नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। ऑल्ट न्यूज के फेसबुक पेज से साझा की गई एक रिपोर्ट (आर्काइव लिंक) में यह दावा किया गया है कि दैनिक जागरण ने अपनी कुछ रिपोर्ट्स के जरिये कुछ विशेष घटनाक्रमों को सांप्रदायिक रंग देते हुए पाठकों को गुमराह करने की कोशिश की। ऑल्ट न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित घटनाओं की रिपोर्टिंग का जिक्र किया है:
1. असम में “फ्लड जिहाद” पर अन्य मीडिया हाउस की रिपोर्टिंग का हवाला देते हुए दैनिक जागरण पर इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया है।
2. 23 अप्रैल 2022 को “गिरिडीह में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारेबाजी मामले में मुखिया प्रत्याशी को भी भेजा गया जेल, 50-60 अज्ञात पर केस” शीर्षक से प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए दैनिक जागरण पर गलत रिपोर्टिंग का आरोप लगाया गया है। ऑल्ट ने अपनी जांच में दावा किया है कि संबंधित मामले में “पाकिस्तान जिंदाबाद” का नारा नहीं लगाया गया।
विश्वास न्यूज ने इन दावों की जांच की और पाया कि ऑल्ट न्यूज की रिपोर्ट में किए गए कई दावे तथ्यों के विपरीत है और यह दैनिक जागरण के खिलाफ दुष्प्रचार की रणनीति के तहत तथ्यों को तोड़-मरोड़कर और गलत संदर्भ में पेश किया गया है।
ऑल्ट न्यूज ने जनवरी 2021 से जुलाई 2022 के बीच दैनिक जागरण में प्रकाशित 17 रिपोर्ट्स की सूची को साझा करते हुए दावा किया है कि ये रिपोर्ट्स गुमराहपूर्ण थीं। जबकि इनमें से 9 रिपोर्ट्स को संसोधन नीति (करेक्शंस पॉलिसी) के तहत पहले ही सुधारा जा चुका था। ऑल्ट ने अपनी सूची में दो खबरों के बारे में “Unable to Verify” का जिक्र किया है। इनमें से एक खबर का संशोधन उसके प्रयागराज संस्करण में प्रकाशन के अगले ही दिन किया जा चुका था। दूसरी खबर की सत्यता को इस फैक्ट चेक रिपोर्ट में चेक किया गया है, जिसके तथ्यों को लेकर ऑल्ट ने जागरण के खिलाफ दुष्प्रचार करने की कोशिश की।
6 रिपोर्ट्स के बारे में ऑल्ट ने यह दावा किया गया है कि त्रुटिपूर्ण होने के बावजूद इन्हें संशोधित नहीं किया गया। ऑल्ट की रिपोर्ट के संज्ञान में लाए जाने के बाद 3 खबरों को संशोधन नीति और स्थापित एसओपी के तहत सुधार दिया गया। जबकि 3 खबरों में कोई त्रुटि नहीं पाई गई और इनमें से एक खबर को लेकर किए गए ऑल्ट के दावे को इस रिपोर्ट में फैक्ट चेक किया गया है।
ऑल्ट न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में “फ्लड जिहाद” पर अन्य मीडिया हाउस की रिपोर्टिंग का हवाला देते हुए दैनिक जागरण में जुलाई 2022 में प्रकाशित खबर का जिक्र करते हुए असम में आई बाढ़ को “सांप्रदायिक” रंग देने का आरोप लगाया है।
ऑल्ट ने खुद ही अपनी रिपोर्ट में लिखा है, “हिंदी मीडिया समाचार संगठन दैनिक जागरण ने ‘फ्लड जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है”, लेकिन इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है, जो वास्तव में तथ्यों की गलत व्याख्या है। वास्तव में दैनिक जागरण की रिपोर्ट कहीं से भी तथ्यों के विपरीत नहीं है और न ही यह असम में आई बाढ़ को “सांप्रदायिक” रंग देने की कोशिश है। इसकी पुष्टि रिपोर्ट में लिखी गई बातों से की जा सकती है, जिसका उल्लेख यहां क्रमवार किया गया है-
i.तटबंध को तोड़ने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और इनकी पहचान काबुल खान, मिठू हुसैन लस्कर, नाजिर हुसैन लस्कर और रिपून खान के रूप में हुई है।
ii. असम पुलिस के आईजीपी देबराज उपाध्याय ने बताया कि तटबंध को तोड़ने के कारणों का पता लगाया जा रहा है।
iii. जल संसाधन विभाग ने इस मामले में 23 मई को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। विभाग ने बेथुकंडी में अज्ञात लोगों द्वारा तटबंध काटने का आरोप लगाया था।
iv. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सिलचर में आई बाढ़ के पीछ तोड़फोड़ का आरोप लगाया था और इसके कारणों का पता लगाने और उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही थी, जिसके बाद इन चारों की गिरफ्तारी की गई।
v. गिरफ्तार आरोपियों ने कहा कि उन्होंने बरसाती नाले के पानी को बराक नदी में ले जाने के लिए तटबंध को तोड़ा था। जून में भारी बारिश हुई तो बराक नदी में पानी बढ़ गया और इसी रास्ते से सिलचर शहर में घुस गया।
साफ और स्पष्ट है कि इस मामले में दैनिक जागरण ने घटनाक्रम से संबंधित तथ्यों को पाठकों के सामने रखा है, जो इस घटना और इस मामले में की गई कार्रवाई से संबंधित है।
जागरण की रिपोर्ट न तो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अन्य प्रकाशित रिपोर्ट्स में “फ्लड जिहाद” के दावों का समर्थन करती है और न ही इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करती है। इस रिपोर्ट में केवल घटनाक्रम से संबंधित तथ्यों और मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी दी गई है।
दैनिक जागरण में 23 अप्रैल 2023 को “गिरिडीह में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारेबाजी मामले में मुखिया प्रत्याशी को भी भेजा गया जेल, 50-60 अज्ञात पर केस” शीर्षक से प्रकाशित खबर का जिक्र करते हुए ऑल्ट न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वहां “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे नहीं लगाए गए।
हमने अपनी जांच में पाया कि इस मामले में दैनिक जागरण की रिपोर्ट नहीं, बल्कि ऑल्ट की रिपोर्ट तथ्यों के विपरीत है। दैनिक जागरण के गिरिडीह संस्करण में 27 अप्रैल 2022 को प्रकाशित खबर का जिक्र ऑल्ट न्यूज की रिपोर्ट में नहीं है, जो यह बताती है कि वहां “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए गए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रकाश सहाय ने कोर्ट में स्वीकार किया, “नामांकन के दौरान कुछ लोगों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। वह लोग कोई और थे और प्रत्याशी शाकिर तो अपने वाहन में बैठा था।” हालांकि, यह मामला देशद्रोह का या किसी की भावनाओं को भड़काने का नहीं है।
रिपोर्ट में बचाव पक्ष के वकील की अन्य दलीलों का जिक्र है, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि वहां “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए गए थे। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, “देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद चंडीगढ़ में कुछ लोगों ने हिंदुस्तान मुर्दाबाद और खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे। वह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला था। सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले को देशद्रोह को श्रेणी में नहीं माना था। ऐसे में सिर्फ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने से देशद्रोह का मामला नहीं बनता है।”
दैनिक जागरण झारखंड के गिरिडीह में “पाकिस्तान जिंदाबाद” का नारा लगाए जाने की रिपोर्ट पर कायम है और तथ्यों की पुनर्पुष्टि के बाद हम इस बात को दुहराते हैं कि दैनिक जागरण की रिपोर्ट में न तो तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है और न ही किसी तरह से पाठकों को गुमराह करने की कोशिश की गई है।
*हम पाठकों को बताना चाहते हैं कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। हमारा मकसद इस मामले में अदालती कार्यवाही को प्रभावित करना नहीं है।
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