Fact Check: डेनमार्क और जर्मनी को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की तस्वीर को असम का बताकर किया जा रहा शेयर 

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल तस्वीर डेनमार्क और जर्मनी को जोड़ने वाले Fehmarnbelt Fixed Link प्रोजेक्ट की है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर पानी के नीचे बने ब्रिज की एक तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बन रहे 14 किलोमीटर लंबी सुरंग की है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल तस्वीर डेनमार्क और जर्मनी को जोड़ने वाले Fehmarnbelt Fixed Link प्रोजेक्ट की है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर B K Awasthi ने एक जून को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, “इसे कहते हैं नया भारत मोदी हैं तो मुमकिन है। भारत की पहली पानी के नीचे सड़क व रेलवे लाइन, यह असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनी लगभग 14 किलोमीटर लंबी सुरंग है।”

इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल  –

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर की ‘रैम्बोल’ वेबसाइट पर प्रकाशित मिली। ‘रैम्बोल’ डेनमार्क में स्थापित एक वैश्विक वास्तुकला, इंजीनियरिंग और परामर्श कंपनी है। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल तस्वीर डेनमार्क और जर्मनी के बीच बनाए जा रहे राजमार्ग, फेहमर्न बेल्ट का डिजाइन है।

संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें वायरल तस्वीर कई वेबसाइट्स पर प्रकाशित मिली। फेहमर्न बेल्ट के निर्माण में शामिल एक अन्य कंसल्टेंसी टनल इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स ने भी इस तस्वीर को अपनी वेबसाइट पर शेयर किया है। यहां पर भी इस तस्वीर को डेनमार्क और जर्मनी को जोड़ने वाले Fehmarnbelt Fixed Link प्रोजेक्ट का बताया गया है। Consultancy.UK नामक एक अन्य वेबसाइट ने भी इस तस्वीर को इसी जानकारी के साथ अपनी वेबसाइट पर शेयर किया हुआ है। 

पड़ताल के दौरान हमें वायरल तस्वीर वियतनाम के न्यूज़ वेबसाइट्स Vsico और Tuoitre पर प्रकाशित हुई। वेबसाइट पर तस्वीर को प्रकाशित करते हुए जानकारी दी गई है, जर्मनी और डेनमार्क ने पानी के नीचे बनाई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग।

अधिक जानकारी के लिए हमने असम के पत्रकार अनिरुद्ध भक्त (Anirudha Bhakat) से संपर्क किया। हमने वायरल दावे को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। अभी तक ऐसी कोई तस्वीर ब्रह्मपुत्र टनल को लेकर सामने नहीं आई है। अभी तक इस प्रोजेक्ट को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

पड़ताल के अंत में विश्‍वास न्‍यूज ने फेक दावे को शेयर करने वाले यूजर के फेसबुक हैंडल B K Awasthi की सोशल स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि 4,993 मित्र और 94 फॉलोअर्स मौजूद हैं। फेसबुक प्रोफाइल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यूजर कानपुर का रहने वाला है। 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला। वायरल तस्वीर डेनमार्क और जर्मनी को जोड़ने वाले Fehmarnbelt Fixed Link प्रोजेक्ट की है, जिसे अब गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

False
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