Fact Check: गुजरात में आरक्षण खत्म होने का फर्जी दावा फिर से वायरल

सोशल मीडिया पर गुजरात में आरक्षण खत्म होने वाला मैसेज फेक है। गुजरात हाईकोर्ट ने इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया है। कई साल से यह फर्जी दावा वायरल हो रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। गुजरात में सरकारी नौकरी और पढ़ाई में आरक्षण को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसे शेयर कर कुछ यूजर्स दावा कर रहे हैं कि गुजरात में हाईकोर्ट ने आरक्षण पूरी तरह से समाप्त कर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इसके बाद गुजरात देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां पूरी तरह से आरक्षण खत्म हो गया है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि गुजरात हाईकोर्ट ने ऐसा कोई निर्णय नहीं सुनाया है। वहां अब भी नियमानुसार आरक्षण लागू है। सोशल मीडिया पर वायरल दावा गलत है, जो पहले भी वायरल हो चुका है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर Rakesh Chauhan (आर्काइव लिंक) ने 6 अक्टूबर 2022 को टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर का एक लिंक पोस्ट करते हुए लिखा,

गुजरात हाई कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय
गुजरात देश का पहला राज्य बना, जहाँ पर आरक्षण को पूर्ण रूप से हटा दिया गया सरकारी नौकरी हो या पढाई सभी में आरक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त घोषित कर दिया गया है।
अब गुजरात में अगले 25 सालो तक
रेलवे में सफ़र
बसो में सफ़र
फ़िल्म
होटल बुकिंग
पढाई में
सरकारी नौकरी में
पदोनत्ति में
आदि आदि में अगले 25 सालो तक आरक्षण लागू नहीं होगा।
यदि आप सच्चे भारतीय हो तो इसको हर मोबाइल में भेज दो ताकि और राजनेताओ को वोट का मतलब पता चल सके।
गुजरात हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला:
अब जनरल (GEN) केटेगरी मे कोई भी अन्य वर्ग का (OBC-SC-ST) अब नौकरी या कॉलेज मे apply नही कर सकता…
मतलब वे लोग अपनी ही कैटेगिरी मे अप्लाई करेंगे।
From:- ETV gujrat
आज सवर्ण जाती की पहली जीत हासिल हुई है। आज गुजरात हाईकोर्ट का फैसला आया है और फैसला दिया है कि आरक्षित वर्ग के व्यक्तियों को सिर्फ आरक्षण उनके वर्ग में ही मिलेगा चाहे उसका मेरिट मे कितना ही ऊँचा स्थान हो। अगर कोई जाति प्रमाण पत्र देता है तो उसे आरक्षित क्षेत्र में ही जगह मिलेगी और वह अनारक्षित कोटा में जगह नहीं बना सकता। गुजरात राजपूत समाज ने रोस्टर प्रणाली के तहत मुकदमा किया था और वे लोग विजयी हुए। इसे खूब फैलाओ

विश्वास न्यूज के चैटबॉट नंबर +91 95992 99372 पर भी हमारे पाठक शिवम गर्ग ने यह पोस्ट भेजी।

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने कीवर्ड से इसे फेसबुक पर सर्च किया। इसमें हमें पता चला कि यह पोस्ट पहले भी कई बार वायरल हो चुकी है।

2015 में वायरल पोस्ट।
2016 में वायरल पोस्ट।

इसके बाद हमने पोस्ट के साथ दिए गए टाइम्स ऑफ इंडिया के लिंक को चेक किया। यह 11 सितंबर 2015 की खबर का लिंक है। इसमें लिखा है, गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन मेरिटोरियस रिजर्व कैटेगरी कैंडिडेट्स (MRCs) ने सामान्य श्रेणी के कट ऑफ मार्क्स से ज्यादा नंबर हासिल किए हैं और यदि उन्होंने ऊपरी आयु सीमा में आयु में छूट प्राप्त की है, उनको जनरल कैटेगरी की लिस्ट में नहीं रखा जा सकता है। खबर में कही भी आरक्षण खत्म करने की बात नहीं की गई है।

हमने इसे कीवर्ड से गूगल पर ओपन सर्च किया। हमें किसी भी विश्वसनीय वेबसाइट पर ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे इस दावे की पुष्टि हो सके। अगर हाईकोर्ट ऐसा कोई निर्णय देता तो मुख्य मीडिया इसको जरूर कवर करती। गुजरात हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी हमें इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली।

सर्च के दौरान हमें 14 जनवरी 2019 को अमर उजाला में छपी खबर का लिंक मिला। इसके मुताबिक, गरीबों को आरक्षण देने वाला गुजरात पहला राज्य बन गया है। राज्य में गरीब सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाएगा। यह शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में लागू होगा। हालांकि, इसमें कही भी आरक्षण खत्म करने वाली बात नहीं है।

गुजरात हाईकोर्ट की वेबसाइट पर हमें प्राइवेट सेक्रेट्री की वैकेंसी का विज्ञापन मिला। इसमें आरक्षण के आधार पर सीटों को रखा गया है।

इसकी अधिक पुष्टि के लिए हमने गुजरात हाईकोर्ट के वकील एवं गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के सदस्य चिराग ए प्रजापति से बात की। उनका कहना है, ‘यह फर्जी है। गुजरात हाईकोर्ट ने ऐसा कोई निर्णय नहीं दिया है।‘ इस वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया जा रहा है, ‘अब सामान्य वर्ग में कोई भी अन्य वर्ग (OBC-SC-ST) का उम्मीदवार नौकरी या कॉलेज में आवेदन नहीं कर सकता है।‘ इस पर एडवोकेट चिराग ए प्रजापति ने कहा, ‘यह दावा गलत है। ऐसा कुछ भी नहीं है।

इस बारे में गुजरात दैनिक जागरण के रिपोर्टिंग हेड शत्रुघ्न का कहना है, ‘यह पोस्ट कई साल से वायरल हो रही है। रेलवे व बसों में सफर और फिल्म व होटल में बुकिंग के लिए भी भला कोई आरक्षण का नियम होता है। सोशल मीडिया पर फेक पोस्ट वायरल हो रही है।

विश्वास न्यूज पहले भी इस दावे की पड़ताल कर चुका है। पूरी रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

फेक पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘राकेश चौहान‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, उन्होंने चंडीगढ़ से पढ़ाई की है और एक विचारधारा से प्रेरित हैं।

निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर गुजरात में आरक्षण खत्म होने वाला मैसेज फेक है। गुजरात हाईकोर्ट ने इस तरह का कोई फैसला नहीं सुनाया है। कई साल से यह फर्जी दावा वायरल हो रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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