आर्टिकल 30ए भारतीय संविधान में नहीं है, जबकि अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने और चलाने का अधिकार देता है। संविधान में धार्मिक किताबें पढ़ाने से रोकने को लेकर कोई अनुच्छेद नहीं है। आर्टिकल 30ए को लेकर फिर से एक मनगढ़ंत दावा किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर भारतीय संविधान के आर्टिकल 30 और 30ए को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि अनुच्छेद 30ए के कारण हिंदुओं को अपनी धार्मिक किताबें या धर्म के बारे में सिखाने की अनुमति नहीं है, जबकि आर्टिकल 30 के तहत मुस्लिम और ईसाई धार्मिक स्कूल खोलकर अपने धर्म को पढ़ा और सिखा सकते हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि भारतीय संविधान में आर्टिकल 30ए नहीं है, जबकि अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान खोलने और उन्हें चलाने का अधिकार देता है। भारतीय संविधान में धार्मिक किताबों को पढ़ाने से रोकने का कोई कानून नहीं है।
फेसबुक यूजर Mitali Singh (आर्काइव लिंक) ने 6 जुलाई 2022 को लिखा,
आ रहा है मोदी का दूसरा झटका
एक्ट 30ए- समाप्त हो सकता है।
मोदीजी नेहरू के हिंदुओं के साथ विश्वासघात को सुधारने के लिए तैयार हैं।
क्या आपने “कानून 30”, “कानून 30 ए” सुना है ???? इस
क्या आप जानते हैं “30A” का हिन्दी में क्या मतलब होता है?
अधिक जानने के लिए देर न करें……
30A संविधान में निहित एक कानून है।
जब नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल करने की कोशिश की तो सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसका कड़ा विरोध किया।
सरदार पटेल ने कहा, “यह कानून हिंदुओं के साथ विश्वासघात है,इसलिए अगर यह गौवंश कानून संविधान में लाया गया,तो मैं कैबिनेट और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा … इसके खिलाफ…
आखिरकार …..
सरदार पटेल की इच्छा के आगे घुटने टेकने पड़े नेहरू को…
लेकिन दुर्भाग्य से ..
पता नहीं.. इस घटना के बाद पिछले कुछ महीनों में सरदार वल्लभ भाई पटेल की अचानक मौत कैसे हो गई…?????
पटेल की मृत्यु के बाद, नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल किया।
30 ए मैं आपको इसकी विशेषताएं बता दूं…
इस कानून के अनुसार – हिंदुओं को हिंदुओं को अपना “हिंदू धर्म” सिखाने/ पढ़ने की अनुमति नहीं है। .”अधिनियम 30ए” उसे अनुमति या अधिकार नहीं देता…
इसलिए हिंदुओं को अपने निजी कॉलेजों में हिंदू धर्म नहीं पढ़ाना चाहिए…
हिंदू धर्म सिखाने/ पढ़ाने के लिए कॉलेज शुरू नहीं होने चाहिए…. हिंदू स्कूलों को हिंदू धर्म सिखाने के लिए शुरू नहीं किया जाना चाहिए।एक्ट 30ए के तहत पब्लिक स्कूलों या कॉलेजों में हिंदू धर्म पढ़ाने की अनुमति नहीं है…
यह अजीब लगता है, (30ए) नेहरू ने अपने संविधान में एक और कानून बनाया “कानून 30″।इस “कानून 30” के अनुसार मुसलमान अपनी धार्मिक शिक्षा के लिए इस्लामी धार्मिक स्कूल शुरू कर सकते हैं।
मुसलमान अपना धर्म सिखा सकते हैं…
कानून 30 मुसलमानों को अपना ‘मदरसा’ शुरू करने का पूरा अधिकार और अनुमति देता है और संविधान का अनुच्छेद 30 ईसाइयों को अपने धार्मिक स्कूल और कॉलेज स्थापित करने और पढ़ाने और सिखाने का पूरा अधिकार और अनुमति देता है। फ्री में अपने धर्म का प्रचार करो…!!इसका दूसरा कानूनी पहलू यह है कि हिंदू मंदिरों का सारा पैसा और संपत्ति सरकार के विवेक पर छोड़ी जा सकती है….हिंदू मंदिरों में हिंदू भक्तों द्वारा किए गए सभी धन और अन्य दान को राज्य के खजाने में ले जाया जा सकता है। ….
वहीं मुस्लिम और ईसाई मस्जिदों से दान और भिक्षा केवल ईसाई-मुस्लिम समुदाय के लिए दी जाती है…इस “कानून 30” की विशेषताएं इस प्रकार हैं।
इसलिए, “अधिनियम 30ए” और “अधिनियम 30” हिंदुओं के साथ जानबूझकर भेदभाव और व्यवस्थित विश्वासघात हैं।
यह बात सभी को अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए…जानिए…..!!
दूसरों के प्रति जागरूकता आइए हम हर सनातन के धर्म की रक्षा करें..पढ़ें, सीखें और फैलाएं।
जय हिंद.. शिवोहम शिवोहम शिवोहम
यह अनुच्छेद 30 ए के कारण है कि हम अपने देश में कहीं भी भगवद गीता नहीं पढ़ा सकते हैं। ………………
ऊपर पढ़ें और इसे फॉरवर्ड करें। ताकि सबको पता चले कि उन्होंने ऐसा किसने और क्यों किया।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से आर्टिकल 30ए को सर्च किया। indiankanoon नाम की वेबसाइट पर इस संबंध में हमें जानकारी मिली। इसके मुताबिक, आर्टिकल 30 अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान खोलने और उनको चलाने का अधिकार देता है। इसके तीन सेक्शन हैं, (1), (1A) और (2)।
(1) सभी अल्पसंख्यकों (धर्म या भाषा के आधार पर) को अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान खोलने और उनका संचालन करने का पूरा अधिकार है।
(1A) अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित और चलाए जा रहे शिक्षण संस्थानों की संपत्ति के अधिग्रहण के लिए कानून बनाते समय राज्य को यह ध्यान रखना होगा कि निर्धारित राशि दी जाए, जिससे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन न हो।
(2) अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों को आर्थिक मदद मुहैया करने के मामले में राज्य कोई भेदभाव नहीं करेगी।
भारतीय संविधान की कॉपी में भी हमने अनुच्छेद 30 को सर्च किया। इसमें 30ए नाम का आर्टिकल नहीं है। अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है। इसमें भी तीन सेक्शन (1), (1A) और (2) दिए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यकों के शिक्षण संस्थाओं के अधिकारों की बात की गई है।
इस बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट की वकील अशनिका शर्मा का कहना है, ‘आर्टिकल 30 को लेकर सोशल मीडिया पर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 देश में धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक को कई अधिकार देता है। यह आर्टिकल अल्पसंख्यकों को देश में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के लिए अधिकार देता है। आर्टिकल 30(1) में अल्पसंख्यकों को देश में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों को स्थापित और संचालित करने का अधिकार उल्लेखित है। अनुच्छेद 30 का खंड 1(A) कहता है कि अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित और प्रशासित किसी शैक्षणिक संस्थान की किसी भी संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण के लिए कोई कानून बनाते समय राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसा कानून अल्पसंख्यकों के अधिकारों को ना तो रोकेगा और ना ही निरस्त करेगा, जबकि खंड (2) के तहत राज्य सरकार अल्पसंख्यकों द्वारा शासित किसी भी शैक्षणिक संस्थान को आर्थिक सहायता देने के मामले में भेदभाव नहीं करेगी। आर्टिकल 30 अल्पसंख्यकों को यह अधिकार देता है कि वे अपने बच्चों को अपनी भाषा में शिक्षा प्रदान करा सकते हैं। साथ ही धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन भी करा सकते हैं। मलंककारा सीरियन कैथोलिक कॉलेज केस (2007) के मामले में दिए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अधिकार केवल बहुसंख्यकों के साथ समानता सुनिश्चित करने के लिए है। इनका इरादा अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की तुलना में अधिक लाभप्रद स्थिति में रखने का नहीं है। संविधान का कोई आर्टिकल धार्मिक ग्रंथों को पढ़ाने से नहीं रोकता है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 30A मौजूद नहीं है। सोशल मीडिया पर लिखी जा रही पोस्ट पूरी तरह से निराधार है।‘
इस तरह की पोस्ट पहले भी वायरल हो चुकी है, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी। पूरी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
आर्टिकल 30ए को लेकर फर्जी दावा करने वाली फेसबुक यूजर ‘मिताली सिंह‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह नोएडा में रहती हैं और एक विचारधारा से प्रेरित हैं।
निष्कर्ष: आर्टिकल 30ए भारतीय संविधान में नहीं है, जबकि अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने और चलाने का अधिकार देता है। संविधान में धार्मिक किताबें पढ़ाने से रोकने को लेकर कोई अनुच्छेद नहीं है। आर्टिकल 30ए को लेकर फिर से एक मनगढ़ंत दावा किया जा रहा है।
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