Fact Check: अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण की सैन्य सम्मान के साथ हुई अंतिम विदाई, परिवार को मिलेगी 1 करोड़ 13 लाख से ज्यादा की मदद
अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण की शहादत के बाद उनके परिजनों को सेना के नियमानुसार, 1 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि मिलेगी। उनकी अंतिम विदाई सैन्य सम्मान के साथ की गई है। हां, अग्निवीरों को पेंशन और ग्रेच्युटी की सुविधा नहीं मिलती है। सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है।
- By: Sharad Prakash Asthana
- Published: Oct 25, 2023 at 01:25 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सियाचीन में शहीद हुए अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट वायरल हो रही हैं। अक्षय की फोटो शेयर कर कुछ यूजर्स दावा कर रहे हैं कि अग्निवीरों को न तो सम्मान मिलता है और न ही पेंशन और ग्रेच्युटी।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है। दरअसल, अग्निवीरों को पेंशन और ग्रेच्युटी नहीं मिलती है, लेकिन शहीद होने पर उनके परिजनों को इंश्योरेंस कवर, अनुग्रह राशि और सेवा निधि समेत कुछ अन्य आर्थिक सहायता मिलती है। साथ ही सैन्य सम्मान के साथ उनको विदाई दी जाती है। अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण के परिजनों को नियमानुसार, एक करोड़ 13 लाख से ज्यादा का मुआवजा मिलेगा। शहीद की अंतिम विदाई भी सैन्य सम्मान के साथ की गई।
क्या है वायरल पोस्ट
फेसबुक यूजर ‘द रिअल रिपब्लिक‘ (आर्काइव लिंक) ने 24 अक्टूबर को अक्षय लक्ष्मण की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा,
“सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण शहीद हो गये।
ग़रीब परिवार का सहारा उठ गया, किसी माँ का लाल उठ गया, परिजन दुख में डूबे हैं।
न कोई पेंशन,न ग्रेच्युटी और न कोई सैनिक सम्मान।
अग्निवीर योजना बेरोज़गार युवाओं के साथ एक भद्दा मज़ाक़ है, वीर शहीद अग्निवीरों के बलिदान का उपहास है।”
एक्स यूजर ‘Surya Pratap Singh IAS Rtd.’ (आर्काइव लिंक) ने भी 23 अक्टूबर को इस तरह का दावा किया।
पड़ताल
वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से सर्च किया। 23 अक्टूबर को आजतक की वेबसाइट पर इस बारे में खबर छपी है। इसके अनुसार, “भारतीय सेना के जवान गावते अक्षय लक्ष्मण लाइन ऑफ ड्यूटी पर तैनाती के दौरान शहीद होने वाले पहले अग्निवीर हैं। वह लद्दाख के सियाचिन में तैनात थे। सेना ने कहा है कि शहीद के परिजनों को एक करोड़ से अधिक की धनराशि मिलेगी। आर्मी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि शहीद के परिजनों को 1 करोड़ 13 लाख से अधिक का मुआवजा मिलेगा।”
लाइव हिन्दुस्तान की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, “अग्निवीर चार साल के लिए सेना में अपनी सेवा देते हैं। उनको ग्रेच्युटी और पेंशन की सुविधा नहीं मिलती है। उनकी सेवा निधि पर इनकम टैक्स भी नहीं लगता है। जितनी राशि अग्निवीर हर महीने कॉर्पस फंड में देता है, उतनी ही राशि का योगदान सरकार देती है। चार साल की सेवा के बाद यह 10 लाख रुपये पहुंच जाती है। अगर ड्यूटी के दौरान कोई अग्निवीर शहीद हो जाता है, तो उनके परिजनों को 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर, 44 लाख रुपये अनुग्रह राशि, चार साल की सेवा निधि और कॉर्पस फंड मिलता है। गवाते की मौत के मामले में सेना का कहना है कि नियमों के अनुसार, इंश्योरेंस राशि 48 लाख रुपये, अनुग्रह राशि 44 लाख रुपये, चार साल के बचे कार्यकाल की सैलरी 13 लाख रुपये से ज्यादा, आर्म्ड फोर्सेज कैजुअल्टी फंड से 8 लाख रुपये, फौरन 30 हजार रुपये की मदद और सेवा निधि में अग्निवीर या योगदान (30%) भी परिवार को मिलेगा।”
भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्पस के आधिकारिक एक्स हैंडल से 22 अक्टूबर को कुछ तस्वीरों को पोस्ट (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा गया, “बर्फ में चुपचाप बने रहने के लिए, जब बिगुल बजेगा तो वे उठेंगे और फिर से मार्च करेंगे।
फायर एंड फ्यूरी कोर के सभी रैंक सियाचिन की कठिन ऊंचाइयों पर ड्यूटी के दौरान अग्निवीर (ऑपरेटर) गावते अक्षय लक्ष्मण के सर्वोच्च बलिदान को सलाम करते हैं और परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”
पोस्ट की गई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि अक्षय को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
22 अक्टूबर को भारतीय सेना की तरफ से पोस्ट (आर्काइव लिंक) की जानकारी दी गई, “अग्निवीर (ऑपरेटर) गावते अक्षय लक्ष्मण ने सियाचिन में कर्तव्य निभाते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। दुःख की इस घड़ी में भारतीय सेना शोक संतप्त परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है।
मृतक के परिजनों को वित्तीय सहायता के संबंध में सोशल मीडिया पर परस्पर विरोधी संदेशों को देखते हुए यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि परिजनों को मिलने वाली मदद सैनिक की सेवा के प्रासंगिक नियमों और शर्तों द्वारा शासित होती हैं।
अग्निवीरों की नियुक्ति की शर्तों के अनुसार, वे बैटल कैजुअलिटी के लिए अधिकृत परिलब्धियों में शामिल होंगे-
– गैर अंशदायी बीमा राशि 48 लाख रुपये।
– सेवा निधि में अग्निवीर (30%) का योगदान, सरकार द्वारा समान योगदान और उस पर ब्याज के साथ राशि।
– 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि।
– मृत्यु की तारीख से चार साल पूरे होने तक शेष कार्यकाल का भुगतान (तत्काल मामले में 13 लाख रुपये से अधिक)।
– आर्म्ड फोर्सेज बैटल कैजुअलिटी फंड से 8 लाख रुपये का योगदान।
– AWWA की ओर से तत्काल 30 हजार रुपये की आर्थिक सहायता।”
23 अक्टूबर को एएनआई के एक्स हैंडल से वीडियो पोस्ट करते हुए जानकारी दी गई, “अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण का अंतिम संस्कार उनके पार्थिव शरीर को महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के पिंपलगांव सराय गांव में उनके आवास पर लाए जाने के बाद शुरू हुआ।
वह पहले अग्निवीर हैं, जिन्होंने ऑपरेशन में अपनी जान दी है। उन्हें दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में तैनात किया गया था।” वीडियो में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई देते हुए देखा जा सकता है।
इस बारे में गावते अक्षय लक्ष्मण के गांव पिंपलगांव सराय के सरपंच प्रदीप शेषराव गायकवाड का कहना है, “पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ सेना के ट्रक में गांव लाया गया था। अंतिम संस्कार के दौरान सेना और पुलिस के जवानों ने सलामी दी थी। पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया है। उनको सैन्य सम्मान नहीं दिए जाने का दावा झूठा है।“
इससे पहले पंजाब के अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत के बाद उनको सैन्य सम्मान नहीं मिलने पर सोशल मीडिया पर कई भ्रामक पोस्ट वायरल हुई थीं। उस समय विश्वास न्यूज से बातचीत में रिटायर्ड ब्रिगेडियर एवं लंबे समय तक आर्मी के पीआरओ रहे श्रुतिकांत ने कहा था, “सेना में सुसाइड करने के मामले में सैन्य सम्मान नहीं दिया जाता है।” वहीं, जम्मू में नॉर्दर्न कमांड के पीआरओ कर्नल सुनील बर्तवाल ने कहा था, “सभी अग्निवीरों को सेना के अन्य जवानों की तरह समझा जाता है। उनमें कोई भी भेदभाव नहीं होता है। अमृतपाल सिंह ने सुसाइड किया था।“
अंत में भ्रामक दावा करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। 27 फरवरी 2016 को बने इस पेज के करीब 47 हजार फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण की शहादत के बाद उनके परिजनों को सेना के नियमानुसार, 1 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि मिलेगी। उनकी अंतिम विदाई सैन्य सम्मान के साथ की गई है। हां, अग्निवीरों को पेंशन और ग्रेच्युटी की सुविधा नहीं मिलती है। सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है।
- Claim Review : अग्निवीरों को न तो सैन्य सम्मान मिलता है और न ही पेंशन और ग्रेच्युटी।
- Claimed By : FB User- The Real Republic
- Fact Check : भ्रामक
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