Fact Check : धर्म परिवर्तन कराए जाने के दावे के साथ RSS के नाम पर वायरल हो रहा लेटर फेक

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि संघ के नाम से वायरल हो रहा पत्र फेक है, जिसे एडिट कर दुष्प्रचार की मंशा से तैयार किया गया है। संघ ने वायरल दावे का खंडन करते हुए इस पत्र को फेक बताया गया है। 

Fact Check : धर्म परिवर्तन कराए जाने के दावे के साथ RSS के नाम पर वायरल हो रहा लेटर फेक

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नाम पर एक चिट्ठी तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें मुस्लिम लड़कियों का धर्मांतरण कराए जाने के लिए हिंदू युवाओं को संघ की तरफ से प्रशिक्षण देने का दावा किया गया है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस वायरल लेटर को फेक पाया है। इसे आरएसएस के खिलाफ दुष्प्रचार की मंशा से तैयार किया गया है। संघ की तरफ से भी इस वायरल चिट्ठी को फेक बताया गया है और इसमें किए गए सभी दावों का खंडन किया गया है।

क्या हो रहा है वायरल ?

ट्विटर यूजर शाहावाज अंजुम ने 8 अप्रैल 2023 को वायरल पत्र की तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “मुस्लिमों के खिलाफ RSS का घिनौना खेल। हिन्दू लड़कें कॉलेज, कोचिंग, यूनिवर्सिटी, ऑफिस, सोशल मीडिया में मुस्लिम_लड़की को प्यार के जाल में फसाओ उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाओ ताकि वो अपने परिवार को छोड़ कर भागने के लिए मजबूर होकर तैयार हो जाए। उसे 5 लाख की मदद भी दी जाएगी ,घर बसाने के लिए RSS, खुलेआम मुस्लिम लड़कियों के इज्ज़त के साथ खेलने की साज़िश वो षड्यंत्र हो रही है। पूरा पढ़िए। अपने बहन बेटिओं को और सभी दीगर मुसलमानों को इस षड्यंत्र व साज़िश से बचने केलिए। पोस्टेड को रिट्वीट व शेयर करिए इस घिनौना। साज़िश को नाकाम करने की जरूरत है।

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

https://twitter.com/Journaltics/status/1644632006842806272

पड़ताल 

वायरल पत्र की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कई कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया, लेकिन हमें वायरल पत्र से जुड़ी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए संघ की वेबसाइट और आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी खंगालना शुरू किया, लेकिन हमें वायरल दावे से जुड़ी ऐसी कोई पोस्ट वहां पर नहीं मिली।

जांच के दौरान हमें दावे से जुड़ा एक ट्वीट वीएसके भारत के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर मिला। वीएसके भारत संघ से जुड़े हुए ट्वीट करता है। वीएसके भारत ने 10 अप्रैल 2023 को वायरल पत्र की तस्वीर को शेयर करते हुए इसे फेक बताया है। कैप्शन में लिखा है, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने के लिए अराजक तत्वों का एक और असफल प्रयास सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों से संघ के लेटरहेड पर सरसंघचालक जी के नाम से झूठा पत्र वायरल किया जा रहा है।”

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी हमें दावे से जुड़ा एक ट्वीट मिला। उन्होंने 11 मार्च 2023 को वायरल पत्र की तस्वीर को शेयर कर कैप्शन में लिखा है, “ यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम पर सोशल मीडिया में चल रहा पत्रक पूर्णतः झूठा है।”

सर्च को आगे बढ़ाते हुए हमने वायरल पत्र की तुलना संघ के आधिकारिक पत्रों से की। हमने पाया कि वायरल पत्र में मौजूद लोगो असली लोगो से काफी अलग है। दूसरी गौर करने वाली बात यह है कि लोगो के नीचे आरएसएस की टैगलाइन संघे शक्तिः कलीयुगे, जो वायरल पत्र में मौजूद नहीं है। साथ ही आरएसएस की तरफ से जारी पत्रों में पत्र को जारी करने वाले कार्यवाह के हस्ताक्षर होते हैं, जबकि वायरल पत्र में किसी के  भी हस्ताक्षर नहीं हैं।

अधिक जानकारी के लिए हमने संघ के वरिष्ठ सदस्य राजीव तुली से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “यह पत्र फेक है। संघ की तरफ से इस तरह का कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। संघ की छवि खराब करने के लिए इस तरह के पत्र को वायरल किया जा रहा है। संघ इस पर कार्रवाई करने की सोच रहा है।”

आखिर में विश्वास न्यूज ने वायरल पत्र को शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की। हमने पाया कि यूजर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का समर्थक है। यूजर को ट्विटर पर 5,252 लोग फॉलो करते हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यूजर जनवरी 2020 से ट्विटर पर सक्रिय है। 

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि संघ के नाम से वायरल हो रहा पत्र फेक है, जिसे एडिट कर दुष्प्रचार की मंशा से तैयार किया गया है। संघ ने वायरल दावे का खंडन करते हुए इस पत्र को फेक बताया गया है। 

False
Symbols that define nature of fake news
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