Fact Check: 1962 के युद्ध से जोड़ पंडित नेहरू के बारे में किया जा रहा ये दावा मनगढ़ंत

विश्वास न्यूज की पड़ताल में पंडित नेहरू को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत निकला है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की ये तस्वीर जनवरी 1962 में चीन युद्ध से पहले पटना में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जहां वह हंगामा कर रही भीड़ को रोकने बढ़ रहे थे तभी एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पीछे से पकड़ लिया। पंडित नेहरू की इसी तस्वीर को सोशल मीडिया पर गलत दावे संग शेयर किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को लेकर सोशल मीडिया पर एक गलत और आपत्तिजनक दावा वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर पंडित नेहरू की एक पुरानी तस्वीर शेयर कर दावा कर रहे हैं कि चीन से 1962 के युद्ध के बाद पंडित नेहरू को किसी स्वामी विद्यानंद विदेह ने थप्पड़ मारा था। दावे के मुताबिक, वायरल तस्वीर तब क्लिक की गई, जब थप्पड़ के बाद नेहरू प्रतिक्रिया देने वाले थे, लेकिन उन्हें पकड़ लिया गया।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये वायरल दावा गलत निकला है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की ये तस्वीर जनवरी 1962 में चीन युद्ध से पहले पटना में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जहां वह हंगामा कर रही भीड़ को रोकने बढ़ रहे थे तभी एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पीछे से पकड़ लिया। पंडित नेहरू की इसी तस्वीर को सोशल मीडिया पर गलत दावे संग शेयर किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी फैक्ट चेक के लिए ये दावा मिला है। कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें यह दावा सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर काफी वायरल मिला। Jb Singh नाम के फेसबुक यूजर ने 24 फरवरी को एक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, जिसमें यही दावा किया जा रहा है। दावे के मुताबिक, 1962 में चीन से युद्ध के बाद और कथित तौर पर आर्यों को लेकर टिप्पणी के बाद स्वामी विद्यानंद विदेह ने पंडित नेहरू को थप्पड़ मारा था। इस वायरल दावे को यहां नीचे देखा जा सकता है।

इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने जब वायरल पोस्ट में दिए गए कीवर्ड्स से इस दावे को सर्च किया, तो हमें पता चला कि ये तस्वीर लंबे समय से सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है। इसी दावे के साथ वायरल तस्वीर को @UnfilteredTales नाम के ट्विटर हैंडल पर 28 सितंबर 2019 को शेयर किया गया है। इस ट्वीट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इस ट्वीट में यह तस्वीर बिना इसपर लिखे दावे वाले टेक्स्ट के साथ शेयर की गई है। विश्वास न्यूज ने जब इस तस्वीर पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया, तो हमें इंटरनेट पर इससे मिलते-जुलते ढेरों परिणाम मिले। हमें यह वायरल तस्वीर आउटलुक की वेबसाइट पर पंडित नेहरू से जुड़ी एक फोटो गैलरी से भी मिली। इस तस्वीर के लिए आउटलुक ने AP को क्रेडिट देते हुए लिखा है कि दंगा पर उतारू भीड़ के सामने जाते नेहरू को रोका गया। इसे यहां नीचे देखा जा सकता है।

जरूरी कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें यह तस्वीर AP की वेबसाइट पर मौजूद आर्काइव में भी मिली। AP की वेबसाइट पर बताया गया है कि ये तस्वीर चीन युद्ध से पहले जनवरी 1962 की है। ये तस्वीर पटना में कांग्रेस पार्टी की बैठक के दौरान ली गई थी। AP के मुताबिक, दंगाई भीड़ से नेहरू को बचाने के लिए एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पकड़ लिया। AP की साइट पर मौजूद इस तस्वीर को यहां नीचे देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज की अब तक की पड़ताल से ये साबित हो चुका था कि पंडित नेहरू की यह तस्वीर 1962 के चीन युद्ध से पहले की है। यह तस्वीर पटना में हुए कांग्रेस के अधिवेशन की है और नेहरू को किसी ने थप्पड़ नहीं मारा था, बल्कि उन्हें भीड़ में जाने से रोका गया था।

विश्वास न्यूज ने इसके बाद वायरल पोस्ट में स्वामी विद्यानंद विदेह के नाम के जिक्र की पड़ताल की। सिंपल गूगल सर्च से हम veda-sansthan.org की वेबसाइट पर पहुंचे। इस वेबसाइट पर स्वामी विद्यानंद विदेह को वेद संस्थान का फाउंडर बताया गया है। इसी पर इनकी जीवनी दी हुई है। इस जीवनी में उनके भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विरोध की बातें लिखी गईं हैं, लेकिन पंडित नेहरू के साथ जुड़ी वायरल दावे जैसी किसी घटना का कोई उल्लेख नहीं है। अगर इस तरह की कोई घटना हुई होती, तो इस जीवनी में या किसी प्रामाणिक मीडिया रिपोर्ट में इसका जिक्र जरूर होता। लेकिन हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट भी नहीं मिली।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सोशल मीडिया विभाग के स्टेट को-ऑर्डिनेटर रनीश जैन के साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि पंडित नेहरू के जीवन का हर हिस्सा लिखित इतिहास में दर्ज है। उन्होंने बताया कि नेहरू-गांधी परिवार को लेकर दशकों से चल रहे प्रोपेगेंडा का यह एक हिस्सा है। रनीश के मुताबिक, पंडित नेहरू लोकतांत्रिक व्यक्ति थे और संवाद में यकीन रखते थे। यही वजह है कि पटना में कांग्रेस की बैठक में हंगामे के बावजूद वह बात करने से पीछे नहीं हटे और यह तस्वीर तभी की है।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Jb Singh की प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल नवंबर 2016 में बनाई गई है। यूजर ने बाकी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में पंडित नेहरू को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत निकला है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की ये तस्वीर जनवरी 1962 में चीन युद्ध से पहले पटना में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जहां वह हंगामा कर रही भीड़ को रोकने बढ़ रहे थे तभी एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पीछे से पकड़ लिया। पंडित नेहरू की इसी तस्वीर को सोशल मीडिया पर गलत दावे संग शेयर किया जा रहा है।

False
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