विश्वास न्यूज की जांच में, हमने पाया कि वायरल तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई है। असल तस्वीर के ब्लैकबोर्ड नज़र आरहे शिक्षक छात्राओं को संस्कृत पढ़ा रहे थे। वायरल तस्वीर 2018 के दारुल उलूम हुसैनिया गोरखपुर की है, जिसे अब सांप्रदायिक फर्जी दावे के साथ किया वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक शिक्षक छात्राओं को ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। ब्लैकबोर्ड पर, हिंदू-मुस्लिम और धर्म से संबंधित चीजें लिखीं हैं, जिन्हें आपत्तिजनक तरीके से दिखाया जा रहा है।
जब विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की, तो हमने पाया कि तस्वीर में दिख रहे ब्लैकबोर्ड पर लिखी बातों को एडिट कर वायरल किया गया है। असल तस्वीर में शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर संस्कृत पढ़ा रहे थे। वायरल तस्वीर 2018 के दारुल उलूम हुसैनिया गोरखपुर मदरसे की है, जिसे अब सांप्रदायिक फर्जी दावे के साथ किया वायरल किया जा रहा है।
25 जून को फेसबुक पेज ‘Gopal Singh’ के ज़रिये एक तस्वीर शेयर की गई, जिसमें एक शिक्षक कक्षा में कुछ छात्राओं को पढ़ा रहें हैं। ब्लैकबोर्ड पर लिखा है “हिंदूइज्म : योग, जेनेवा, मंगल सूत्र। इस्लाम: हलाला, खतना, बुर्का”। यूजर ने पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है : ‘‘इन @#@# द्वारा ये शिक्षा दी जाती है मदरसों में..फिर कहते हैं हिन्दू भाईचारा नहीं रखते’’।
हमने पाया कि इस फर्जी पोस्ट को अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई यूजर द्वारा शेयर किया जा रहा है।
जांच शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले रिवर्स इमेज सर्च के जरिए इमेज को सर्च किया। जांच के क्रम में हमारे हाथ 11 अप्रैल, 2018 को एनडीटीवी की वेबसाइट पर प्रकाशित एक खबर लगी, जिसमें हमें वही तस्वीर मिली, जो अब वायरल हो रही है। खबर का शीर्षक है, “गोरखपुर : मदरसा बना मिसाल – अरबी, अंग्रेज़ी के साथ-साथ पढ़ाई जा रही है संस्कृत भी…” रिपोर्ट में कहा गया, ”यह मदरसा UP शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत चलाया जाता है और खास बात यह है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए भी यहां मुस्लिम शिक्षक ही नियुक्त किया गया है।” पूरी खबर यहां पढ़ें।
अब हमने कीवर्ड के ज़रिये गूगल न्यूज़ सर्च किया और अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया। न्यूज़ एजेंसी ANI की तरफ से 10 अप्रैल, 2018 को किया गया एक ट्वीट मिला। इसमें भी हमें ठीक वही तस्वीर मिली, जो अब सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल की जा रही है। तस्वीर में, शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर संस्कृत पढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। एएनआई के ट्वीट में कहा गया, ”गोरखपुर: दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा में पढ़ाए जा रहे अन्य विषयों में संस्कृत। मदरसे के प्रिंसिपल का कहना है, ‘यह यूपी शिक्षा बोर्ड के तहत एक आधुनिक मदरसा है और अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान, गणित और संस्कृत जैसे विषय यहां पढ़ाए जाते हैं। उन्हें अरबी भी सिखाई जाती है ’।
विश्वास न्यूज़ ने सीधे दारुल उलूम हुसैनिया गोरखपुर मदरसे के प्रिंसिपल नजरुल आलम से संपर्क किया और उनके साथ वायरल फोटो शेयर की। उन्होंने हमें बताया, “यह तस्वीर 2018 की है, तस्वीर में ब्लैकबोर्ड के साथ छेड़छाड़ की गई है। जो शिक्षक छात्राओं को पढ़ाते हुए दिख रहे हैं उनका नाम अनीसुल हसन है और वह उस वक्त संस्कृत पढ़ा रहे थे। हमारे यहां मज़हब को लेकर ऐसी बातें नहीं पढाई जाती हैं। वायरल तस्वीर फर्जी है।
अब बारी थी इस फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Gopal Singh की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि इस प्रोफाइल से विचारधारा विशेष से प्रेरित पोस्ट शेयर की जाती हैं। यूजर बरेली का रहने वाला है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में, हमने पाया कि वायरल तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई है। असल तस्वीर के ब्लैकबोर्ड नज़र आरहे शिक्षक छात्राओं को संस्कृत पढ़ा रहे थे। वायरल तस्वीर 2018 के दारुल उलूम हुसैनिया गोरखपुर की है, जिसे अब सांप्रदायिक फर्जी दावे के साथ किया वायरल किया जा रहा है।
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