Fact Check: सेना द्वारा पत्थरबाजों पर गोली चलाये जाने पर एफआईआर न होने का दावा फ़र्ज़ी है

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है कि अगर फ़ौज पत्थरबाज़ों पर फायरिंग करती है तो उस पर एफआईआर दर्ज नहीं होगी। वायरल दावा फ़र्ज़ी है।

Fact Check: सेना द्वारा पत्थरबाजों पर गोली चलाये जाने पर एफआईआर न होने का दावा फ़र्ज़ी है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के हवाले से यह दावा किया जा रहा है कि सेना पर पत्थर चलाने वालों को सीधा गोली मारने पर भी कोई एफआईआर दर्ज नहीं होगी। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा फ़र्ज़ी साबित हुआ। पड़ताल में यह साबित हुआ कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा कोई फैसला नहीं सुनाया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर ‘Rajesh Barnwal’ ने ‘सौ करोड़ हिंदुओ का समूह समूह से जुड़ते ही अपने 50 मित्रो को जोड़े’ नाम के ग्रुप पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘सेना पर पत्थर चलाने वालों को सीधा गोली मारने पर भी कोई FIR नही होगी- सुप्रीम कोर्ट। जय हिन्द”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

सोशल मीडिया पर बहुत-से यूजर इस फ़र्ज़ी कहानी को शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने कीवर्ड्स डाल कर न्यूज़ सर्च के ज़रिये वायरल दावे की सच्चाई जाननी चाही। सर्च में हमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा कोई फैसला नहीं मिला, जो वायरल दावे को सही साबित करता हो।

दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 12 फरवरी 2018 की वेबसाइट पर छपी एक खबर मिली। इसके मुताबिक, ” श्रीनगर के शोपियां में 27 जनवरी को सेना के काफिले पर हिंसक भीड़ का हमला और पत्थरबाजी रोकने के लिए सेना द्वारा की गई फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सैन्य काफिले की अगुआई कर रहे मेजर आदित्य के खिलाफ रणवीर पैनल कोड की धारा 336, 307 और 302 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मेजर आदित्य के पिता की याचिका पर सुनावाई के दौरान साफ निर्देश दिए कि सेना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।” पूरी खबर यहां पढ़ें।

फरवरी 2018 में हिंसक भीड़ पर फायरिंग करने के आरोपी मेजर आदित्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर पर रोक लगाई थी। अब इसी मामले को फ़र्ज़ी दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी हमें ऐसा कोई फैसला नहीं मिला, जिसका दावा वायरल पोस्ट में किया गया है।

विश्वास न्यूज़ ने पुष्टि के लिए हमारे साथी दैनिक जागरण की लीगल ब्यूरो हेड माला दीक्षित से संपर्क किया और उनके साथ वायरल पोस्ट शेयर की। उन्होंने हमें बताया कि यह पोस्ट फ़र्ज़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई हुक्म नहीं दिया है।’ विश्वास न्यूज़ से मेजर आदित्य कुमार केस के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह मामला 2018 का है, जब मेजर आदित्य कुमार के घरवालों की अर्ज़ी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। यह सिर्फ इसी केस का मामला है। अब इसको सुप्रीम कोर्ट के हवाले से यह कह कर वायरल करना की पत्थरबाज़ों पर गोली चलने के बाद भी सेना पर एफआईआर नहीं होगी, यह पूरी तरह गलत है। ऐसा कुछ मुमकिन भी नहीं है और अगर ऐसा होता तो यह एक बहुत बड़ी खबर होती।

पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Rajesh Barnwal की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर को 207 लोग फॉलो करते हैं। यूजर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है कि अगर फ़ौज पत्थरबाज़ों पर फायरिंग करती है तो उस पर एफआईआर दर्ज नहीं होगी। वायरल दावा फ़र्ज़ी है।

False
Symbols that define nature of fake news
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