गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से कोरोना वायरस खत्म नहीं होता है। जर्मनी के वैज्ञानिकों ने इस तरह की कोई भी सलाह वहां के चांसलर और स्वास्थ्य मंत्रालय को नहीं दी है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। देश में कोरोना के केस फिर से डेढ़ लाख के पार हो चुके हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर यूजर्स एक रिपोर्ट पोस्ट कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि जर्मनी के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया है। इसमें पता चला है कि संक्रमण के पहले हफ्ते में कोरोना वायरस गले में तेजी से फैलता है। जर्मनी के वैज्ञानिकों ने चांसलर और मंत्रियों को एक साधारण-सा कार्य करने की सलाह दी है। उन्होंने गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारा करने पर जोर दिया है।
दावा किया जा रहा है कि जर्मनी के वैज्ञानिकों ने वहां के मंत्रिमंडल को निश्चिंत किया है कि अगर सभी व्यक्ति दिन में कुछ समय नमक मिले गुनगुने पानी से गरारा कर लेंगे तो जर्मनी से एक हफ्ते में वायरस पूरी तरह से साफ हो जाएगा।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को गलत पाया। जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा चांसलर और मंत्रिमंडल को दी गई ऐसी किसी भी सलाह की खबर हमें नहीं मिली। वहीं, एम्स के डॉक्टर का कहना है कि नमक मिले गुनगुने पानी का कोरोना वायरस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक यूजर Kaviraj Tamiz Mannan ने 10 जनवरी को इस मैसेज को पोस्ट किया। इसमें लिखा है,
End of the virus with prevention
German scientists announced, after a series of studies, that the Corona virus not only reproduces in the lungs like the SARS virus in 2002, but also spreads widely in the throat during the first week of infection.
Scientists suggested to the German chancellor and the Minister of Health that they ask people to do a simple task several times a day, which is to gargle with a semi-hot solution of Abmonak.
They have long stressed the need to do this, and now, after the results of experiments conducted by German biologists on the reproduction of the Corona virus in the throat, they have emphasized once again the necessity of gargling with a lukewarm solution of water and salt ..
German scientists assure the German Ministry of Health: if all people clear their throat several times a day by gargling with a semi-hot solution of salt water, the virus will be completely eliminated throughout Germany within a week.
Experiments have shown that by gargling with a solution of water and salt, we constantly turn our throats into a completely alkaline environment, and this environment is the worst environment for the coronavirus, because with salt water, the pH of the mouth changes to an alkaline pH, and if we gargle several times a day by gargling with saline Almost hot, we are not giving the coronavirus a chance to multiply.
It is therefore necessary for all people to gargle with a semi-hot saline solution several times a day several times a day especially in the morning and before leaving the house and after returning home, so as not to allow the Corona virus to multiply at all in the same initial period.
Let’s ask all people to carefully follow these important and least harmful health tips
As this article goes viral, you too will be in the circle of those fighting the spread of the coronavirus
Send to your loved ones
(बचाव से वायरस का खात्मा करें
कई अध्ययनों के बाद जर्मन वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि कोरोना वायरस न केवल सार्स वायरस की तरह फेफड़ों में फैलता है, बल्कि संक्रमण के पहले हफ्ते में गले में भी तेजी से फैलता है।
वैज्ञानिकों ने जर्मन चांसलर और स्वास्थ्य मंत्री को सुझाव दिया कि वे लोगों को दिन में कई बार एक साधारण कार्य करने के लिए कहें, जो कि अबमोनक के हल्के गर्म घोल से गरारे करना है।
वे काफी से समय से इसकी जरूरत महसूस कर रहे थे, और अब जर्मन वैज्ञानिकों ने जब गले में कोरोना वायरस के फैलने पर प्रयोग कर लिए हैं, तब उन्होंने फिर से गुनगुने पानी और नमक के घोल से गरारे करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
जर्मन वैज्ञानिकों ने स्वास्थ्य मंत्रालय को आश्वस्त किया है: यदि सभी लोग नमक मिले गुनगुने पानी से दिन में कई बार गरारा करेंगे तो तो एक सप्ताह में जर्मनी वायरस से मुक्त हो जाएगा।
एक्सपेरिमेंट्स से पता चला है कि पानी और नमक के घोल से गरारे करने से हम लगातार अपने गले को पूरी तरह से ऐसे वातावरण में बदलते हैं, जो कोरोनावायरस के लिए सबसे खराब होता है, क्योंकि खारे पानी से मुंह का पीएच एल्कलाइन पीएच में बदल जाता है। अगर हम दिन में कई बार नमक मिले गुनगुने पानी से गरारे करते हैं तो ऐसा करके कोरोना वायरस को फैलने से राकते हैं।
सभी लोगों के लिए यह आवश्यक है कि दिन में कई बार, विशेष रूप से सुबह और घर से निकलने से पहले और घर लौटने के बाद गरारे करें तो शुरुआती दौर में ही कोरोना वायरस को फैलने से रोक देंगे।
सभी लोगों से इन महत्वपूर्ण और कम से कम हानिकारक हेल्थ टिप्स का पालन करने के लिए कहें।
जब यह आर्टिकल वायरल होगा तो आप भी उन लोगों के साथ खड़े होंगे जो कोरोनावायरस को फैलने से रोक रहे हैं।
अपने प्रियजनों को भेजें)
पड़ताल
वायरल पोस्ट की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा चांसलर और स्वास्थ्य मंत्रालय को गुनगुने पानी और नमक के घोल की सलाह देने वाले दावे को कीवर्ड से सर्च किया। इसमें हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे यह साबित हो सके कि ऐसी कोई सलाह दी गई है।
इसके बाद हमने गुनगुने पानी और नमक के घोल से कोरोना वायरस को खत्म करने के दावे की पड़ताल की। इसके लिए कीवर्ड से न्यूज सर्च करने पर हमें Johns Hopkins University की एक रिपोर्ट मिली, जिसे 20 मार्च 2020 को प्रकाशित किया गया है। इसके मुताबिक, “While it is true that coronavirus can cause a sore throat and gargling with warm water may make it feel better, it has no direct effect on the virus.” (हालांकि, यह सच है कि कोरोना वायरस की वजह से गले में खराश की समस्या आती है और गुनगुने पानी के गरारे से थोड़ा आराम मिलता है, लेकिन यह वायरस पर सीधा असर नहीं करता है।)
वायरल दावे की और सर्च करने पर हमें 16 मार्च 2020 को PIBFactCheck का ट्वीट मिला। इसके अनुसार, गुनगुने पानी में नमक और सिरका मिलाकर गरारा करने से कोरोना वायरस ठीक नहीं होता है।
इस बारे में विश्वास न्यूज ने एम्स के डॉ. नीरज निश्चल से बात की। उनका कहना है, गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से कोरोना ठीक होने का कोई आधार नहीं है। इससे केवल गले की खराश में आराम मिलेगा, लेकिन कोरोना वायरस पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे कोरोना खत्म होने वाली बात गलत है। कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क और हैंड सैनिटाइज करना जरूरी है।
इस दावे को पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर Kaviraj Tamiz Mannan की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इससे पता चला कि वह दक्षिण भारत के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से कोरोना वायरस खत्म नहीं होता है। जर्मनी के वैज्ञानिकों ने इस तरह की कोई भी सलाह वहां के चांसलर और स्वास्थ्य मंत्रालय को नहीं दी है।
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