लोकसभा सीटों का परिसीमन अभी नहीं हुआ है और न ही लोकसभा की सीटें बढ़ी हैं। सोशल मीडिया पर वायरल दावा गलत है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सोशल मीडिया पर लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें एक चार्ट पोस्ट किया है, जिसमें ऊपर परिसीमन 2026 अनुमानित लिखा हुआ है और साथ में राज्यसभा व लोकसभा सीटों की संख्या दी गई है। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इसे शेयर कर दावा कर रहे हैं कि नई दिल्ली में लोकसभा सीटों का परिसीमन होने के बाद उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सीटें बढ़ गई हैं। उत्तर प्रदेश में अब 80 की जगह 121 लोकसभा सीट और राज्यसभा की 31 सीटों की जगह 47 सीट होंगी।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल दावा गलत है। लोकसभा सीटों का परिसीमन अभी नहीं हुआ है।
फेसबुक यूजर ‘श्रवण मौर्य‘ (आर्काइव लिंक) ने 2 मई 2023 को चार्ट पोस्ट करते हुए लिखा,
“दिल्ली ब्रेकिंग..
नई दिल्ली में लोकसभा सीटों का परसीमन होने के बाद उत्तरप्रदेश में बढ़ी लोकसभा की सीटे…
उत्तरप्रदेश में अब 80 की जगह 121 लोकसभा सीट और राज्यसभा की 31 सीट की जगह 47 सीट होंगी!!!“
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 95992 99372 पर भी हमें यह पोस्ट चेक करने को मिली।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया। 29 दिसंबर 2022 को द प्रिंट में एक रिपोर्ट छपी है। इसके अनुसार, “2019 में हुए आम चुनाव से पहले प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक, यदि 2026 के बाद होने वाले परिसीमन अभ्यास के बाद भारत की लोकसभा सीटों को राज्यों में पुनर्वितरित किया जाता है, तो उत्तर भारत के राज्यों को 32 से अधिक सीटें मिल सकती हैं, जबकि दक्षिणी राज्यों को लगभग 24 सीटें मिल सकती हैं।”
29 जुलाई 2021 को एबीपी में भी इस बारे में एक आर्टिकल छपा है। इसमें लिखा है, “कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के ट्वीट के बाद लोकसभा की सीटें 545 से बढ़ाकर 1000 करने की चर्चा है। अनुच्छेद 81 के अनुसार, लोकसभा की सीटों की अधिकतम संख्या 545 हो सकती है। 2026 तक इस संख्या में कोई बदलाव नहीं हो सकता है। 2026 के बाद 2021 की जनगणना के आधार पर इसे बदला जा सकता है।” आर्टिकल में लिखा है कि 1952 में लोकसभा सीटों की संख्या 489 थी। अनुच्छेद 81 में संशोधन कर इसे 2-3 बार बढ़ाया गया। 1973 में आखिरी बार ऐसा बदलाव हुआ था, तब संख्या 520 से बढ़कर 545 हो गई थी। अब 2026 के बाद ही संख्या में बदलाव हो सकता है। दरअसल, कई बार अनुच्छेद 81 (3) में भी बदलाव हो चुके हैं। 1976 में संविधान संशोधन के जरिए तय किया गया था कि 1971 की जनगणना सीटों की संख्या तय करने का आधार होगी। 2001 तक यह स्थिति बनी रहेगी। हालांकि, 2003 में संसद ने फिलहाल इसे टाल दिया था।”
5 अगस्त 2022 को ट्रिब्यून इंडिया वेबसाइट में खबर छपी है, “सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन अधिनियम में संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं था। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से परिसीमन को लेकर चर्चा हो रही है। इसके बाद पूर्ववर्ती राज्य में परिसीमन अभ्यास हुआ। वर्तमान संवैधानिक स्थिति यह है कि 2026 के बाद पहली जनगणना तक कोई परिसीमन नहीं होगा। यह स्थिति संविधान के 84वें संशोधन के जरिए लागू होती है, जिसे तब पारित किया गया था जब स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे थे।”
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर लिखा है कि एक उच्चाधिकार निकाय को परिसीमन का काम सौंपा जाता है। इसको परिसीमन आयोग या सीमा आयोग के नाम से जाना जाता है। भारत में चार बार ऐसे परिसीमन आयोग का गठन हो चुका है। गौरतलब है कि आखिरी आयोग 2002 में गठित किया गया था। कोई भी आयोग गठित करने से पहले भारत सरकार की तरफ से गजट में आधिकारिक सूचना जारी की जाती है।
पड़ताल में हमें परिसीमन भविष्य में होने की तो जानकारी मिली, लेकिन ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे यह पुष्टि हो सके कि लोकसभा की सीटों का परिसीमन हो गया है और उत्तर प्रदेश की सीटों की संख्या बढ़ गई है।
इसकी अधिक जानकारी के लिए हमने भारतीय निर्वाचन आयोग की प्रवक्ता शेफाली शरन से बात की। उनका कहना है, “निर्वाचन आयोग ने अभी तक ऐसी कोई कवायद शुरू नहीं की है। वर्तमान में केवल असम विधानसभा परिसीमन का मामला चल रहा है।“
गलत जानकारी शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘श्रवण मौर्य‘ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह मौनाथ भंजन में रहते हैं और उन्होंने अपनी प्रोफाइल लॉक की हुई है।
निष्कर्ष: लोकसभा सीटों का परिसीमन अभी नहीं हुआ है और न ही लोकसभा की सीटें बढ़ी हैं। सोशल मीडिया पर वायरल दावा गलत है।
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