विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। वायरल पोस्ट में दिख रही दोनों तस्वीरें अलग-अलग स्थानों की हैं। ओडिशा आर्कियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, सूर्य मंदिर के संरक्षण के दौरान सादे पत्थर सिर्फ उन इमारतों के संरक्षण में लगाए गए थे, जहां पर किसी भी संरचना का प्रमाण बचा नहीं था। कभी भी सूर्य मंदिर में नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादे पत्थर नहीं लगाए गए।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर आज कल एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर में नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादे पत्थर लगाए जा रहे हैं। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। वायरल पोस्ट में दिख रही दोनों तस्वीरें अलग अलग स्थानों की हैं। ओडिशा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक, सूर्य मंदिर के संरक्षण के दौरान सादे पत्थर सिर्फ उन इमारतों के संरक्षण में लगाए गए थे जहां पर किसी तरह की संरचना का प्रमाण नहीं था। कभी भी सूर्य मंदिर में नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादे पत्थर नहीं लगाए गए।
क्या हो रहा है वायरल?
वायरल पोस्ट में 2 तस्वीरें हैं जिनमें एक दीवार पर मूर्तियां हैं और दूसरी तस्वीर में सादे पत्थर की दीवार है। पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है “Horrific unacceptable disgusting!!!! 40% of the artistic stone carvings have been replaced by the ASI with plain stones, causing irreplaceable loss to the uniqueness of the temple”. Odisha govt. tried to intervene, but in vain. Hey @ASIGoI the famous sun temple has been secularised The temple has been deliberately, systematically destroyed priceless stone carvings on the outer surface of the iconic #Konark Sun Temple, causing irreplaceable loss to one of India’s cultural & architectural wonders. Kalapahad must be happy to see this.”
जिसका हिंदी अनुवाद होता है “भयावह अस्वीकार्य घृणित !!!! 40% कलात्मक पत्थर की नक्काशी को एएसआई द्वारा सादे पत्थरों से बदल दिया गया है, जिससे मंदिर की विशिष्टता को अपूरणीय क्षति हुई है ”। ओडिशा सरकार ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन व्यर्थ में। अरे @ASIGoI, प्रसिद्ध सूर्य मंदिर को धर्मनिरपेक्ष किया जा रहा है। जानबूझकर, प्रतिष्ठित #Konark सूर्य मंदिर की बाहरी सतह पर अनमोल पत्थर की नक्काशी को नष्ट कर दिया गया है, जिससे भारत के सांस्कृतिक और वास्तुशिल्प आश्चर्यों में से एक इस मंदिर को अपूरणीय क्षति हुई है। कालापहाड़ को यह देखकर खुश होना चाहिए।”
इस पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।
पड़ताल
इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने सीधा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से बात करने का फैसला किया। हमने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के ओडिशा सर्किल के अधीक्षक अरुण मालिक से बात की। उन्होंने हमें बताया, “कोणार्क सूर्य मंदिर में नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादे पत्थरों को लगाने वाला ट्वीट गलत और भ्रामक है। ट्वीट में दिखाई गई दोनों तस्वीरें अगल-अलग स्थानों की हैं। नक्काशी वाले पत्थरों वाली तस्वीर नाट्य मंडप की है, जबकि सादे पत्थरों की तस्वीरें जगमोहन (मुख्य मंदिर) के मैदान से है। तस्वीर में दिखाए गए सादे पत्थर का काम 1984 से 1989 तक किया गया था। उस समय ASI की तत्कालीन पुरातात्विक नीति के अनुसार, केवल सादे पत्थर का उपयोग वहां किया था, जहाँ पर किसी भी संरचना का प्रमाण नहीं बचा था। कभी भी नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादा पत्थर नहीं लगाया गया।”
हमें इस संदर्भ में ASI का एक ट्वीट भी मिला, जिसमें भी नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादे पत्थर को लगाने की बात को नकारा गया था।
इस पोस्ट को कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया है, जिनमें से एक है फेसबुक यूजर Bulu Nahak। इस यूजर के कुल 3,043 फ़ॉलोअर्स हैं। यूजर ओडिशा के भुवनेश्वर का रहने वाला है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। वायरल पोस्ट में दिख रही दोनों तस्वीरें अलग-अलग स्थानों की हैं। ओडिशा आर्कियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, सूर्य मंदिर के संरक्षण के दौरान सादे पत्थर सिर्फ उन इमारतों के संरक्षण में लगाए गए थे, जहां पर किसी भी संरचना का प्रमाण बचा नहीं था। कभी भी सूर्य मंदिर में नक्काशी वाले पत्थरों को हटा कर सादे पत्थर नहीं लगाए गए।
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