Fact Check: इस वायरल तस्वीर के साथ यूपीएससी क्लीयर न कर पाने की कहानी है बेबुनियाद

वायरल तस्वीर में नजर आ रहा व्यक्ति राजेश तिवारी नहीं, बल्कि बांगलादेश का सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सईद रिमन है और तस्वीर के साथ लिखी कहानी भी बेबुनियाद है।

Fact Check: इस वायरल तस्वीर के साथ यूपीएससी क्लीयर न कर पाने की कहानी है बेबुनियाद

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक युवक हाथ में फाइल लिए रोता हुआ नजर आ रहा है। इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि इस युवक का नाम राजेश तिवारी है। 29 साल का राजेश उत्तर प्रदेश के लखनऊ का रहने वाला है और यूएपीएससी परीक्षा में 643 अंक पाने के बावजूद वह इस परीक्षा को क्लीयर नहीं कर सका, क्योंकि इस साल यूपीएससी की जनरल कैटेगरी का कटऑफ 689 रहा है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया गया दावा गलत है।

दरअसल वायरल तस्वीर बांगलादेश के टेक्स्टाइल इंजीनियर सईद रिमन की है। रिमन सोशल इश्यूज पर अवेयरनेस कैम्पेन चलाते हैं। वायरल तस्वीर भी साल 2016 में बेरोजगारी कैम्पेन के दौरान खींची गई थी। वहीं, दूसरी तरफ यूपीएससी परीक्षा की साल 2020 व 2021 की कटऑफ अभी तक जारी नहीं हुई है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

ट्विटर यूजर sarvanan B ने यह तस्वीर शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा जिसका हिंदी अनुवाद है : ये लखनऊ के राजेश तिवारी हैं, सात सदस्यों के परिवार में इकलौते कमाने वाले। यूपीएससी में इस साल इन्होंने 643 अंक प्राप्त किए, लेकिन फेल हो गए, क्योंकि जनरल कैटेगिरी की कटऑफ इस साल 689 रही, जबकि एससी/एसटी के लिए 601 कटऑफ रही, यानी कि इसके हिसाब से जिस व्यक्ति के अंक 601 हैं वह हमारा अगला ब्यूरोक्रैट होगा।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से इसे ढूंढा। हमें एक बांग्लादेशी वेबसाइट पर आर्टिकल मिला, जिसमें वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। 11 अप्रैल 2019 को प्रकाशित इस आर्टिकल में इस व्यक्ति का नाम सईद रिमन बताया गया था और साथ ही उनके सोशल अवेयरनेस कैम्पेन का जिक्र किया गया था।

हमने जब रिमन के बारे में सर्च किया तो हमें वायरल तस्वीर सई रिमन के फेसबुक अकाउंट पर भी मिल गई। उन्होंने यहां 30 नवंबर 2016 को इस तस्वीर को साझा करते हुए बेरोजगारी को एक बड़ी समस्या गिनाया था।

विश्वास न्यूज ने फेसबुक के जरिए रिमन से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनकी यह तस्वीर 2016 की है। उन्होंने हमें बताया कि वो अपनी तस्वीरों के जरिए सोशल अवेयरनेस करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने अपने फेसबुक पर 600 से ज्यादा तस्वीरें अपलोड की हुई हैं। प्रोफेशनली रिमन टेक्स्टाइल इंजीनियर हैं और नॉर्दन यूनिवर्सिटी बांगलादेश में एडजंक्ट फैकल्टी हैं। उन्होंने बताया कि वे अलग-अलग किरदार निभाते हुए तस्वीरें लेते हैं और इन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। उनकी पोस्ट की गई तस्वीरों को यहां देखा जा सकता है।

अब तक की हमारी पड़ताल में यह साफ हो गया था कि तस्वीर में नजर आ रहा व्यक्ति राजेश तिवारी नहीं, बल्कि बांगलादेश का सईद रिमन है।

वायरल पोस्ट के दूसरे दावे की पड़ताल के लिए हमने यूपीएससी की वेबसाइट को खंगाला तो पाया कि साल 2017 के बाद केवल एक बार कटऑफ 700 अंक से नीचे आया था। साल 2019 में डिसएलिबिटी वाले लोगों के लिए कटऑफ 653 अंक पर आई थी। हालांकि, यह बात सही है कि जनरल कैटगरी की कटऑफ हमेशा एसटी और एससी कैंडिडेट्स के लिए जारी कटऑफ से ज्यादा होती है।

सिविल सर्विट एग्जाम की कटऑफ हमेंशा फाइनल सलेक्शन लिस्ट आउट होने के बाद जारी होती है। साल 2020 के सिविल सर्विस एग्जाम के लिए प्रीलिम्स और मेन्स की परीक्षा हो चुकी है, लेकिन इंटरव्यू को टाल दिया गया था। वहीं, साल 2021 के प्रीलिम्स को भी स्थगित कर दिया गया था। इसलिए अभी तक साल 2020 और 2021 की कटऑफ जारी नहीं की गई है। लिहाजा वायरल पोस्ट के साथ लिखी गई कहानी भी बेबुनियाद है।

अब बारी थी ट्विटर पर तस्वीर को साझा करने वाली यूजर sarvanan B की प्रोफाइल को स्कैन करने का। प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि यूजर ने फरवरी 2010 में ट्विटर ज्वाइन किया था और खबर लिखे जाने तक उनके 1091 फॉलोअर्स थे।

निष्कर्ष: वायरल तस्वीर में नजर आ रहा व्यक्ति राजेश तिवारी नहीं, बल्कि बांगलादेश का सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सईद रिमन है और तस्वीर के साथ लिखी कहानी भी बेबुनियाद है।

False
Symbols that define nature of fake news
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