Fact Check: दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में डेनमार्क नहीं, फिनलैंड है नंबर 1

दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में पिछले तीन सालों से फिनलैंड टॉप पर बना हुआ है। डेनमार्क को इस लिस्ट में टॉप बताने के अलावा इससे जुड़े दूसरे दावे करने वाली ये पोस्ट भ्रामक है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर दुनिया के खुशहाल देशों को लेकर एक पोस्ट शेयर की जा रही है। इस पोस्ट में डेनमार्क को दुनिया का सबसे खुशहाल देश बताया जा रहा है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भ्रामक पाया गया है। दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में फिनलैंड लगातार तीन बार से टॉप पर बना हुआ है। डेनमार्क फिलहाल इस सूची में दूसरे नंबर पर है। वह 2016 में इस लिस्ट में टॉप पर था।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर एक दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। यह एक तस्वीर है, जिसपर अंग्रेजी में कुछ लिखा है, जिसका हिंदी अनुवाद कुछ ऐसा है, ‘सप्ताह में 33 घंटे काम, 20 डॉलर की न्यूनतम मजदूरी, फ्री यूनिवर्सिटी और मेडिकल केयर, फ्री चाइल्ड केयर और कम मात्रा में भ्रष्टाचार की वजह से डेनमार्क दुनिया का सबसे खुशहाल देश है।’

कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें यही दावा Rohee Khan नाम की फेसबुक यूजर की तरफ से एक पब्लिक ग्रुप में किए गए पोस्ट में भी मिला। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इंटरनेट सर्च की मदद से इस दावे की हकीकत को खोजना शुरू किया। हमें इस संदर्भ में ढेरों रिजल्ट मिले। हम सीधे वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट की आधिकारिक साइट (worldhappiness.report) पर पहुंचे। हमें 20 मार्च 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इसमें साफ बताया गया है कि फिनलैंड लगातार तीन सालों से दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में टॉप पर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पहली वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट2012 में आई थी। डेनमार्क 2012, 2013 और 2016, स्विट्जरलैंड 2015, नॉर्वे 2017 व फिनलैंड 2018, 2019 और 2020 में इस सूची में टॉप पर रह चुका है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

आपको बता दें कि हर साल 20 मार्च को संयुक्त राष्ट्र संघ ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे’ मनाता है। इसी दिन वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर विस्तार से देखा जा सकता है।

इस पोस्ट में अगला दावा किया जा रहा है कि डेनमार्क में सप्ताह में 33 घंटों का वर्क आवर है। डेनमार्क की आधिकारिक साइट पर वर्क-लाइफ बैलेंस रिपोर्ट के मुताबिक, यहां आधिकारिक तौर पर एक सप्ताह में काम के 37 घंटे फिक्स हैं। एक्स्ट्रा आवर वर्क को यहां प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

पोस्ट में अगला दावा डेनमार्क में न्यूनतम मजदूरी को लेकर किया जा रहा है। इसके मुताबिक, डेनमार्क में न्यूनतम मजदूरी 20 डॉलर है। wageindicator.org के मुताबिक, डेनमार्क में न्यूनतम मजदूरी दर फिक्स नहीं है। मार्केट वॉच डॉट कॉम पर 25 नवंबर 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक भी डेनमार्क और स्वीडन जैसे देशों में विधिक तौर पर न्यूनतम मजदूरी फिक्स नहीं हैं। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक डेनमार्क में औसतन एक कर्मचारी करीब 17.69 डॉलर न्यूनतम मजदूरी अर्जित करता है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि डेनमार्क में मेडिकल केयर और यूनिवर्सिटी फ्री हैं। डेनमार्क की आधिकारिक साइट पर People and culture (पीपुल एंड कल्चर) रिपोर्ट में बताया गया है कि डेनमार्क का हेल्थ सिस्टम, स्कूल और यूनिवर्सिटी टैक्स फंडेड हैं, इसलिए फ्री हैं। इसी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि उच्च स्तर की सामाजिक सुरक्षा के लिए डेनमार्क के लोग दुनिया के सर्वाधिक टैक्स पेयर्स में से एक हैं। यानी ये दावा भी पूरी तरह सही नहीं है कि ये सारी चीजें मुफ्त ही हैं। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इसी तरह पोस्ट में चाइल्ड केयर को भी मुफ्त बताया गया है। विश्वास न्यूज ने इस दावे को भी इंटरनेट पर खंगाला। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन की आधिकारिक साइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यहां चाइल्ड केयर की सुविधा फ्री नहीं है। अलग-अलग सुविधाओं के अलग-अलग चार्ज हैं, जिन्हें यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि डेनमार्क में भ्रष्टाचार काफी कम है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स (CPI) के हिसाब से ये दावा सही है। डेनमार्क इस इंडेक्स में टॉप पर है। दुनिया के अलग-अलग देशों के हिसाब से ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के इस इंडेक्स को यहां चेक किया जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने इस संबंध में इंटरनेशनल स्टडीज के एक्सपर्ट और Amity यूनिवर्सिटी में डिफेंस एंड स्ट्रैटजिक स्टडी के असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष शुक्ला से संपर्क किया। डॉक्टर आशीष शुक्ला ने हमें बताया कि हर साल वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट आती है। मानवीय सूचकांकों में मजबूती, उम्दा सामाजिक सुरक्षा और कम भ्रष्टाचार जैसे कारकों की वजह से नॉर्डिक देश, (नॉर्दन यूरोप और नॉर्थ अटलांटिक के देश) डेनमार्क, फिनलेंड, नॉर्वे, स्वीडन और आइलैंड वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में टॉप में रहते हैं। डॉक्टर आशीष ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि पिछले तीन सालों से फिनलैंड इस लिस्ट में टॉप पर है।

विश्वास न्यूज ने इस पोस्ट को शेयर करने वाली फेसबुक यूजर रूही खान की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर की प्रोफाइल के एबाउट सेक्शन में कोई जानकारी नहीं मिली।

निष्कर्ष: दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में पिछले तीन सालों से फिनलैंड टॉप पर बना हुआ है। डेनमार्क को इस लिस्ट में टॉप बताने के अलावा इससे जुड़े दूसरे दावे करने वाली ये पोस्ट भ्रामक है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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