Fact Check: 2007 में असम में हुई घटना की तस्वीर को उत्तराखंड के नाम से किया जा रहा है वायरल
विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा भ्रामक निकला। असम में 2007 में हुई एक पुरानी घटना को गलत दावे के साथ देहरादून का बताकर शेयर किया जा रहा है। इसका देहरादून से कोई संबंध नहीं है।
- By: Jyoti Kumari
- Published: Apr 22, 2023 at 05:16 PM
- Updated: Apr 22, 2023 at 05:53 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में एक लड़की को रोके जाने के बाद से कई प्रकार की भ्रामक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसी विवाद से जोड़ते हुए एक अखबार की कटिंग वायरल की जा रही है। जिसमें एक महिला को लात मारते एक व्यक्ति की तस्वीर छपी देखी जा सकती है। कटिंग को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि मामला उत्तराखंड के एक मंदिर का है,जहां एक पुजारी ने मंदिर में आने के कारण एक दलित लड़की की पिटाई कर दी। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को गलत पाया। वायरल अखबार की कटिंग 2007 में असम में हुई एक पुरानी घटना की हैं, जिसे अब उत्तराखंड की बताकर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फ़ेसबुक यूज़र ‘दीप कौर’ ने 21 अप्रैल को अपने फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर वायरल कटिंग को शेयर किया है और लिखा है, “जो मर गया वो ignore कर दो, जो जीवित है वो शेयर कर दो। (गुस्सा बहुत आ रहा लोगों की गंदी सोच पर )”
तस्वीर के ऊपर लिखा है: “ दरबार साहिब में लड़की स्कर्ट से रोक दी तो तुम लोगों ने पीट-पीट सियापा पा लिया। अब यहां तुम्हारे मुंह में दही जम गई है बड़े विद्वान, अब बोलो पता लगे तुम्हारी विद्वानी का।”
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इस पोस्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।
पड़ताल
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए विश्वास न्यूज ने गूगल रिवर्स इमेज की मदद से वायरल अख़बार की कटिंग को सर्च किया। इस दौरान हमें इससे जुड़ी खबर कई न्यूज़ वेबसाइट पर पुरानी तारीख में अपलोड मिली। ट्रिब्यून डॉट कॉम पर 8 दिसंबर 2007 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में वायरल तस्वीर मिली। यहां दी गई जानकारी के अनुसार, “ऑल आदिवासी स्टूडेंट्स एसोसिएशन ऑफ असम (एएएसएए) द्वारा यह रैली आयोजित की गई थी। घटना गुवाहाटी के बेलटोला-सर्वे रोड पर हुई थी। युवा आदिवासी लड़की को अपना जीवन बचने के लिए सड़कों पर भागना पड़ा, जब कुछ दंगाइयों ने उसे निर्वस्त्र कर दिया।” पूरी खबर यहां पढ़ें।
सर्च के दौरान हमें ‘jharkhand.org.in ‘ पर 27 नवंबर 2007 को वायरल कटिंग से जुड़ा ब्लॉग मिला। दी गई जानकारी के मुताबिक, ” घटना गुवाहाटी के बेलटोला-सर्वे रोड पर हुई थी।”
वायरल अखबार की कटिंग में दिख रही तस्वीर तस्वीरें ‘हेडलाइंस टुडे’ की वीडियो रिपोर्ट पर भी मिलीं। 15 जुलाई 2012 को अपलोड में डिस्क्रिप्शन में लिखा गया था , पीड़िता ने असम छेड़छाड़ मामले में न्याय की गुहार लगाई।
हमारी अब तक की पड़ताल से यह बात तो साफ़ हुई कि यह घटना असम में 2007 में हुई थी। वायरल अख़बार की कटिंग में इस घटना को देहरादून के हंडोल मंदिर का बताया गया है। इसलिए हमने देहरादून हंडोल मंदिर कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया। हमें ऐसे किसी मंदिर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। पर सर्च के दौरान हमें हनोल मंदिर के बारे में जानकारी ज़रूर मिली। देहरादून जनपद के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के ग्राम हनोल में पांडव कालीन समय के श्री महासू देवता का मंदिर है,जो बहुत प्रसिद्ध है।
पहले भी ये पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। उस समय इसे पश्चिम बंगाल की घटना बताया जा रहा था। तब विश्वास न्यूज ने इसकी पड़ताल कर सच्चाई सामने रखी थी। आप हमारी पहले की फैक्ट चेक स्टोरी को यहां पढ़ सकते हो।
अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण, देहरादून के सीनियर रिपोर्टर चंदराम राजगुरु से संपर्क किया। उन्होंने बताया, “यह मामला देहरादून का नहीं है, ना ही देहरादून में हंडोल नाम का कोई मंदिर है। देहरादून जनपद के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के ग्राम हनोल में पांडव कालीन समय के श्री महासू देवता का मंदिर है। यह वायरल तस्वीर हनोल मंदिर की नहीं है।”
पड़ताल के आखिरी चरण में हमने फेसबुक पर इस पोस्ट को शेयर करने वाली यूजर दीप कौर की स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर को फेसबुक पर 7 हज़ार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर फेसबुक पर 26 दिसंबर 2019 से एक्टिव हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में वायरल दावा भ्रामक निकला। असम में 2007 में हुई एक पुरानी घटना को गलत दावे के साथ देहरादून का बताकर शेयर किया जा रहा है। इसका देहरादून से कोई संबंध नहीं है।
- Claim Review : उत्तराखंड के एक मंदिर में पुजारी ने मंदिर में आने के कारण एक दलित लड़की की पिटाई कर दी।
- Claimed By : Deep Kaur
- Fact Check : भ्रामक
पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...