Fact Check: ITR के आधार पर सरकार नहीं देती है दुर्घटना में मौत पर 10 गुना तक मुआवजा, फर्जी मैसेज हो रहा वायरल

विश्वास न्यूज की पड़ताल में दुर्घटना बीमा और ITR को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत पाया गया है। इनकम टैक्स एक्ट और मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत सरकार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार बनाया गया हो। दुर्घटना में मौत की स्थिति में मुआवजा सरकार नहीं, बल्कि इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से दिया जाता है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) और दुर्घटना में मौत होने पर मिलने वाले मुआवजे के संबंध में एक दावा वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि अगर कोई लगातार तीन वर्ष तक ITR फाइल करता है, तो उस शख्स की दुर्घटना में मौत होने की स्थिति में सरकार उसकी औसत सालान आय की 10 गुना राशि मुआवजे के रूप में देने को बाध्य है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत पाया गया है। इनकम टैक्स एक्ट और मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत सरकार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार बनाया गया हो। दुर्घटना में मौत की स्थिति में मुआवजा सरकार नहीं बल्कि इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से दिया जाता है और इसका निर्धारण अलग-अलग कारकों के आधार पर होता है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Anjum Raja ने वायरल मैसेज को स्क्रीनशॉट के रूप में शेयर किया है। इसपर लिखा है, ‘अगर आप लगातार तीन वर्ष तक इनकम टैक्स रिटर्न जमा करते हैं तो इसे कृप्या ध्यान से पढ़ें INCOME TAX RETURN FILLING HELPS IN Accidental Death* (Income Tax Return Required)* अगर किसी व्यक्ति की accidental death होती है और वह व्यक्ति पिछले तीन साल से लगातार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहा था तो उसकी पिछले तीन साल की एवरेज सालाना इनकम की दस गुना राशि उस व्यक्ति के परिवार को देने के लिए सरकार बाध्य है।’

फैक्ट चेक के उद्देश्य से इस पोस्ट में लिखी बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

यह मैसेज वॉट्सऐप पर भी वायरल हो रहा है। वॉट्सऐप पर वायरल मैसेज में मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शऩ 166 और सुप्रीम कोर्ट के सिविल अपील नंबर 9858 के किसी जजमेंट का भी हवाला दिया जा रहा है। वॉट्सऐप पर वायरल मैसेज को यहां नीचे देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल मैसेज के दावों को पहले इंटरनेट पर ओपन सर्च किया। हमने यह जानना चाहा कि क्या इन दावों की पुष्टि के लिए कोई प्रामाणिक स्रोत उपलब्ध है या नहीं। हमें फाइनेंशियल एक्सप्रेस की साइट पर 13 दिसंबर 2019 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को कवर किया गया है। इसमें बताया गया है कि सर्वोच्च अदालत ने दुर्घटना के एक केस में मुआवजा तय करते हुए कहा था कि मृतक की वार्षिक आय तय करते समय उसके द्वारा दाखिल किए गए ITR को आधार माना जा सकता है। इस रिपोर्ट में भी कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि मुआवजा सरकार देगी। यहां भी मुआवजा इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से ही दिए जाने की बात है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इंटरनेट पर सर्च के दौरान हमें हमारे सहयोगी दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 4 अप्रैल 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में भी वायरल मैसेज का जिक्र करते हुए एक्सपर्ट्स के हवाले से इसका सच बताया गया है। रिपोर्ट में एक्सपर्ट के हवाले से लिखा है, ‘सड़क दुर्घटना होने की सूरत में परिवार को मुआवजा मिलने के लिए मरने वाले व्यक्ति की ओर से आईटीआर भरे जाने या फिर न भरे जाने का कोई लेना-देना नहीं है। अगर व्यक्ति नौकरीपेशा है और अगर उसकी मृत्यु सड़क दुर्घटना में होती है तो उसका परिवार ट्रिब्यूनल में मुआवजे का दावा कर सकता है। इसके बाद ट्रिब्यूनल तय करेगा कि परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए या नहीं और दिया जाना चाहिए तो कितना।’ इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर विस्तार से देखा जा सकता है।

वायरल मैसेज में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 166 का भी हवाला दिया गया है। हमने इंटरनेट पर इस बारे में भी पड़ताल की। हमें indiankanoon.org पर Section 166 in The Motor Vehicles Act, 1988 के बारे में जानकारी मिली। यह सेक्शन इस बात की व्याख्या करता है कि एक्सीडेंटल क्लेम में मुआवजे का दावा कैसे किया जा सकता है। यहां इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि सरकार की तरफ से आमदनी का 10 गुना ज्यादा मुआवजा दिया जाएगा। इसे यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

वायरल मैसेज में सुप्रीम कोर्ट के 2013 में सिविल अपील नंबर 9858 पर दिए गए किसी फैसले का भी हवाला दिया जा रहा है। हमने इस फैसले के बारे में भी इंटरनेट पर सर्च किया। हमें indiankanoon.org पर इस केस और इससे जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी जानकारी मिली। यहां भी सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सीडेंटल मुआवजे के केस में ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध दाखिल की गई अपील पर फैसला सुनाया था। इस फैसले में भी कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि सरकार की तरफ से पीड़ित की आमदनी का 10 गुना तक मुआवजा दिया जाएगा। इस केस के बारे में विस्तार से यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने इस संबंध में फाइनेंशियल प्लानर और टैक्स एक्सपर्ट, बलवंत जैन से बात की। उन्होंने बताया कि कई वॉट्सऐप ग्रुप में उन्हें भी यह वायरल मैसेज मिला, तो उन्होंने इसका सच उन ग्रुप्स में बताया है। बलवंत जैन ने बताया, ‘यह फॉरवर्ड मैसेज एकदम गलत है और कई सालों से सर्कुलेशन में है। दुर्घनटना में व्यक्ति की मौत होने पर मोटर व्हीकल एक्ट मे मिलने वाली बीमा राशि की गणना करते समय आपके आई टी आर मे बताई गयी आय को ध्यान मे लिया जाता है। इसका भुगतान बीमा कंपनी करती है।’

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को एडवोकेट केतन चौधरी संग शेयर किया। उन्होंने भी इस वायरल दावे को गलत बताया। एडवोकेट केतन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले का हवाला दिया जा रहा है, असल में वह मुआवजा राशि को स्वीकार नहीं करने के बाद दाखिल की गई अपील के तहत सुनाया गया था। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा तय करने को लेकर कुछ व्यवस्थाएं दी थीं। बताया गया था कि मुआवजा तय करते समय पीड़ित की आय, उसकी उम्र और उसपर निर्भर लोगों की संख्या आदि का ख्याल रखना है। एडवोकेट केतन ने बताया कि मुआवजा की राशि सरकार नहीं, बल्कि बीमा कंपनी देती है। इसके लिए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रिब्यूनल में केस करना होता है। ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है।

वहीं आयकर विशेषज्ञ व पटना हाईकोर्ट के अधिवक्‍ता संजय कुमार ओझा ने भी वायरल मैसेज को गलत बताया है। उनके अनुसार पुराने व नए आयकर कानून में से किसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। वे बताते हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 166 में सड़क दुर्घटना में मौत पर स्‍वजनों को मुआवजा का प्रावधान है। इसपर सुप्रीम कोर्ट की गाइड़लाइन भी है। दुर्घटना में मुआवजा बीमा कंपनी देती है, न कि सरकार या आयकर विभाग।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Anjum Raja की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर चंडीगढ़ के रहने वाले हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में दुर्घटना बीमा और ITR को लेकर किया जा रहा वायरल दावा गलत पाया गया है। इनकम टैक्स एक्ट और मोटर व्हीकल एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत सरकार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार बनाया गया हो। दुर्घटना में मौत की स्थिति में मुआवजा सरकार नहीं, बल्कि इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से दिया जाता है।

False
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