Fact Check: यह गुजरात का प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर नहीं है और न ही यह खबर हालिया है

गुजरात के अमरोल गांव के मंदिर में दलितों का प्रवेश वर्जित वाली खबर करीब तीन साल पुरानी है। मामला सामने आने के बाद नोटिस बोर्ड को हटा दिया गया था। अब मंदिर में किसी के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। यह सारा मामला प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर नहीं, बल्कि गांव में स्थित एक मंदिर का था। इस खबर को भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर न्यूजपेपर की एक कटिंग वायरल हो रही है। इसके मुताबिक, अमरोल गांव के सोमनाथ महादेव मंदिर के बाहर कुछ लोगों ने बोर्ड लगा दिया है, जिस पर लिखा है कि दलितों का मंदिर में आना मना है। कुछ दिन से यह पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है, जिससे लग रहा है कि यह हाल की घटना है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि अमरोल गांव के मंदिर में दलितों के प्रवेश पर रोक वाली खबर भ्रामक और करीब तीन साल पुरानी है। कुछ असामाजिक तत्वों ने यह बोर्ड लगा दिया था। बाद में पुलिस—प्रशासन ने इसे हटवा दिया था। अब मंदिर में किसी के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। साथ ही गांव में स्थित यह मंदिर प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर Saurav Lohat ने 2 जुलाई को न्यूजपेपर की कटिंग शेयर की।

सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट।

फेसबुक पर कुछ अन्य यूजर्स ने भी इसको शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले न्यूजपेपर में छपी खबर को ध्यान से देखा। इसमें डेटलाइन आणंद लिखी हुई है। इसमें अमरोल गांव में हुई घटना का जिक्र है। इसके बाद हमने इसे गूगल पर कीवर्ड से सर्च किया। इसमें हमें इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर का लिंक मिला। 21 अगस्त 2019 को छपी इस खबर के मुताबिक, आणंद के गांव अमरोल में सोमवार (19 अगस्त) को सोमनाथ महादेव मंदिर के बाहर एक नोटिस बोर्ड मिला। इस पर लिखा था कि अंदर दलितों को आने की अनुमति नहीं है। कुछ युवकों ने यह बोर्ड लगाया था। गांववालों की शिकायत मिलने के बाद पुलिस और प्रशासन की टीम वहां पहुंची और नोटिस बोर्ड को हटा दिया। ग्रामीणों का कहना था कि सोमवार शाम को इस मामले में पंचायत हुई थी, जिसमें कुछ युवकों ने अपने इस काम के लिए माफी मांगी थी। उनका कहना था कि ये उन्होंने केवल मस्ती के लिए किया था।

21 अगस्त 2019 को जनसत्ता में भी इस संबंध में खबर छपी है। इसके मुताबिक, बोर्ड को हटा दिया गया था।

इसकी अधिक जानकारी के लिए हमने अमरोल गांव के सरपंच नागजीभाई संकरभाई परमार से बात की। उनका कहना है,’यह खबर करीब तीन साल पुरानी है। कुछ असामाजिक तत्वों ने मंदिर के बाहर विवादास्पद बोर्ड लगा दिया था, लेकिन कुछ देर बाद ही उसे हटा दिया गया था। इस मामले में गांव में पुलिस भी आई थी, लेकिन गांव वालों ने कार्रवाई से इनकार कर दिया था। यह प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर नहीं, बल्कि उनके गांव का मंदिर है। अब ऐसा कुछ नहीं है। मंदिर में कोई भी जा सकता है।

न्यूजपेपर की पुरानी खबर को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘सौरव लोहाट‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह अंबाला में रहते हैं।

निष्कर्ष: गुजरात के अमरोल गांव के मंदिर में दलितों का प्रवेश वर्जित वाली खबर करीब तीन साल पुरानी है। मामला सामने आने के बाद नोटिस बोर्ड को हटा दिया गया था। अब मंदिर में किसी के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। यह सारा मामला प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर नहीं, बल्कि गांव में स्थित एक मंदिर का था। इस खबर को भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट