Fact Check: लोकतंत्र ‘बचाने’ के लिए लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील करता CJI के नाम से वायरल बयान FAKE और मनगढ़ंत
भारतीय संविधान और भारतीय लोकतंत्र को 'बचाने' के लिए लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील के दावे के साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नाम से वायरल हो रहा कथित बयान फेक और मनगढ़ंत है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से न तो ऐसा कोई बयान किसी मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया है और न ही किसी कार्यक्रम या समारोह के दौरान।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Aug 14, 2023 at 01:46 PM
- Updated: Aug 16, 2023 at 04:00 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ के नाम से एक कथित बयान वायरल हो रहा है, जिसमें उनके हवाले से भारत के संविधान और भारत के लोकतंत्र को “बचाने” के लिए लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील की जा रही है। एथलीट विजेंदर सिंह ने अपनी आधिकारिक फेसबुक प्रोफाइल से भी इस वायरल ग्राफिक्स को शेयर किया है, जिसमें सीजीआई की तस्वीर के साथ उनके नाम से कथित बयान का जिक्र है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत और मनगढ़ंत पाया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने न तो किसी सुनवाई के दौरान ऐसा बयान दिया है और न ही किसी समारोह या कार्यक्रम के दौरान ऐसी कोई टिप्पणी की है। साथ ही भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सीजेआई की तरफ से ऐसा बयान दिए जाने की कोई परंपरा है।
क्या है वायरल?
सोशल मीडिया यूजर ‘Vijender Singh’ विजेंदर सिंह ने अपने वेरिफाइड फेसबुक प्रोफाइल से सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के नाम से वायरल हो रहे ग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें लिखा हुआ है, “हम लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं भारत के संविधान भारत के लोकतंत्र को बचाने की लेकिन आप सबका सहयोग भी इसके लिए बहुत मायने रखता है सब जनता एक होकर मिलकर सड़कों पर निकलो और सरकार से अपने हक के सवाल करो यह तानाशाह सरकार तुम लोगों को डरायेगी, धमकाएगी लेकिन तुम्हें डरना नहीं है हौसला रखो और सरकार से अपना हिसाब मांग, मैं तुम्हारे साथ हूं – डी वाई चंद्रचूड़ (चीफ जस्टिस)।”
कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने इस बयान को समान संदर्भ में मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल ग्राफिक्स में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के हवाले से जो बयान वायरल हो रहा है, उसमें लिखा हुआ है, “हम लोग अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं भारत के संविधान भारत के लोकतंत्र को बचाने की लेकिन आप सबका सहयोग भी इसके लिए बहुत मायने रखता है सब जनता एक होकर मिलकर सड़कों पर निकलो और सरकार से अपने हक के सवाल करो यह तानाशाह सरकार तुम लोगों को डरायेगी, धमकाएगी लेकिन तुम्हें डरना नहीं है हौसला रखो और सरकार से अपना हिसाब मांग, मैं तुम्हारे साथ हूं।”
बयान को पढ़कर ही इस बात का अंदाजा लग जाता है कि यह फेक और पूरी तरह से मनगढ़ंत है क्योंकि भारतीय संसदीय लोकतंत्र में संविधान शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को स्थापित किया है, ऐसे में सीजेआई की तरफ से ऐसे बयान दिए जाने का कोई मतलब नहीं बनता है। न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें किसी सुनवाई या समारोह के दौरान उनकी तरफ से ऐसे बयान को दिए जाने का जिक्र हो।
भारतीय संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण का साफ-साफ उल्लेख है। संविधान के अनुच्छेद 50 में इस बात का साफ-साफ उल्लेख है। 1973 के ऐतिहासिक ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को फिर से स्थापित किया था।
वहीं, संविधान का अनुच्छेद 105 सांसदों को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संसद के किसी सदस्य की तरफ से संसद में कही गई बातों के खिलाफ किसी भी न्यायालय में कार्यवाही से छूट देता है।
हालांकि, यह विशेषाधिकार भी असीमित नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद 121 सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स के न्यायाधीशों के अचारण के संबंध में संसद में चर्चा को प्रतिबंधित करते हुए न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अधिकार की रक्षा करता है।
स्पष्ट है कि भारत में जिस संसदीय लोकतंत्र को अपनाया गया है, उसमें संविधान न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच के शक्तियों के पृथक्करण का स्पष्ट उल्लेख करता है और ऐसे में इनमें से किसी भी संस्था के शीर्ष पद से इस तरह की टिप्पणी का कोई औचित्य साबित नहीं होता है।
वायरल ग्राफिक्स को लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों और सुप्रीम कोर्ट को कवर करने वाले लीगल रिपोर्टर से संपर्क किया। कानूनी मामलों को कवर करने वाली न्यूज वेबसाइट लाइव लॉ के एसोसिएट एडिटर बृज दुबे ने कहा, “ये पोस्ट पूरी तरह से फेक है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने कहीं ऐसी बात नहीं कही है। न ही सुप्रीम कोर्ट में किसी मामले की सुनवाई के दौरान और न ही किसी समारोह में।”
विश्वास न्यूज ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रूद्र विक्रम सिंह से संपर्क किया। उन्होंने भी पुष्टि करते हुए बताया, “सीजेआई की तरफ से ऐसा कोई बयान नहीं दिया गया है। यह पूरी तरह से फेक है।” उन्होंने कहा कि भारतीय संसदीय लोकतंत्र में सीजेआई की तरफ से ऐसा बयान दिए जाने की कोई पंरपरा नहीं है। यह विशुद्ध रूप से वाट्सएप पर फैलाया जाने वाले झूठ है।
सुप्रीम कोर्ट के ही एक अन्य वकील ने कहा कि न तो संसद में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के काम-काज पर कोई टिप्पणी की जाती है और न ही सीजेआई की तरफ से विधायिका के काम पर अनुचित टिप्पणी की जाती है।
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई की तस्वीर के साथ उनके नाम से शेयर किए जा रहे फेक बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पीआरओ ऑफिस से बयान जारी कर इसका खंडन किया गया। पीआरओ ने बताया, “न तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से ऐसा कोई बयान जारी किया गया है और न ही उन्होंने ऐसे किसी पोस्ट को मान्यता दी है। इस मामले में उचित कानूनी कार्रवाई की जा रही है।”
वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 17 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: भारतीय संविधान और भारतीय लोकतंत्र को बचाने के लिए लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील के दावे के साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नाम से वायरल हो रहा कथित बयान फेक और मनगढ़ंत है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से न तो ऐसा कोई बयान किसी मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया है और न ही किसी कार्यक्रम या समारोह के दौरान उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी की है।
- Claim Review : संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए CJI ने की लोगों से सड़कों पर उतरने की अपील।
- Claimed By : FB User-Vijender Singh
- Fact Check : झूठ
पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...