कर्नाटक के घरेलू हिंसा के करीब सात साल पुराने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहे महिला और पुरुष दोनों ही मुस्लिम हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। श्रद्धा हत्याकांड के बाद सोशल मीडिया पर लव जिहाद का रंग देकर कई पोस्ट वायरल हो रही हैं। इनमें एक वीडियो में एक शख्स छोटे बच्चे के सामने महिला को मार रहा है। उस दौरान वहां जन्मदिन मनाया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि शख्स का नाम मोहम्मद मुश्ताक जीके है और वह बेंगलुरु की आईटी कंपनी में काम करता है। वीडियो को शेयर कर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि वीडियो में दिख रहा शख्स मुस्लिम, जबकि महिला हिंदू है। वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो 2015 का है। वीडियो में दिख रहे पति-पत्नी दोनों ही मुस्लिम हैं। घरेलू हिंसा के मामले को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावा किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर Samar Mukherjee (आर्काइव लिंक) ने 18 नवंबर को 2.22 मिनट का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा,
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वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने एक कीफ्रेम निकालकर उसे गूगल लेंस के जरिए सर्च किया। इसमें हमें दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के ट्विटर अकाउंट पर वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) मिला। 3 अक्टूबर 2022 को पोस्ट किए गए इस वीडियो के साथ में लिखा है कि यह आपत्तिजनक वीडियो इंस्टाग्राम पर मिला है। इस आदमी को अपनी पत्नी को पीटते हुए देखकर मुझे बहुत गुस्सा आता है, जबकि महिला अपने बच्चे के जन्मदिन को खास बनाने की कोशिश कर रही है। मैं कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पत्र लिख रही हूं कि इस शख्स को जेल में होना चाहिए। इसमें जस्टिस फॉर आयशा का हैशटैग भी दिया हुआ है।
इसके बाद हमने कीवर्ड से इसे गूगल पर ओपन सर्च किया। इसमें हमें Sultana38 official यूट्यूब चैनल पर भी वायरल वीडियो दिखा। इसे 7 अक्टूबर 2022 को अपलोड किया गया है। इसमें महिला का नाम आयशा बताया गया है। इसमें आयशा ने खुद वीडियो कॉल के माध्यम से आपबीती बताई है। आयशा ने कहा कि उसने मुश्ताक से तलाक मांगा था, लेकिन उसने अब तक नहीं दिया है। वह दूसरी शादी भी कर चुका है। इसमें यह भी बताया गया है कि वायरल वीडियो 2015 का है।
ऑफिशियल ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर भी 1 नवंबर को अपलोड किया गया वीडियो मिला। इसमें भी वीडियो में दिख रही महिला अपनी आपबीती बताती दिख रही है। साथ में वायरल वीडियो को भी देखा जा सकता है। इसमें महिला का नाम आयशा बताया गया है। इसमें बच्चे का नाम और वर्ष 2013 दिया गया है।
28 दिसंबर 2021 को न्यूज 18 में खबर छपी है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर को एक मुस्लिम परिवार के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जीके मोहम्मद मुश्ताक ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि उनके 8 साल के बेटे की पूरी कस्टडी उसे दी जाए। उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका खारिज कर दी। बच्चे की कस्टडी मुस्लिम पत्नी के पास ही रहेगी। मुश्ताक बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर पेशेवर है। उसने 30 मार्च 2009 को आयशा बानो से शादी की थी। 1 अगस्त 2013 को उनको एक बेटा हुआ था। बाद में मतभेदों के कारण उन्होंने अलग होने का फैसला किया।
इंडियन कानून डॉट ओआरजी वेबसाइट पर इस फैसले की कॉपी को भी देखा जा सकता है। इसमें लिखा है कि दोनों सुन्नी मुस्लिम हैं।
इस बारे में कर्नाटक एशियानेट की पत्रकार निरुपमा का कहना है, ‘पुलिस ने भी इस वीडिया को पुराना बताया है। इसमें दोनों ही मुस्लिम हैं। कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।‘
फेसबुक पर वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ‘समर मुखर्जी‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह इंदौर में रहते हैं।
निष्कर्ष: कर्नाटक के घरेलू हिंसा के करीब सात साल पुराने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहे महिला और पुरुष दोनों ही मुस्लिम हैं।
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