Fact Check: कर्नाटक उच्च न्यायालय के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर गलत दावा हो रहा वायरल  

विश्वास न्यूज की जांच में कर्नाटक उच्च न्यायालय के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर दावा करने वाली पोस्ट फर्जी निकली। जांच में विश्वास न्यूज ने पाया कि कर्नाटक हाई कोर्ट की तरफ से इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है।

Fact Check: कर्नाटक उच्च न्यायालय के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर गलत दावा हो रहा वायरल  

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, कोर्ट ने मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर शिक्षण संस्थानों में जाने की इजाजत दे दी है। विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और पाया वायरल दावा गलत है। कर्नाटक हाई कोर्ट की तरफ से इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है। कोर्ट के अंतरिम आदेश के मुताबिक छात्रों को उनके भगवा शॉल (भगवा), और हिजाब स्कूल में पहनने की इजाजत नहीं है। कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई जारी है। कर्नाटक हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 14 फरवरी 2022 को होगी।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Rakib Khan ने वायरल दावे को शेयर करते हुए लिखा है कि मैं भी कहूँ अल्लाहु अकबर तुम भी कहो अल्लाहु अकबर। सब मिलकर कहें अल्लाहु अकबर..

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसके आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां देखा जा सकता है। एक अन्य यूजर ने भी इस तस्‍वीर को यूपी का समझते हुए उसे समान दावे के साथ शेयर किया है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म भी कई अन्य यूजर्स ने इस पोल को समान दावे के साथ शेयर किया है।

https://twitter.com/kurban_sameja/status/1491728893056749571

पड़ताल –

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट 11 फरवरी 2022 को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम आदेश पारित करेंगे। तब तक स्कूल-कालेज शुरू होने दें। लेकिन जब तक मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक किसी को भी धार्मिक पोशाक पहनने की इजाजत नहीं होगी। हाईकोर्ट ने कहा, ‘धार्मिक कपड़े जैसे- हिजाब या फिर भगवा शॉल फैसले के निपटारे तक स्कूल-कालेज परिसरों में नहीं पहने जाएंगे। हम सभी को रोकेंगे, क्योंकि हम राज्य में अमन-चैन चाहते हैं। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने कर्नाटक हाईकोर्ट की वेबसाइट को खंगालना शुरू किया। इस दौरान हमें कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा जारी अंतरिम आदेश की कॉपी प्राप्त हुई। अंतरिम आदेश के मुताबिक, कोर्ट के अलग आदेश तक सभी छात्रों को उनके धर्म से जुड़ी चीजें जैसे भगवा शॉल (भगवा), हिजाब, धार्मिक झंडे स्कूल में पहनने की इजाजत नहीं होगी।

अधिक जानकारी के लिए हमने कर्नाटक हाईकोर्ट के वकील अभिषेक से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। कोर्ट द्वारा ऐसा कोई ऑर्डर फिलहाल नहीं जारी किया गया है। कोर्ट की तरफ से जो अंतरिम आदेश जारी किया गया है उसके मुताबिक, जिस स्कूल या कॉलेज में संस्थान द्वारा ड्रेस कोर्ड जारी किया गया है, उसमें सभी छात्रों को उनके धर्म से जुड़ी चीजें जैसे भगवा शॉल (भगवा), हिजाब, पहनने की इजाजत नहीं होगी।

कर्नाटक में हिजाब पहनने पर विवाद उडुपी जिले के सरकारी कालेज से शुरू हुआ था। यहां मुस्लिम समुदाय की 6 छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। हिजाब पहनने वाली छात्राओं को आनलाइन क्लास का विकल्प अपनाने को कहा गया था। छात्राओ ने कालेज के फैसले को मानने से इनकार कर दिया था और हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका भी दायर की है। कर्नाटक हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई जारी है। कर्नाटक हाईकोर्ट में अलगी सुनवाई 14 फरवरी 2022 को होगी।

इस लेख के लिखे जाने तक कोर्ट द्वारा छात्रों को उनके धर्म से जुड़ी चीजें जैसे भगवा शॉल (भगवा), हिजाब, पहनने की इजाजत नहीं दी गई थी।

पड़ताल के अंत में हमने दावे को शेयर करने वाले यूजर की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है। फेसबुक पर Rakib Khan को 70 से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर फेसबुक पर फरवरी 2019 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में कर्नाटक उच्च न्यायालय के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर दावा करने वाली पोस्ट फर्जी निकली। जांच में विश्वास न्यूज ने पाया कि कर्नाटक हाई कोर्ट की तरफ से इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया गया है।

False
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