Fact Check: दिवाली से पहले गृह मंत्रालय के नाम से फिर वायरल हुआ चीनी प्रोडक्ट्स को नहीं खरीदने का फर्जी मैसेज

गृह मंत्रालय के वरिष्ठ जांच अधिकारी के हवाले से चीनी पटाखों और लैंप को नहीं खरीदने को कहने वाला मैसेज फर्जी है। यह कई साल से दिवाली से पहले वायरल होता रहा है।

Fact Check: दिवाली से पहले गृह मंत्रालय के नाम से फिर वायरल हुआ चीनी प्रोडक्ट्स को नहीं खरीदने का फर्जी मैसेज

नई दिल्ली (विश्‍वास न्‍यूज)। दिवाली से पहले सोशल मीडिया पर गृह मंत्रालय के कथित अधिकारी के नाम से एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें गृह मंत्रालय के कथित वरिष्ठ जांच अधिकारी विश्‍वजीत मुखर्जी के हवाले से दावा किया जा रहा है कि चीन ने भारत में ऐसे पटाखे और लैंप भेजे हैं, जिनसे अस्थमा और अंधेपन का खतरा हो सकता है। संदेश में इन चीनी प्रोडक्ट्स को नहीं खरीदने को कहा गया है।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी जांच में पाया कि गृह मंत्रालय ने ऐसा कोई संदेश जारी नहीं किया है। इतना ही नहीं, गृह मंत्रालय में विश्‍वजीत मुखर्जी नाम का कोई अधिकारी ही नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट

विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर्स ने इस पोस्ट को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।

फेसबुक यूजर ‘पंकज जैन‘ (आर्काइव लिंक) ने 11 अक्टूबर को इस पोस्ट शेयर किया। इसमें लिखा है,

महत्वपूर्ण सूचना

खुफिया जानकारी के मुताबिक, चूंकि पाकिस्तान भारत पर सीधे हमला नहीं कर सकता, इसलिए उसने भारत से बदला लेने की मांग की है। चीन ने भारत में अस्थमा फैलाने के लिए कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से भी ज्यादा जहरीले पटाखों का विकास किया है। इसके अलावा भारत में आंखों की बीमारियों को फैलने के लिए विशेष लाइट डेकोरेटिव लैंप भी विकसित किए जा रहे हैं जो अंधेपन का कारण बनता है। पारे का बहुत उपयोग किया गया है, कृपया इस दिवाली सावधान रहें और इन चीनी उत्पादों का उपयोग न करें। इस संदेश को सभी भारतीयों तक फैलाएं।

जय हिन्द

विश्वजीत मुखर्जी,

वरिष्ठ जांच अधिकारी,

गृह मंत्रालय,

भारत सरकार, (सीजी)

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे वायरल दावे को साबित किया जा सके। अगर गृह मंत्रालय के कोई वरिष्ठ अधिकारी इस तरह का मैसेज जारी करते, तो मीडिया में जरूर आता।

इसके बाद हमने गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर ऐसे किसी आदेश के बारे में सर्च किया, लेकिन वहां भी ऐसा कोई सर्कुलर या प्रेस रिलीज नहीं मिला।

हमने गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद अधिकारियों की लिस्ट भी चेक की, लेकिन विश्वजीत मुखर्जी नाम के किसी भी शख्स का नाम उस सूची में नहीं है। हां, मंत्रालय के एडमिन विभाग में जरूर विश्वजीत कुमार गुप्ता कार्यरत हैं, लेकिन वह न तो जांच अधिकारी हैं और न ही उनका सरनेम मुखर्जी है।

3 नवंबर 2020 को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट कर इस मैसेज को फर्जी बताया था। पोस्ट में जानकारी दी गई थी कि गृह मंत्रालय ने ऐसी कोई सूचना जारी नहीं की है।

इससे पहले भी कई बार दिवाली से पहले यह मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिसकी पड़ताल विश्‍वास न्‍यूज ने की थी। उस समय हमने दैनिक जागरण की तरफ से गृह मंत्रालय कवर करने वाले नेशनल ब्यूरो के पत्रकार नीलू रंजन से बात की थी। उन्होंने बताया था, “यह मैसेज फर्जी है। सोशल मीडिया पर काफी साल से यह पोस्ट वायरल हो रही है। सरकार ने ऐसा कोई मैसेज जारी नहीं किया है। गृह मंत्रालय भी इस दावे को फेक बता चुका है।

अंत में हमने फर्जी मैसेज शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया। इसके मुताबिक, यूजर के करीब 3800 फ्रेंड्स हैं।

निष्कर्ष: गृह मंत्रालय के वरिष्ठ जांच अधिकारी के हवाले से चीनी पटाखों और लैंप को नहीं खरीदने को कहने वाला मैसेज फर्जी है। यह कई साल से दिवाली से पहले वायरल होता रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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