Fact Check : सूरज और चांद को साथ में दिखाती इस तस्वीर को बनाने में 16 कैमरे और 62 दिन नहीं लगे, सॉफ्टवेयर के जरिए की गई तैयार

विश्वास न्यूज ने चांद और सूरज को एक साथ दिखाने वाली वायरल पोस्ट की जांच की और पाया कि वायरल दावा गलत है। इसे वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार किया गया है, जिसे लोग अब असली समझकर शेयर कर रहे हैं।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। पेड़ की लटों के बीच में चांद और सूरज को दिखाती एक तस्वीर तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि इस फोटो को कैमरे में कैद करने में जर्मन के फोटोग्राफर को 62 दिन लगे। उन्होंने इस तस्वीर को खींचने के लिए 16 कैमरों का इस्तेमाल किया। ये अद्भुत नजारा आसानी से देखने को नहीं मिलता, अब ऐसा नजारा 2035 में देखने को मिलेगा।

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की और पाया कि वायरल दावा गलत है। इसे वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार किया गया है, जिसे लोग अब असली समझकर शेयर कर रहे हैं। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर राजा सेठी ने 13 फरवरी 2021 को वायरल तस्वीर को शेयर किया है। यूजर ने वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, 16 कैमरों वाले इस शॉट को लेने के लिए एक जर्मन फोटोग्राफर को 62 दिनों तक इंतजार करना पड़ा। स्क्रीन को टच करें और आप चंद्रमा और सूर्य को एक साथ देख सकते हैं। इसे केवल वर्ष 2035 में फिर से देखा जा सकेगा। धन गुरु नानक वाहेगुरु।

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें। दूसरे यूजर्स भी इस दावे को सच मानकर शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर और इससे मिलती-जुलती तस्वीरें अमेरिकी आर्ट वेबसाइट फाइन आर्ट अमेरिका की वेबसाइट पर मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल तस्वीर एक आर्टवर्क है, जिसे कोसोवो के फोटोग्राफर बेस हमिति ने साल 2017 में शेयर किया है। उन्होंने वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती हुई कई अन्य तस्वीरों को भी वेबसाइट पर अपलोड किया हुआ है। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें असली तस्वीर फोटो शेयरिंग वेबसाइट फ़्लिकर पर मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, इस तस्वीर को फोटोग्राफर बेस हमिति ने खींचा है। इस तस्वीर को वेबसाइट पर उन्होंने 1 दिसंबर 2012 को शेयर किया था। वेबसाइट पर फोटो के एंगल से लेकर किस कैमरे से खींचा गया है, सारी जानकारी दी गई है।

फ़्लिकर पर बेस हमिति की प्रोफाइल पर वायरल तस्वीर भी मौजूद है। बेस हमिति ने वायरल तस्वीर को 22 सितंबर 2012 को शेयर किया था। फोटो के बारे में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल तस्वीर को एडिटिंग सॉफ्टवेयर एडोब फोटोशॉप से बनाया गया है।

विश्वास न्यूज ने फोटोग्राफर बेस हमिति के बारे में सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें उनका आधिकारिक फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट मिला। उन्होंने वायरल तस्वीर को 31 जनवरी 2016 को शेयर किया है।

सर्च के दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ा एक वीडियो बेस हमिति के यूट्यूब चैनल पर 29 अक्टूबर 2012 को अपलोड हुआ मिला। वीडियो में बेस हमिति ने बताया है कि वायरल तस्वीर को एडिटिंग सॉफ्टवेयर एडोब फोटोशॉप के जरिए किस तरह से तैयार किया गया है।

अधिक जानकारी के लिए हमने ग्राफिक डिजाइनर ओम प्रकाश से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि इस तरह की तस्वीरों को सॉफ्टवेयर की मदद से बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है। इंटरनेट पर कई ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जिनके जरिए आप इस तरह की तस्वीरों को बना सकते हैं। अगर किसी को फोटोशॉप की जानकारी है तो वो इस तरह की फोटो को सॉफ्टवेयर के जरिए बना सकता है।

पहले भी सोशल मीडिया पर यह दावा इसी तस्वीर के साथ वायरल हो चुका है। हमने पहले भी इस दावे का फैक्ट चेक किया हुआ है। उस दौरान हमने पुष्टि के लिए बेस हमिति से मेल के जरिए संपर्क साधा था। उन्होंने हमें बताया था, “यह तस्वीर मैंने एडिटिंग टूल एडोब फोटोशॉप की मदद से बनाई थी। मैंने इस पूरे प्रॉसेस का एक वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर भी डाला था। आप वहां पूरा प्रॉसेस देख सकते हैं। 16 फोटोग्राफर्स और 62 दिनों वाला वायरल दावा गलत है। “

इस गलत पोस्ट को कई लोगों ने शेयर किया, जिनमें से एक हैं फेसबुक यूजर राजा सेठी, जिनकी पोस्ट की हमने पड़ताल की। यूजर को फेसबुक पर 835 लोग फॉलो करते हैं।  प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने चांद और सूरज को एक साथ दिखाने वाली वायरल पोस्ट की जांच की और पाया कि वायरल दावा गलत है। इसे वीडियो एडिटिंग सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार किया गया है, जिसे लोग अब असली समझकर शेयर कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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