विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा गलत निकला है। इजरायल के पास अबतक अपना लिखित संविधान ही नहीं है। ऐसे में संविधान के पहले पेज पर भारत का जिक्र होने का सवाल ही नहीं उठता।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर भारत और इजरायल के संबंधों को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है। इसके मुताबिक, 1948 में जब इजरायल अलग देश बना तो उन्होंने अपने संविधान के पहले पेज पर भारत का नाम लिखा। वायरल पोस्ट में कहा जा रहा है कि पूरी दुनिया में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तब भारत ही एक ऐसा देश था, जिसने यहूदियों को बचाया, इसलिए इजरायल के संविधान में इसका जिक्र हुआ।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा गलत निकला है। इजरायल के पास अबतक अपना लिखित संविधान ही नहीं है। ऐसे में संविधान के पहले पेज पर भारत का जिक्र होने का सवाल ही नहीं उठता। जहां तक भारत और इजरायल के संबंधों की बात है, तो ऐतिहासिक रूप से भारत ने इजरायल को 7 सितंबर 1950 को मान्यता दी थी, लेकिन कूटनीतिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे। हालांकि, यहूदी समुदाय के प्राचीन भारत से संबंध की बात करें तो ये हजारों साल पुराना है।
विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी यह दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें यह दावा फेसबुक पर भी वायरल मिला। Sandeep Patil नाम के फेसबुक यूजर ने एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें पीएम मोदी और इजरायल के पीएम नेतन्याहू की तस्वीर के संग कुछ टेक्स्ट लिखा गया है। इस वायरल पोस्ट को यहां नीचे देखा जा सकता है।
इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले जरूरी कीवर्ड्स की मदद से भारत और इजरायल के संबंधों को लेकर पड़ताल की। हमें भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर भारत और इजरायल के संबंधों पर आधारित एक लेख मिला। इस लेख में बताया गया है कि भारत ने 17 सितंबर 1950 को औपचारिक रूप से इजरायल को मान्यता दी थी। हालांकि, पूर्ण कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत 1992 में हुई थी। इस लेख को यहां क्लिक कर विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
इंटरनेट पर पड़ताल के दौरान हमें इजरायल के विदेश मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इजरायल देश बनने से जुड़ी जानकारी मिली। इसके मुताबिक, 14 मई 1948 को इजरायल की आजादी की घोषणा की गई। यहां बताया गया है कि सबसे पहले अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ ने इजरायल को मान्यता दी। यानी भारत से पहले भी इजरायल को दूसरे देश एक नए देश के रूप में मान्यता दे चुके थे। इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस जानकारी के बाद इजरायल के संविधान से जुड़ी जानकारी को इंटरनेट पर सर्च किया। हमें इजरायल की व्यवस्थापिका (Knesset) की आधिकारिक वेबसाइट पर जानकारी मिली कि इजरायल के पास अबतक अपना लिखित संविधान नहीं है। यहां संविधान लिखने की कोशिश 1948 से ही की जा रही है। संविधान की जगह इजरायल ने बेसिक कानूनों और अधिकारों की एक व्यवस्था तैयार की है। इजरायल में संविधान लिखने की कोशिश अब भी जारी है। ऐसे में संविधान के पहले पेज पर भारत का जिक्र होने का दावा खुद में ही गलत है। इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को इंटरनेशनल अफेयर्स जर्नलिस्ट, मिडिल ईस्ट मामलों के एक्सपर्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ वारसा के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के विजिटिंग फैकल्टी सौरभ शाही संग शेयर किया। सौरभ ने इस दावे को गलत बताते हुए कहा जब इजरायल का संविधान लिखित में है ही नहीं, तो पहले पेज पर भारत के जिक्र का सवाल ही नहीं होता है। उन्होंने बताया कि जहां तक यहूदियों को बचाने का सवाल है, तो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय दूसरे कई देशों ने इस दिशा में कदम उठाए थे। इस क्रम में सौरभ ने ईरान, मोरक्को जैसे देशों का नाम लेते हुए यहूदियों को बचाने में ईरान के एक डिप्लोमेट अब्दुल हुसैन सरदारी की भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने यूरोप में हजारों यहूदियों की जान बचाई थी।
यूनाइटेड स्टेट होलोकास्ट मेमोरियल म्यूजियम की वेबसाइट पर हमें अब्दुल हुसैन सरदारी का जिक्र मिला। यहां भी बताया गया है कि डिप्लोमेट सरदारी ने यहूदियों की काफी मदद की थी। इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज को वर्ल्ड जूइश कांग्रेस की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में भारत में यहूदियों की मौजूदगी के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्राचीन भारत में यहूदियों की मौजूदगी का इतिहास 2000 साल से भी पुराना है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Sandeep Patil की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर Miraj, महाराष्ट्र के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा गलत निकला है। इजरायल के पास अबतक अपना लिखित संविधान ही नहीं है। ऐसे में संविधान के पहले पेज पर भारत का जिक्र होने का सवाल ही नहीं उठता।
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