Fact Check: 2012 में हुए निर्भया कांड प्रोटेस्ट की फोटो को एडिट करके बॉलीवुड बायकॉट के नाम से किया जा रहा वायरल

विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर एडिटेड है। असल तस्वीर 2012 की है, जब निर्भया कांड के बाद अमृतसर में प्रोटेस्ट हुआ था। उसी की तस्वीर को एडिट करके फर्जी तरीके से वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)- सोशल मीडिया पर एक प्रोटेस्ट की फोटो वायरल हो रही है, जिसमें एक लड़की के हाथ में बड़ा-सा पोस्टर है और उस पर लिखा है कि बॉलीवुड इस्लाम और उर्दू के प्रचार का अड्डा है। इस तस्वीर को बॉलीवुड बायकॉट के प्रोटेस्ट की तस्वीर समझते हुए सोशल मीडिया पर मौजूद यूजर शेयर कर रहे हैं। विश्वास न्यूज़ ने जब इस फोटो की पड़ताल की तो हमने पाया की यह तस्वीर एडिटेड है। असल तस्वीर 2012 की है, जब निर्भया कांड के बाद अमृतसर में प्रोटेस्ट हुआ था। उसी की तस्वीर को एडिट करके फर्जी तरीके से वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर Mohan Choudhary ने वायरल तस्वीर को अपलोड किया, जिसमें प्रोटेस्टर के हाथ में नज़र आ रहे पोस्टर पर लिखा था, ‘भारतीय Bollywood मनोरंजन का नहीं इस्लाम और उर्दू का अड्डा है। इसलिए आपको हर मूवी में इस्लाम को महान और हर गाने में अली, मौला या खुदा यह शब्द सुनने को मिलेंगे। boycott bollywood”.

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए हमने सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज के ज़रिये वायरल तस्वीर को जांचना शुरू किया। सर्च में हमें यह तस्वीर बीबीसी की वेबसाइट पर 21 दिसम्बर 2012 को शेयर हुई मिली। हालांकि, इस असल तस्वीर में प्रोटेस्टर ने जो बैनर पकड़ा है उसपर लिखा है, ‘Don’t tell me how to dress! Tell them not to rape”.

अपनी पड़ताल को हमने आगे बढ़ाया और हमें ओरिजिनल फोटो गेट्टी इमेजेज़ की वेबसाइट पर मिली। तस्वीर के साथ दी गयी जानकारी की मुताबिक, ’20 दिसंबर, 2012 को अमृतसर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान नई दिल्ली में हुए हालिया बलात्कार के खिलाफ नारे लगाते और हाथों में पोस्टर लिए हुए भारतीय छात्र। 16 दिसंबर को नई दिल्ली में 23 वर्षीय पीड़िता के साथ बस में हुए गैंगरेप के बाद देश में विद्रोह और विरोध शुरू हो गए हैं। (फोटो क्रेडिट को नरिंदर नानू।)

वायरल तस्वीर से जुडी पुष्टि के लिए विश्वास न्यूज़ ने तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर नरिंदर नानू से इंस्टाग्राम के ज़रिये संपर्क किया और उनके साथ वायरल पोस्ट शेयर की। उन्होंने विश्वास न्यूज़ के साथ असल तस्वीर को शेयर करते हुए वायरल दावे का खंडन किया।

वायरल की जा रही एडिटेड फोटो और असल तस्वीर के कोलाज को नीचे देखा जा सकता है।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर मोहन चौधरी की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर की प्रोफाइल के मुताबिक, वह बेंगलुरु का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट की पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर एडिटेड है। असल तस्वीर 2012 की है, जब निर्भया कांड के बाद अमृतसर में प्रोटेस्ट हुआ था। उसी की तस्वीर को एडिट करके फर्जी तरीके से वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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