Fact Check: आदिवासी लड़की निर्मला को नहीं बनाया जा रहा दो दिन का कलेक्टर, भ्रामक दावा वायरल

वीडियो में दिख छात्रा का नाम निर्मला चौहान है। उनको दो दिन का कलेक्टर बनाए जाने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है। भ्रामक पोस्ट वायरल हो रही है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर 28 सेकंड का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें छात्राएं प्रदर्शन करती दिख रही हैं। बैरिकेट के पास खड़ी एक छात्रा कह रही है, नहीं तो सर हमको कलेक्टर बना दो…हम बनने के लिए तैयार हैं। सबकी मांगें पूरी कर देंगे सर। आप कर नहीं पाते तो…किसके लिए बनी है सरकार। जैसे कि हम भीख मांगने के लिए यहां आए हैं…हमारे गरीब के लिए तो कुछ व्यवस्था करो सर। हम इतनी दूर से आते हैं आदिवासी लोग…पैसे कितने किराया देकर आते हैं। वीडियो में कुछ लोग एनएसयूआई का झंडा भी लिए हुए हैं। इसके साथ में दावा किया जा रहा है कि आदिवासी लड़की निर्मला को दो दिन के लिए कलेक्टर बनाया जाएगा।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा झूठा निकला। प्रदर्शन के दौरान खुद को कलेक्टर बना देने की बात कहने वाली लड़की का नाम निर्मला है। उसको दो दिन के लिए कलेक्टर बनाने का कोई आदेश नहीं दिया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर Rakesh Solanki ने 23 दिसंबर को वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा है, हम सबसे पहले और अंत में भी भारतीय है- डॉ.भीमराव. दो दिन की कलेक्टर बनेगी आदिवासी निर्मला बहन

फेसबुक पर अन्य यूजर्स ने भी वीडियो को पोस्ट करते हुए इस तरह का दावा किया।

ट्विटर पर भी कुछ यूजर्स ने इस तरह का दावा किया।

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज टूल से सर्च किया। इसमें hindi.asianetnews में 23 दिसंबर को छपी खबर का लिंक मिला। खबर में हमें वायरल वीडियो भी मिल गया। इसके मुताबिक, मामला मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले का है। एनएसयूआई की अगुआई में पीजी कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपनी समस्याएं लेकर कलेक्टर के ऑफिस गए थे। वहां कलेक्टर सोमेश मिश्रा ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे, जिसके बाद स्टूडेंट्स ने हंगामा कर दिया। निर्मला आदिवासी किसान परिवार की हैं। वे 7 भाई-बहन हैं।

इसे और सर्च करने पर हमें नईदुनिया में 24 दिसंबर को छपी खबर मिली। इसके मुताबिक, शुक्रवार को प्रशासन की तरफ से एनएसयूआई के सदस्यों को चर्चा के लिए बुलाया गया था। कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों को इन समस्याओं को देर करने को कहा।

इसकी और पड़ताल करने पर हमें फेसबुक पेज Jhabua Live पर निर्मला का इंटरव्यू मिला। उनके पास मोबाइल नहीं है। राजपुर जिले के एक गांव से वह आती हैं। वे सात भाई—बहन हैं। उन्होंने एनएसयूआई के साथ प्रदर्शन किया था। धूप में काफी देर खड़े होने पर भी जब सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने खुद को कलेक्टर बनाने की बात कही थी।

हमें निर्मला चौहान को दो दिन के लिए कलेक्टर बनाए जाने के आदेश से संबंधित कोई समाचार नहीं मिला। इस बारे में हमने Jhabua Live फेसबुक पेज के एडमिन व स्वतंत्र पत्रकार चंद्रभान सिंह भदौरिया से संपर्क साधा। उनका कहना है, निर्मला गरीब किसान की बेटी है। उनको दो दिन का कलेक्टर बनाने की बात अफवाह है।

इस बारे में नईदुनिया झाबुआ के रिपोर्टर भूपेंद्र गौर का कहना है, यह अफवाह है। निर्मला चौहान को दो दिन का कलेक्टर बनाने का कोई निर्देश नहीं दिया गया है। डीएम ने भी अधिकारियों को उनकी समस्याओं का समाधान निकालने का आदेश दिया है।

आदिवासी लड़की निर्मला चौहान को दो दिन का कलेक्टर बनाए जाने की फेक पोस्ट करने वाले Rakesh Solanki की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इससे पता चला कि वह जैतारण में रहते हैं।

निष्कर्ष: वीडियो में दिख छात्रा का नाम निर्मला चौहान है। उनको दो दिन का कलेक्टर बनाए जाने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है। भ्रामक पोस्ट वायरल हो रही है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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