Fact Check : पुजारी की पिटाई का वीडियो एक बार फिर सांप्रदायिक दावे के साथ हुआ वायरल 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पुजारी को पीटने के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2020 का है। साल 2020 में हरियाणा के फतेहाबाद में एक विवाद को लेकर कुछ युवकों ने मंदिर के पुजारी को बेरहमी से पीटा था। घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। पहले भी यह वीडियो अलग-अलग दावों के साथ वायरल हो चुका है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में लोग पुजारी के कपड़े पहने हुए एक शख्स की पिटाई करते हुए नजर आ रहे हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि मंदिर के पुजारी को एक मुस्लिम शख्स ने बेरहमी से पीटा । 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2020 का है। साल 2020 में हरियाणा के फतेहाबाद में एक विवाद को लेकर कुछ युवकों ने मंदिर के पुजारी को बेरहमी से पीटा था। घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। पहले भी यह वीडियो अलग-अलग दावों के साथ वायरल हो चुका है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘ज्ञानेंद्र सिंह’ ने 18 सितंबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “यह हिन्दू मंदिर के पुजारी की पिटाई करने वाले एक कट्टर मुस्लिम का वीडियो बताया जा रहा है इसे सभी समूहों में साझा करें कृपया अपराधी की पहचान करने और उसे गिरफ्तार करने के लिए इस वीडियो को साझा करें प्रिय हिंदुओं।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 3 साल पहले प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, “हरियाणा के फतेहाबाद में पुजारी से मारपीट के मामले में पुलिस ने चार युवकों को गिरफ्तार किया। इन्होंने पुजारी को सिर्फ इसलिए क्रिकेट बैट से पीटा था कि उसने इन्हें बैट को मंदिर में रखने से मना किया था। इस घटना वीडियो भी पिछले कई दिन से सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं इसके संज्ञान में आने के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार को गिरफ्तार किया।” खबर में कहीं भी सांप्रदायिक एंगल का जिक्र नहीं किया गया है। 

सर्च के दौरान हमें दावे से जुड़ा एक ट्वीट पश्चिम बंगाल पुलिस के आधिकारिक ट्विटर (एक्स) हैंडल पर मिला। दरअसल साल 2020 में यह वीडियो गुजरात और पश्चिम बंगाल के नाम पर गलत दावों के साथ वायरल हो चुका है। इसी का खंडन करते हुए पश्चिम बंगाल पुलिस ने 5 नवंबर 2020 को ट्वीट कर  जानकारी दी थी यह वीडियो हरियाणा में हुई  घटना का है। 

दैनिक जागरण में 6 नवंबर 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, “फतेहाबाद के ढाबीकलां में भीड़ द्वारा क्रिकेट बैट से की गई पुजारी की पिटाई मामले में पुलिस ने चार आरोपितों को देर रात को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से क्रिकेट का बैट भी बरामद किया है, जिससे उसकी पिटाई की थी। हालांकि, अभी तक पुजारी की तरफ से किसी प्रकार की शिकायत नहीं दी गई है। मंगलवार को पुजारी की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद पुलिस कर्मचारी की शिकायत पर ही मामला दर्ज किया था। पुलिस ने गांव ढाबी कला निवासी अमित, कृष्ण, राकेश और गांव ठुईयां निवासी प्रदीप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।” रिपोर्ट में हमें कहीं भी सांप्रदायिक एंगल होने का जिक्र नहीं मिला।

अधिक जानकारी के लिए हमने फतेहाबाद पुलिस पीआरओ भीम सिंह से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल में हुई घटना का नहीं है। यह घटना फतेहाबाद में तीन साल पहले हुई थी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिफ्तार किया गया था। उन्होंने इस मामले में सांप्रदायिक एंगल होने का खंडन किया है।

पहले भी यह वीडियो अलग-अलग दावों के साथ वायरल हो चुका है। पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है। 

अंत में हमने वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को 5 सौ लोग फॉलो करते हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यूजर दिल्ली का रहने वाला है। 

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पुजारी को पीटने के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2020 का है। साल 2020 में हरियाणा के फतेहाबाद में एक विवाद को लेकर कुछ युवकों ने मंदिर के पुजारी को बेरहमी से पीटा था। घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। पहले भी यह वीडियो अलग-अलग दावों के साथ वायरल हो चुका है।

False
Symbols that define nature of fake news
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