Fact Check: गोलवलकर की लिखी किताब के हवाले से FAKE और मनगढ़ंत बयान फिर से वायरल

माधवराव सदाशिव गोलवलकर की लिखी पुस्तक "We or Our Nationhood Defined" में राज्यों की संपत्ति और संसाधनों का मालिकाना हक कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को सौंपे जाने और दलितों व मुस्लिमों को समानता का अधिकार दिए जाने के बदले गुलामी में रहने जैसे किसी बयान का जिक्र नहीं है। गोलवलकर के नाम से वायरल हो रहे इन बयानों वाला इन्फोग्राफिक्स फेक है, जिसे दुष्प्रचार की मंशा से शेयर किया जा रहा है।

Fact Check: गोलवलकर की लिखी किताब के हवाले से FAKE और मनगढ़ंत बयान फिर से वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। विश्वास न्यूज के WhatsApp टिपलाइन नंबर पर कई यूजर्स ने एक इन्फोग्राफिक्स को शेयर किया है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवलकर की तस्वीर के साथ उनके एक कथित बयान को शेयर किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि उन्होंने इस बयान का जिक्र अपनी लिखी पुस्तक  ‘we and our nationhood identified’ में किया है। वायरल बयान में राज्य की संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल समेत अन्य संसाधनों को कुछ विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप देने का जिक्र है। वहीं, दूसरा बयान समानता (बराबरी) के अधिकार के खिलाफ का है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इसे गलत और दुष्प्रचार पाया। पहला जिस पुस्तक के हवाले से ऐसा दावा किया जा रहा है, उन्होंने ऐसी कोई पुस्तक नहीं लिखी है और दूसरा उनकी लिखी पुस्तक का नाम “We or Our Nationhood Defined” है और इस पुस्तक में उन्होंने ऐसे किसी बयान का जिक्र नहीं किया है।

क्या है वायरल?

विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।

विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर पर भेजा गया इन्फोग्राफिक्स, जिसमें माधवराव सदाशिव गोलवलकर के नाम से फेक बयान का जिक्र है।

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस इन्फोग्राफिक्स को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल ग्राफिक्स में गोलवलकर की लिखी किताब “we and our nationhood identified” के हवाले से दोनों कथित बयानों का जिक्र किया गया है।

पहला बयान इस तरह पढ़ा जा सकता है, “सदाशिव राव गोलवलकर ने अपनी पुस्तक we and  our nationhood identified” में स्पष्ट लिखा है। जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन संपत्ति, राज्यों की जमीन औऱ जंगल पर अपने दो तीन विश्वसनीय धनी लोगों को सौंप दे। 95% जनता को भिखारी बना दे उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नहीं जाएगी।”

वायरल ग्राफिक्स में इन बयानों का आधार “We and our nationhood identified” पुस्तक बताया गया है, जो कि गलत है। गोलवलकर ने इस नाम से कोई किताब नहीं लिखी है। उनकी लिखी किताब का नाम “We or Our Nationhood defined” है और यह डिजिटली उपलब्ध है।

वायरल बयान की जांच के लिए हमने इसे चेक किया और हमें कहीं भी इस तरह का बयान नहीं मिला। गोलवलकर ने अपनी लिखी पुस्तक में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी संदर्भ में इस बयान का जिक्र नहीं किया है।

golwalkarguruji.org पर अर्थव्यवस्था पर हमें उनके विचार मिले, जिसमें उन्होंने श्रम के अधिशेष मूल्य को राष्ट्र की संपत्ति, प्रत्येक उद्योग के मालिकाना हक को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के मुताबिक, तय किए जाने और “सामूहिक सौदेबाजी” की जगह “राष्ट्रीय प्रतिबद्धता” का जिक्र किया है।

यानी राज्य की संपत्ति व संसाधन पर मालिकाना हक को लेकर उनके नाम से वायरल हो रहा बयान फेक और मनगढ़ंत है।

दूसरे बयान में लिखा है, “मैं सारी जिंदगी अंग्रेजों की गुलामी करने के लिए तैयार हूं लेकिन जो दलित पिछड़ों और मुसलमानों को बराबरी का अधिकार देती हो ऐसी आजादी मुझे नहीं चाहिए। गोलवलकर गुरुजी 1940।”

यह बयान दलित और मुस्लिम विरोधी प्रकृति का है, लेकिन उनकी किताब में केवल दो जगह मुस्लिम शब्द का जिक्र आया है, जिसमें पहला संदर्भ मुगलों के संदर्भ में और दूसरा संदर्भ अफगानिस्तान के संदर्भ में है।

यानी यह बयान भी फेक और मनगढ़ंत है। सर्च में हमें ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की 10 जुलाई 2023 की रिपोर्ट मिली, जिसमें इस इन्फोग्राफिक्स को शेयर किए जाने के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ मध्य प्रदेश के गुना में मुकदमा दर्ज कराए जाने का जिक्र है।

गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इसी ग्राफिक्स को अपने एक्स हैंडल से शेयर करते हुए आरएसएस पर निशाना साधा था, जिस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने प्रतिक्रिया देते इसे फेक बताया था।

दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर की तरफ से दिया गया जवाब, जिसमें उन्होने गोलवलर के नाम से वायरल बयान को फेक बताया था।

सामान्य की-वर्ड सर्च में हमें ऐसा कोई विश्वसनीय रेफरेंस या संदर्भ नहीं मिला, जहां गोलवलकर की लिखी पुस्तक “We Or Our Nationhood Defined” में ऐसे किसी बयान का जिक्र हो।

इससे पहले भी यह ग्राफिक्स सोशल मीडिय पर वायरल हुआ था, जिसकी जांच विश्वास न्यूज ने की थी और हमने अपनी जांच में इसे फेक और मनगढ़ंत पाया था। संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने इस ग्राफिक्स को लेकर पूर्व प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव तुली से संपर्क किया था। उन्होंने कहा, “यह संघ के खिलाफ दुष्प्रचार की कोशिश है।” तुली ने बताया, “इस ग्राफिक्स में जिस किताब “We or Our Nationhood Identified” के हवाले से गुरु जी के बयान का जिक्र है, उन्होंने ऐसी कोई किताब नहीं लिखी। उनकी किताब का नाम “We Or Our Nationhood Defined” है और उसमें ऐसे किसी बयान का कोई उल्लेख नहीं है।” उन्होंने कहा कि वायरल ग्राफिक्स को मनगढ़ंत और फेक बयान के साथ तैयार किया गया है।

निष्कर्ष: माधवराव सदाशिव गोलवलकर की लिखी पुस्तक “We or Our Nationhood Defined” में राज्यों की संपत्ति और संसाधनों का मालिकाना हक कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को सौंपे जाने और दलितों व मुस्लिमों को समानता का अधिकार दिए जाने के बदले गुलामी में रहने जैसे किसी बयान का जिक्र नहीं है। गोलवलकर के नाम से वायरल हो रहे इन बयानों वाला इन्फोग्राफिक्स फेक है, जिसे दुष्प्रचार की मंशा से शेयर किया जा रहा है।

https://youtu.be/7f0_6ClXDTQ
False
Symbols that define nature of fake news
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