Fact Check: केरल में ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा में हुए विस्फोट, यहूदियों की नहीं

केरल में कन्वेंशन सेंटर में ईसाई समुदाय के संप्रदाय 'यहोवा के साक्षी' का कार्यक्रम चल रहा था, यहूदियों का नहीं। इससे पता चलता है कि यहूदियों को निशाना बनाए जाने का दावा गलत है। इस मामले में एक व्यक्ति ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है, जो खुद के उसी संप्रदाय के होने का दावा कर रहा है। हालांकि, अभी इसकी जांच चल रही है।

Fact Check: केरल में ईसाई समुदाय की प्रार्थना सभा में हुए विस्फोट, यहूदियों की नहीं

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। केरल के एर्नाकुलम जिले के कलामासेरी इलाके में 29 अक्टूबर को हुए बम धमाकों में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दो वीडियो का कोलाज शेयर कर दावा किया जा रहा है कि 28 अक्टूबर को केरल के एक कार्यक्रम में आतंकी संगठन हमास के नेता खालिद मशाल ने लोगों को ऑनलाइन संबोधित किया। इसके बाद अगले दिन केरल के कलामासेरी में यहूदियों को निशाना बनाते हुए बम धमाके किए गए। इस पोस्ट के जरिए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स एक समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि केरल में ईसाई समुदाय के संप्रदाय ‘यहोवा के साक्षी’ के सम्मेलन में धमाके हुए हैं, यहूदियों के कार्य​क्रम में नहीं। इस हमले की जिम्मेदारी एक व्यक्ति ने ली है, जो उसी संप्रदाय का होने का दावा कर रहा है। हालांकि, अभी मामले की जांच चल रही है।

क्या है वायरल पोस्ट

ब्लू टिक एक्स यूजर ‘हम लोग We The People‘ (आर्काइव लिंक) ने वीडियो का कोलाज पोस्ट करते हुए लिखा,

“क्रोनोलॉजी देखिए

कल हमास के आतंकवादी खालिद मशाल ने केरल के एक कार्यक्रम में कतर से ऑनलाइन बोलते हुए जिहाद के लिए तैयार होने और भारत की सड़कों पर उतरने के लिए कहा …
आज 4 बम विस्फोटों ने #केरल को दहला दिया, जहां कालामस्सेरी में यहूदी रहते हैं!
यह एक समन्वित आतंकवादी हमला है.. आज यहूदियों पर.. कल दूसरों पर!

जागो भारत”

https://twitter.com/ajaychauhan41/status/1718524010714243308

फेसबुक यूजर ‘सपन सिंह‘ (आर्काइव लिंक) ने भी 29 अक्टूबर को वीडियो के कोलाज को समान दावे के साथ पोस्ट किया।

पड़ताल

केरल में धमाकों को लेकर वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया। एनडीटीवी की वेबसाइट पर 29 अक्टूबर को छपी खबर में लिखा है, “केरल के कलामासेरी में एक कन्वेंशन सेंटर में सिलसिलेवार धमाकों में दो महिलाओं की मौत हो गई और 45 लोग घायल हो गए। प्रार्थना सभा शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर कम से कम तीन विस्फोटों की सूचना मिली है। यह घटना कोच्चि से लगभग 10 किलोमीटर दूर कलामासेरी के एक कन्वेंशन सेंटर में ‘यहोवा के साक्षी’ (Jehovah’s Witnesses) के सम्मेलन में हुई। धमाकों के कुछ घंटों बाद एक व्यक्ति डोमिनिक मार्टिन ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। उसने दावा किया है कि वह उसी ईसाई संप्रदाय से ताल्लुक रखता है, जिसने प्रार्थना सभा का आयोजन किया था। सम्मेलन में लगभग 2,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। वहां मौजूद लोगों ने मीडिया को बताया कि पहला धमाका प्रार्थना के बीच हुआ। अधिकारियों ने कहा कि विस्फोटक एक टिफिन बॉक्स के अंदर रखा गया था। इन धमाकों की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) करेगी।”

सीएनबीसी-टीवी18 के यूट्यूब चैनल पर इस बारे में वीडियो न्यूज देखी जा सकती है। इसमें बताया गया है, “इस मामले में डोमिनिक मार्टिन ने खुद सामने आकर इस हमले की जिम्मेदारी ली है। उसने दावा किया है कि वह उसी संप्रदाय का व्यक्ति है। उसने आरोप लगाया है कि ‘यहोवा के साक्षी’ संप्रदाय नफरत फैलाने का काम करता है। डीजीपी का कहना है कि इस मामले में जांच चल रही है।”

द इंडियन एक्सप्रेस में 30 अक्टूबर को छपी रिपोर्ट के अनुसार, “यह घटना कलामासेरी के जमरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र में हुई है। यहोवा के साक्षी ग्रुप के ही एक सदस्य डोमिनिक मार्टिन ने इन धमाकों की जिम्मेदारी ली है। उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, ‘मैं पिछले 16 साल से इस ग्रुप का सदस्य हूं। मुझे लगता है कि उनका रुख राष्ट्र-विरोधी है और मैं चाहता था कि वे इसे सुधारें, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं थे।’ ‘यहोवा के साक्षी’ एक ईसाई संप्रदाय है।”

केरल पुलिस के फेसबुक पेज पर 29 अक्टूबर को छपी पोस्ट (आर्काइव लिंक) में लिखा है, “राज्य पुलिस प्रमुख का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संदेश भेजने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। शेख दरवेश साहब ने यह चेतावनी कलामासेरी घटना के मद्देनजर दी है। पुलिस ने ऐसे संदेश फैलाने वाले अकाउंट्स का पता लगाने के लिए सोशल मीडिया पर 24 घंटे की निगरानी मजबूत कर दी है।” इसमें फेक पोस्ट करने वालों पर भी कार्रवाई की बात कही गई है।

केरल पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी इस बारे में पोस्ट (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा गया, “धार्मिक और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया आदि के माध्यम से फर्जी पोस्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

इस बारे में हमने कलामासेरी पुलिस थाने के प्रभारी विबिन दास से संपर्क किया। उनका कहना है, “धमाकों के जरिए यहूदियों को निशाना बनाए जाने का दावा गलत है। यह पोस्ट फर्जी है और इनको शेयर मत करें।

वहीं, इस बारे में राज्य पुलिस मीडिया सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर (पब्लिक रिलेशन) वी. पी. प्रमोद कुमार ने कहा, “केरल धमाकों में यहूदियों को निशाना बनाए जाने का दावा निराधार है।

29 अक्टूबर को इंडिया टुडे की वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार, “आतंकी संगठन हमास के नेता खालिद मशाल ने केरल के मल्लापुरम में आयोजित वर्चुअल रैली में कथित तौर पर हिस्सा लिया। एक वीडियो में खालिद मशाल को वर्चुअली लोगों को संबोधित करते देखा जा सकता है। इस रैली को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने केरल पुलिस पर सवाल उठाया है।”

केरल में हुए धमाकों के बारे में भ्रामक दावा करने वाले एक्स यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इस हैंडल से पहले भी फेक और भ्रामक दावे किया जा चुके हैं, जिनकी पड़ताल विश्‍वास न्‍यूज ने की थी।

निष्कर्ष: केरल में कन्वेंशन सेंटर में ईसाई समुदाय के संप्रदाय ‘यहोवा के साक्षी’ का कार्यक्रम चल रहा था, यहूदियों का नहीं। इससे पता चलता है कि यहूदियों को निशाना बनाए जाने का दावा गलत है। इस मामले में एक व्यक्ति ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है, जो खुद के उसी संप्रदाय के होने का दावा कर रहा है। हालांकि, अभी इसकी जांच चल रही है।

डिस्क्लेमर: खबर को और अधिक बेहतर बनाने के लिए इसमें केरल पुलिस के मीडिया सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर (पब्लिक रिलेशन) वी. पी. प्रमोद कुमार का वर्जन बाद में जोड़ा गया है।

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