Fact Check: छोटे भाई के शव को पीठ पर बांधे जापानी बच्चे की तस्वीर के साथ किया जा रहा भ्रामक दावा

सोशल मीडिया पर वायरल फोटो 1945 में जापान पर हुए परमाणु हमले के बाद की है। इसमें जापानी लड़का अपने छोटे भाई के शव को पीठ पर लादकर अंतिम संस्कार स्थल आता है और अंतिम क्रिया के बाद चुपचाप वहां से चला जाता है। इस दौरान वह एक शब्द भी नहीं बोलता है और न ही उसकी किसी सैनिक से बात होती है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो वायरल हो रही है। इसमें एक लड़का अपनी पीठ पर छोटे बच्चे को बांधे हुए है। यूजर्स इसे शेयर कर दावा कर रहे हैं कि जापान में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस लड़के ने भाई के शव को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद लिया। एक सिपाही ने जब उससे शव को छोड़ने को कहा तो उसने जवाब दिया कि वह भारी नहीं है, बल्कि उसका भाई है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर 1945 में जापान पर परमाणु हमले के बाद की है। जापानी लड़का अपनी पीठ पर छोटे भाई का शव लेकर अंतिम क्रिया के लिए पहुंचा जरूर था, लेकिन उसकी और सैनिक के बीच वार्तालाप वाली बात झूठी है। इस फोटो को लेने वाले फोटोग्राफर के बेटे ने भी इसकी पुष्टि की है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर Indu Sharma (आर्काइव लिंक) ने 1 नवंबर को इस फोटो को शेयर करते हुए लिखा,

जापान में युद्ध के दौरान इस लड़के ने अपने मृत भाई को दफनाने के लिए अपनी पीठ पर लाद लिया। एक सिपाही ने यह देखा और उससे कहा कि तू इस मृत बच्चे को छोड़ दे क्योंकि तू बहुत थका हुआ होगा और आगे बढ़ने में असमर्थ होगा।
तो उस लडके ने उत्तर दिया: वह भारी नहीं है, वह मेरा भाई है!
सिपाही समझ गया और बहुत रोया। तब से यह छवि जापान में एकता का प्रतीक बन गई है।
आज जरूरी है कि हम जीवन में इस वाक्य को आदर्श वाक्य बनाएं: “ये भारी नहीं है। ये मेरा भाई है …

“अगर वह गिर जाए तो उसे उठा लेना, थक जाने पर उसकी मदद करना, और अगर वह कमजोर है तो उसे सहारा देना, अगर वह गलती करता है तो उसे माफ कर देना, और अगर दुनिया उसे छोड़ देती है, तो उसे अपने कंधों पर ले लो,
क्योंकि वो भारी नहीं है।” .वो तुम्हारा भाई.. ️है
संकलन-रामजी

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले फोटो को गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इसमें कैथोलिक न्यूज वेबसाइट पर हमें वायरल फोटो मिली। 1 जनवरी 2018 को पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार, 30 दिसंबर 2017 को पोप ने वेटिकन प्रेस कार्यालय और वेटिकन मीडिया के माध्यम से नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के बाद की एक तस्वीर वितरित की। फोटो में दिख रहा है कि करीब 10 साल का एक लड़का अपने मृत छोटे भाई को पीठ पर लादकर उसका अंतिम संस्कार करने जा रहा है। कार्ड के पीछे पोप फ्रांसिस ने लिखा, ‘युद्ध का फल’। साथ ही हस्ताक्षर भी किए। अपने हस्ताक्षर के नीचे पोप ने लिखा है कि यह तस्वीर यूएस मरीन कॉर्प्स फोटोग्राफर जोसेफ रोजर ओ’डोनेल ने ली थी। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद ओ’डोनेल को सभी दृश्यों के दस्तावेजीकरण करने का काम सौंपा गया था।

cruxnow वेबसाइट ने भी 30 दिसंबर 2017 को इस फोटो का इस्तेमाल खबर में किया है। इसमें लिखा है कि पोप फ्रांसिस ने एक कार्ड लोगों को बांटा, जिसके पीछे लिखा है, ‘युद्ध का फल’। पोस्टकार्ड पर अमेरिकन फोटोग्राफर जोसेफ रोजर ओ’डोनेल द्वारा ली गई फोटोग्राफ छपी है। ओ’डोनेल एक मरीन थे, जो हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमले के चार साल बाद तक उसके प्रभाव को दस्तावेजों के तौर पर जमा कर रहे थे। फोटो में एक जापानी लड़का अपने छोटे भाई के शव को पीठ पर लादे अंतिम संस्कार स्थल में लाइन में खड़ा दिख रहा है।

रिव्यू जनरल वेबसाइट पर 6 अगस्त 2007 को एक रिपोर्ट छपी है। इसके मुताबिक, रोजर ओ’डोनेल के बेटे टाइग ओ’डोनेल सीजर्स पैनल में बेलमैन हैं। उनके पिता को व्हाइट हाउस और मरीन कॉर्प्स के लिए एक फोटोग्राफर के रूप में जाना जाता है। उनके पिता ने हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बमों से हुई तबाही का वर्णन किया था। उनका कहना है, ‘उनके पिता ने बताया था कि जापानी लड़के ने अपने भाई के शव को अंतिम संस्कार स्थल पर लाया था और उसको जलते हुए चुपचाप देखता रहा था।’ खबर में कही भी लड़के और सिपाही की बातचीत जैसा कोई जिक्र नहीं है।

ww2wrecks वेबसाइट में भी इस फोटो की कहानी फोटोग्राफर जोओ’डोनेल के हवाले से छपी है। इसके अनुसार, ‘मैंने करीब दस साल के एक लड़के को चलते हुए देखा। वह अपनी पीठ पर एक बच्चे को ले जा रहा था। मैं देख सकता था कि वह इस जगह पर एक गंभीर कारण से आया है। उसने जूते नहीं पहने हुए थे। उसका चेहरा सख्त था। छोटा सिर पीछे की ओर झुका हुआ था, जैसे कि बच्चा गहरी नींद में सो रहा हो। लड़का वहां पांच-दस मिनट तक खड़ा रहा। एक शख्स उसके पास गया और उस रस्सी को उतारने लगा, जिससे बच्चा बंधा हुआ था। तब मैंने देखा कि बच्चा पहले ही मर चुका था। शख्स ने शव को हाथ और पैर से पकड़कर आग पर रख दिया। आग की लपटों को देखते हुए लड़का बिना हिले-डुले वहीं खड़ा रहा। वह अपने निचले होंठ को काफी जोर से काट रहा था। जब आग धीमी हो गई तो लड़का घूमा और चुपचाप चला गया।’

एटॉमिक फोटोग्राफर्स वेबसाइट के अनुसार, जोसेफ रोजर ओ’डोनेल की 9 अगस्त 2007 को मौत हो गई थी। वह यूनाइटेड स्टेट्स इन्फॉर्मेशन एजेंसी के लिए डॉक्यूमेंटेशन और फोटोजर्नलिस्ट का कार्य करते थे।

इसकी अधिक पुष्टि के लिए हमने फोटोग्राफर रोजर ओ’डोनेल के बेटे टाइग ओ’डोनेल से मेल के जरिए संपर्क किया। उनका कहना है, ‘यह झूठ है। “He ain’t Heavy, He’s My Brother” एक प्रसिद्ध गाना था, जिसे 1969 में द होलीज ने परफार्म किया था। इसका मेरे पिता के फोटोग्राफ से कोई लेना-देना नहीं है। छोटे बच्चे का शव दफनाने के लिए नहीं, बल्कि अंतिम संस्कार स्थल पर चिता पर रखा जाने वाला था। परमाणु बम का शिकार हुए लोगों के शवों को जलाया गया था। न तो मेरे पिता ने लड़के से कुछ कहा और न ही लड़के ने एक शब्द कहा। लड़के की पहचान करने का प्रयास किया गया और बाद में उसे तलाशा गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।

फोटो को भ्रामक दावे से शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘इंदु शर्मा‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। उन्होंने अपनी प्रोफाइल लॉक की हुई है।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल फोटो 1945 में जापान पर हुए परमाणु हमले के बाद की है। इसमें जापानी लड़का अपने छोटे भाई के शव को पीठ पर लादकर अंतिम संस्कार स्थल आता है और अंतिम क्रिया के बाद चुपचाप वहां से चला जाता है। इस दौरान वह एक शब्द भी नहीं बोलता है और न ही उसकी किसी सैनिक से बात होती है।

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