Fact Check : रानी लक्ष्मीबाई के नाम से वायरल तस्वीर अज्ञात महिला की, पहले भी सोशल मीडिया पर होती रही है वायरल
विश्वास न्यूज की पड़ताल में रानी लक्ष्मीबाई के नाम से वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ। रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीरों को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। इतिहासकारों के अनुसार, वायरल तस्वीर रानी लक्ष्मीबाई की नहीं है।
- By: Pragya Shukla
- Published: Nov 4, 2024 at 04:15 PM
- Updated: Nov 4, 2024 at 05:13 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक महिला की तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह 159 साल पुरानी है। इस तस्वीर को फोटोग्राफर हॉफमैन ने कैमरे में कैद किया था। इस फोटो को 19 अगस्त 2024 को भोपाल में आयोजित विश्व फोटोग्राफी कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया था।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ। इतिहासकारों के अनुसार, वायरल तस्वीर रानी लक्ष्मीबाई की नहीं है।
क्या हो रहा है वायरल ?
फेसबुक यूजर ‘सलाम इंडिया’ ने 1 नवंबर 2024 को वायरल तस्वीर को शेयर किया है। तस्वीर पर लिखा हुआ है, “यह है झांसी की रानी का असली फोटो 159 साल पहले यह फोटो अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने खींचा था इस फोटो को 19 अगस्त को भोपाल में आयोजित विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया था। लाइक तो बनता है।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
पड़ताल
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया। हमें सबसे पुरानी पोस्ट 2010 में शेयर हुई मिली। कई यूजर्स ने इसे साल 2010 में फेसबुक पर शेयर किया था।
हमें यही तस्वीर ‘एप एक्स फैक्ट्स ऑफिशियल’ नामक इंस्टाग्राम अकाउंट पर मिली। तस्वीर पर गौर करने पर हमने पाया कि फोटो काफी क्लियर और मॉर्डन है। फोटो में नजर आ रही महिला भी कैमरा फ्रेंडली नजर आ रही है। ऐसे में हमें इस दावे के गलत होने का संदेह हुआ। हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च किया। हमें दावे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली।
पड़ताल के दौरान हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट इंडिया टुडे की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 25 जून 2010 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट में रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर को लेकर शुरू हुए विवाद के बारे में बताया गया है। साथ ही कई इतिहासकारों के बयान को भी लिखा गया है, जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई पर रिसर्च की है और किताबें लिखी है। वॉर ऑफ सिविलाइजेशन: इंडिया एडी 1857 के लेखक अमरेश मिश्रा का रानी लक्ष्मीबाई की वायरल तस्वीरों को लेकर कहना है, “मैंने कभी भी झाँसी की रानी की किसी तस्वीर के बारे में नहीं सुना। वह केवल चित्रों और कलात्मक छापों में दिखाई दी हैं।” वहीं, इतिहासकार महमूद फारूकी का कहना था कि 1850 के दशक में फोटोग्राफी इतनी ज्यादा नहीं होती थी। ऐसे में रानी की तस्वीर का होना मुश्किल है।
हमें पड़ताल के दौरान बीबीसी की वेबसाइट पर भी दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट को 11 नवंबर 2017 को प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट में भी रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर को लेकर हुए विवाद के बारे में बताया गया है।
हमें सर्च में रानी लक्ष्मीबाई के वकील और ऑस्ट्रेलियन पत्रकार जॉन लैंग द्वारा लिखी हुई एक किताब ‘वांडरिंग्स इन इंडिया’ गूगल बुक पर मिली। किताब में रानी लक्ष्मीबाई के बारे में बताया गया है कि वो किस तरह से दिखती थी और उनका स्वभाव कैसा था। जो कि वायरल तस्वीर से काफी अलग है। हमारी अब तक की पड़ताल से यह तो साबित होता है कि रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर को लेकर अक्सर विवाद सामने आए हैं,लेकिन यह तय है कि वायरल तस्वीर उनकी नहीं है।
मेटम्यूजियम वेबसाइट पर हमें फोटोग्राफी के इतिहास से जुड़ी एक रिपोर्ट मिली। मौजूद जानकारी के मुताबिक, 1850 में फोटोग्राफी अपने शुरूआती दौर में थी। उस समय फोटोग्राफी और कैमरा पर लगातार काम और सुधार किया जा रहा था। ऐसे में इस तरह की साफ और क्लियर फोटो को क्लिक करना उस दौरा में संभव नहीं था।
हमने झांसी के लोकल इतिहासकार और रानी लक्ष्मीबाई पर रिसर्च करने वाले मुकुन्द मेहरोत्रा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास में वर्णन काफी अलग है और वो सिर पर पगड़ी पहनती थी। वह ऐसी नहीं दिखती थी, वो सादे कपड़े पहनती थी और काफी सरल दिखती थी। यह तस्वीर काफी सालों से गलत दावे के साथ वायरल है। यह रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर नहीं है।
अंत में हमने फोटो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को एक मिलियन लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में रानी लक्ष्मीबाई के नाम से वायरल तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ। इतिहासकारों के अनुसार, वायरल तस्वीर रानी लक्ष्मीबाई की नहीं है।
- Claim Review : रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर।
- Claimed By : FB User सलाम इंडिया
- Fact Check : झूठ
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