विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है। इस वीडियो में एक शख्स कथित तौर पर कोरोना संक्रमण का रामबाण इलाज बताता हुआ दिख रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि नाक में नींबू का रस डालने से कोरोना संक्रमण ठीक हो जाता है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा सही नहीं पाया गया है। आयुर्वेद के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि नींबू से कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक हो सकता है। WHO का भी कहना है कि नींबू से कोरोना ठीक होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। हालांकि, WHO पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियों के सेवन करने की सलाह जरूर दे रहा है।
विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर ये वीडियो फैक्ट चेक के लिए मिला है। इस वीडियो में एक शख्स को यह कहते हुए देखा और सुना जा सकता है कि उनके द्वारा बताए गए उपाय से लोग 5 सेकंड में महामारी से छूट जाएंगे। इसमें दावा किया जा रहा है कि एक नींबू ही वैक्सीन के बराबर सुरक्षा देगा। दावे के मुताबिक, नाक में नींबू के रस की 2-3 बूंद डालने से नाक, कान, गला और हृदय का सारा भाग 5 सेकंड में शुद्ध हो जाएगा। वीडियो में दिख रहे शख्स ने दावा किया है कि उन्होंने इस प्रयोग से बहुत लोगों को स्वस्थ होते देखा है।
कीवर्ड्स से सर्च करने पर विश्वास न्यूज को यह वीडियो सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भी वायरल मिला। फेसबुक यूजर Shyam Singh Chauhan ने 2 मई 2021 को इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ‘कोरोना का रामबाण उपाय।’
इस फेसबुक पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इस दावे को इंरटनेट पर ओपन सर्च किया। हमने यह जानना चाहा कि क्या कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज में नींबू काम आ रहा है या नहीं। हमें WHO की साइट पर कोरोना वायरस के संबंध में फैक्ट और फिक्शन टॉपिक के अंतर्गत मौजूद आर्टिकल में इससे जुड़ी कई जानकारियां मिलीं। यहां WHO ने स्पष्ट रूप से बताया है कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि नींबू या हल्दी कोविड-19 से बचाव कर सकते हैं। हालांकि, WHO एक हेल्दी डाइट के अंतर्गत जरूरी मात्रा में फल और सब्जी के सेवन की सलाह जरूर दे रहा है। इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
स्वास्थ्य से जुड़ी सूचनाओं के प्रामाणीकरण को समर्पित प्रयास health-desk.org पर भी हमें नींबू और कोरोना वायरस के संबंध में जानकारी मिली। यहां बताया गया है कि नींबू विटामिन C का अच्छा स्रोत माना जाता है और एक स्वस्थ डाइट का हिस्सा हो सकता है। इसके मुताबिक भी ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि नींबू से कोविड-19 संक्रमण का इलाज किया जा सकता है। इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस संबंध में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डिपार्टमेंट ऑफ द्रव्यज्ञान के प्रोफेसर डॉक्टर विनोद कुमार जोशी से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उनके सामने भी ऐसा दावा आया था, लेकिन आयुर्वेद में ऐसा कोई क्लेम नहीं हैं और नींबू के ऐसे प्रयोग का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य भी नहीं है। उनके मुताबिक, आज बाजारों में मिलने वाले नींबू का आयुर्वेद में जिक्र भी नहीं है, वहां बड़े नींबू का जिक्र है। प्रोफेसर डॉक्टर विनोद कुमार जोशी के मुताबिक, आज भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। लोग पहले सुझाए गए काढ़े ग्रीष्म ऋृतु (गर्मी में) में भी ले रहे हैं, जो उपयुक्त फायदे नहीं भी दे सकता है। उनके मुताबिक, रोग की तीव्रता को देखा जाना भी अहम है। वह स्पष्ट सलाह दे रहे हैं कि एक्सपर्ट प्रैक्टिशनर को ही यह चीजें तय करनी चाहिए, न कि लोग अनुभव के आधार पर इन चीजों को बताएं।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल वीडियो को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Shyam Singh Chauhan की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर मुरैना के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: नाक में नींबू का रस डालने से कोरोना संक्रमण ठीक हो जाने का दावा सही नहीं है। आयुर्वेद के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि नींबू से कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक हो सकता है। WHO का भी कहना है कि नींबू से कोरोना ठीक होने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। हालांकि, नींबू विटामिन C का अच्छा स्रोत माना जाता है और WHO भी पर्याप्त मात्रा में फल-सब्जियों के सेवन करने की सलाह देता है।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए, क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का इलाज खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
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