पुराने या प्राचीन बैंक नोटों या सिक्कों को खरीदे जाने की केंद्र सरकार की घोषणा का दावा फेक है और इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा वीडियो एडिटेड है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन संबंधी उदघोषणा के क्लिप को शामिल कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने पुराने नोटों और सिक्कों को खरीदने की घोषणा की है। वायरल वीडियो में किसी बात की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री का एक छोटा वीडियो क्लिप भी शामिल है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि केंद्र सरकार ने ऐसी कोई घोषणा की है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा फेक निकला। केंद्र सरकार की तरफ से पुराने या प्राचीन नोटों या सिक्कों को खरीदने जैसी कोई घोषणा नहीं की गई है और इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा वीडियो एडिटेड है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी की घोषणा वाले संबोधन के छोटे वीडियो क्लिप को इस वीडियो में जोड़कर लोगों को झांसा देने की कोशिश की गई है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Padamakar Patil’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ने आर्थिक मुश्किल की दौर में लोगों की मदद के लिए प्राचीन और पुराने सिक्कों और नोटों को खरीदे जाने की नीति की घोषणा की है।
विश्वास न्यूज के Whatsapp टिपलाइन नंबर पर भी यूजर्स ने इस वीडियो को भेजकर उसकी सच्चाई को बताने का अनुरोध किया है।
वायरल वीडियो की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से होती है, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “……आज रात 12 बजे से पूरे देश में…….।” इसके बाद वीडियो में बताया जाता है, “…..दोस्तों अभी-अभी सरकार की ओर से बड़ी ब्रेकिंग न्यूज निकलकर सामने आ रही है। इस दौरान सरकार ने आप सभी के पास जितने भी प्राचीन काल से जुड़े सिक्के या नोट हैं, उन सभी को खरीदने का ऐलान कर दिया है। इस घड़ी में सरकार सराकर की ओर से आम जनता के लिए यह बड़ा फैसला है।”
सबसे पहले हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन वाले वीडियो क्लिप के ऑरिजिनल सोर्स को ढूंढा। यह वीडियो क्लिप हमें कई पुरानी रिपोर्ट्स में लगी मिली, जो कोविड-19 के दौरान देश में पहली बार 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा से संबंधित है।
यानी, वायरल वीडियो क्लिप में शामिल किया गया पीएम मोदी का क्लिप लॉकडाउन की घोषणा से संबंधित है, न कि किसी नीति की घोषणा से। न्यूज सर्च में भी हमें ऐसी कोई रिपोर्ट्स नहीं मिली, जिसमें इस तरह कि किसी घोषणा का जिक्र हो।
भारतीय मुद्रा और बैंकिंग तंत्र को विनियमित करने वाली संस्था आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक है, जो वित्त मंत्रालय के तहत आता है और यह भारतीय मुद्रा नियंत्रण, उसकी आपूर्ति और उसके रख-रखाव के लिए जिम्मेदार संस्था है।
सर्च में हमें आरबीआई की वेबसाइट पर ऐसी किसी अधिसूचना की जानकारी नहीं मिली। सर्च में चार अगस्त 2021 को जारी सर्कुलर मिला, जिसमें आरबीआई ने लोगों को पुराने बैंक नोटों और सिक्कों की खरीद और बिक्री के प्रलोभन से दूर रहने की सलाह दी है।
इसमें साफ-साफ कहा गया है, “कुछ लोग आरबीआई के नाम और लोगो का इस्तेमाल कर पुराने बैंक नोटों और सिक्कों की खरीद बिक्री के नाम पर कमीशन या शुल्क की वसूली कर रहे हैं। हम मह यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि आरबीआई ऐसा कोई काम नहीं करता है और न ही उसने किसी संस्था, कंपनी या व्यक्ति आदि को ऐसे लेन-देन के लिए शुल्क या कमीशन वसूलने के लिए इस काम के लिए अधिकृत किया है।”
कई अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में भी आरबीआई की हिदायत का जिक्र है।
वायरल दावे को लेकर विश्वास न्यूज ने आरबीआई से संपर्क किया। आरबीआई प्रवक्ता ने बताया, “आरबीआई किसी भी व्यक्ति या संस्था को पुराने नोटों या सिक्कों को कलेक्ट करने या उसकी खरीद-बिक्री के लिए अधिकृत नहीं करता है। इस मामले में आरबीआई पहले भी लोगों को हिदायत दे चुका है।”
पुराने सिक्कों या नोटों का अपना एक एंटीक वैल्यू होता है और कई ऐसे प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जहां इस तरह के सिक्कों या नोटों की खरीद बिक्री होती है। इंडिया मार्ट समेत कई अन्य ऐसी वेबसाइट है, जहां इस तरह के नोटों की खरीद-बिक्री होती है। हालांकि, ये प्लेटफॉर्म इस तरह की लेन-देन देने के लिए थर्ड पार्टी के तौर पर ही काम करते हैं, जो विक्रेता और खरीदार को एक मंच प्रदान करते हैं।
वायरल वीडियो को शेयर करने वाले पेज को फेसबुक पर करीब 14 हजार लोग फॉलो करते हैं। बिजनेस और फाइनैंस से संबंधित अन्य दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: पुराने या प्राचीन बैंक नोटों या सिक्कों को खरीदे जाने की केंद्र सरकार की घोषणा का दावा फेक है और इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा वीडियो एडिटेड है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉकडाउन संबंधी उदघोषणा के क्लिप को शामिल कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
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