सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में मिली संरचना की कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक परीक्षण के क्रियान्वन पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। सोशल मीडिया पर संरचना की कार्बन डेटिंग को लेकर किया जा रहा दावा गलत है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है, “कार्बन डेटिंग रिपोर्ट का खुलासा हुआ है। इसके अनुसार, काशी विश्वनाथ शिवलिंग 8000 वर्ष पुराना है।” चूंकि ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है। ऐसे में इस पोस्ट में जिस ‘शिवलिंग’ की बात की जा रही है, वह ज्ञानवापी में मिली संरचना से संबंधित प्रतीत हो रहा है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल मस्जिद में मिली संरचना की कार्बन डेटिंग पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। सोशल मीडिया पर कार्बन डेटिंग को लेकर किया जा रहा दावा गलत है।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस वायरल दावे को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।
फेसबुक यूजर दिग्विजय मिश्रा (आर्काइव लिंक) ने 19 मई को इस तरह की पोस्ट शेयर करते हुए लिखा,
“कार्बन डेटिंग रिपोर्ट का खुलासा :- काशी विश्वनाथ शिवलिंग 8000 वर्ष पुराना है”
इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्ट के कंटेंट को हूबहू लिखा गया है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर ओपन सर्च किया। हमें किसी भी मीडिया रिपोर्ट में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जिससे वायरल दावे की पुष्टि हो सके।
19 मई 2023 को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर एजेंसी के हवाले से छपी खबर के अनुसार, “वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 19 मई को सुनवाई हुई। मसाजिद कमेटी की याचिका पर यह सुनवाई हुई। इसमें शीर्ष अदालत ने मस्जिद में मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग समेत वैज्ञानिक परीक्षण पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में संबंधित निर्देशों का क्रियान्वयन अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र, यूपी सरकार और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया है। बता दें कि 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले ‘शिवलिंग’ की उम्र का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की निगरानी में कार्बन डेटिंग का आदेश दिया था। हालांकि, मस्जिद के अधिकारियों ने दलील दी कि संरचना ‘वजू खाना’ में एक फव्वारे का हिस्सा है। मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।”
19 मई 2023 को आजतक की वेबसाइट पर छपी खबर में लिखा है, “सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी की शिवलिंग जैसी संरचना की कार्बन डेटिंग पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। गौरतलब है कि 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नवीन तकनीकों को इस्तेमाल कर मस्जिद में मिली संरचना की उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत संरचना की कार्बन डेटिंग और अन्य वैज्ञानिक परीक्षण कराने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था।”
पड़ताल के तहत हमने दैनिक जागरण के ईपेपर को भी खंगालना शुरू किया। इसमें हमें 20 मई 2023 को दैनिक जागरण के वाराणसी संस्करण में छपी खबर मिली। इसमें भी लिखा है, “सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण के आदेश का क्रियान्वन शुक्रवार को अगली सुनवाई तक टाल दिया है। कोर्ट का यह आदेश मसाजिद कमेटी की याचिका पर आया है। कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के निहितार्थ की बारीकी से जांच की जानी चाहिए, इसलिए आदेश का क्रियान्वन अगली तारीख तक टाला जाता है। इसका मतलब है कि संरचना की उम्र का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक परीक्षण फिलहाल नहीं होगा।”
इस मामले में अधिक पुष्टि के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह से बात की। उनका कहना है, “हाईकोर्ट ने संरचना की कार्बन डेटिंग की इजाजत दी थी, लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अगली तारीख तक रोक लगा दी है।“
पड़ताल के अंत में हमने गलत दावा करने वाले फेसबुक यूजर ‘दिग्विजय मिश्रा‘ की प्रोफाइल को स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से ताल्लुक रखते हैं। यूजर के करीब 5600 फॉलोअर्स हैं। वह एक विचारधारा से प्रभावित हैं।
निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में मिली संरचना की कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक परीक्षण के क्रियान्वन पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। सोशल मीडिया पर संरचना की कार्बन डेटिंग को लेकर किया जा रहा दावा गलत है।
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