर ने इस मामले में अस्‍पताल प्रबंधन और डॉक्‍टरों की लापरवाही मानी थी और पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद भी दी थी।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट

फेसबुक यूजर ‘हाजी इरशाद अहमद हसन‘ (आर्काइव लिंक) ने 25 जुलाई को वीडियो पोस्‍ट करते हुए लिखा है,

मध्य प्रदेश से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई हैं घटना मध्य प्रदेश के मुरैना अस्पताल की है 1500 रूपए ना चुका पाने पर एक दलित को बेटे की लाश ले जाने के लिए नही मिली एम्बुलेंस एनीमिया से पीड़ित अपने भाई की लाश को अपने गोद में ले कर गांटो बैठा रहा 8 साल का बच्चा सरकार की लापरवाही से लोगों में आक्रोश ।

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया। 11 जुलाई 2022 को नईदुनिया की वेबसाइट पर इस बारे में खबर छपी है। खबर में बच्‍चे की तस्‍वीर को भी देखा जा सकता है। इसमें लिखा है, “अंबाह के बड़फरा गांव के रहने वाले शख्स अपने दो साल के बेटे राजा की तबियत बिगड़ने पर उसे अंबाह अस्पताल से मुरैना जिला अस्पताल लेकर आए। यहां इलाज के दौरान राजा की मौत हो गई। उनका आठ साल का बेटा भी उनके साथ था। शव घर ले जाने के लिए जिला अस्पताल में खड़ी एंबुलेंस के संचालकों ने उनसे एक से डेढ़ हजार रुपये किराया मांगा। इस कारण वह कोई अन्‍य वाहन तलाशने के लिए बाहर चले गए। इस दौरान बड़ा बेटा राजा के शव को लेकर नेहरू पार्क के सामने सड़क पर बैठा रहा। सूचना मिलने पर कोतवाली थाने की टीम वहां आई और एंबुलेंस की व्‍यवस्‍था कराई। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर बी कार्तिकेयन ने अगले दिन जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. विनोद गुप्ता को फटकार लगाई। कलेक्टर ने इस मामले में जिला अस्पताल प्रबंधन व ड्यूटी डॉक्टर की लापरवाही बताई है। सीएमओ डॉ. राकेश शर्मा को रेडक्रास सोसायटी के मद से 10 हजार रुपये की मदद पीड़ित परिवार को देने का भी आदेश दिया गया। सीएमओ ने आदेश मिलने के बाद परिवार को 10 हजार रुपये की मदद दी। वहीं, एनएसयूआई के अध्‍यक्ष नीरज कुंदन ने मासूम की 12वीं तक की पढ़ाई का खर्चा उठाने की आश्‍वासन दिया है।”

दैनिक भास्‍कर की वेबसाइट पर भी एक साल पहले इस बारे में खबर छपी है। इसमें वायरल वीडियो को देखा जा सकता है। इसमें दिया गया है कि मुरैना में आठ साल का मासूम अपने दो साल के भाई का शव गोद में लिया बैठा रहा। उनका पिता शव को गांव ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए भटकता रहा। काफी देर बाद पुलिस शव और उसके भाई को अपनी गाड़ी से अस्पताल ले गई। जहां से उनको एंबुलेंस से गांव भिजवाया गया।

इस बारे में अधिक पुष्टि के लिए हमने इस खबर को कवर करने वाले मुरैना में नईदुनिया के रिपोर्टर हरिओम गौड से बात की। उन्‍होंने कहा, “यह पिछले साल का मामला है। इस मामले में पीड़ित दलित परिवार को 10 हजार रुपये की मदद दी गई थी।

पुरानी घटना के वीडियो को हाल का समझकर शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को स्‍कैन किया।वह एक विचारधारा से प्रभावित है।

निष्कर्ष: मध्‍य प्रदेश के मुरैना में छोटे भाई का शव गोद में लिए बैठे मासूम का यह मामला पिछले साल जुलाई का है। इसका हाल-फिलहाल से कोई संबंध नहीं है।

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