विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि दारुल उलूम देवबंद के नाम से सब्जियों और सामानों में केमिकल मिलाकर बेचने का फतवा फर्जी है। दारुल उलूम देवबंद की ओर से इस तरह का कोई फतवा जारी नहीं किया गया है। वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट पैरोडी अकाउंट से किए गए एक ट्वीट का है, जो कि काफी सालों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर इस्लामी मदरसा दारुल उलूम देवबंद के नाम से एक कथित फतवा तेजी से वायरल हो रहा है। फतवे में मुसलमानों से कहा जा रहा है कि हिंदुओं की बस्ती में जाएं, वहां पर खराबा और केमिकल मिले हुए सामानों को बेचें, ताकि वो बीमार हो जाए। यूजर्स इस फतवे को सच समझकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। यह फतवा दारुल उलूम देवबंद की ओर से जारी नहीं किया गया है। वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट पैरोडी अकाउंट से किए गए एक ट्वीट का है, जो कि काफी सालों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इंस्टाग्राम यूजर हिंदुत्व की आवाज ने 25 फरवरी 2024 को वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट को शेयर किया है। स्क्रीनशॉट पर लिखा हुआ है, ‘‘फतवा: तमाम मुस्लिम भाइयों से इल्तिजा है हिन्दू कोफिर बस्ती व गांव, इलाकों में केमिकल मिला कर घटिया क्वालिटी के फल, सब्ज़ी, दूध पनीर, आइसक्रीम आदि चीज़ें बेचे ताकि कोफिर जमात व उनके बच्चे भरी तादाद में बीमारी की गिरफ्त में आएं: फरमान मदरसा उलूम देवबंद” . वहीँ यूजर ने लिखा है, ”सभी हिन्दुओं से अपील है, किसी मुस्लिम से कोई चीज़ न खरीदें अपने बच्चों को भी सावधान करें।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने स्क्रीनशॉट में मौजूद ट्विटर हैंडल के बारे में सर्च करना शुरू किया। सर्च के दौरान हमें ऐसा कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला। वेब आर्काइव की मदद से सर्च करने पर हमें वायरल ट्विटर हैंडल के कई आर्काइव पोस्ट मिली। वेब आर्काइव की मदद से खोजने पर हमने पाया कि यह ‘मौलाना गयूर शेख’ के नाम से बनाया गया एक पैरोडी अकाउंट था, जिसे अब डिलीट कर दिया गया है।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट को खंगालना शुरू किया। हमें इस तरह का कोई फतवा वहां पर नहीं मिला।
पहले भी यह दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। विश्वास न्यूज ने उस दौरान दावे की जांचकर सच्चाई सामने रखी थी। उस दौरान विश्वास न्यूज ने दारुल उलूम देवबंद के मीडिया इंचार्ज अशरफ उस्मानी से वायरल पोस्ट को लेकर बातचीत की थी। उन्होंने हमें बताया था कि यह पोस्ट काफी समय से सोशल मीडिया पर वायरल है। हमने इसकी शिकायत भी दर्ज करा दी है। इस तरह का कोई भी फतवा दारुल उलूम की ओर से जारी नहीं किया गया है।
अंत में हमने पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है। डेढ़ सौ से अधिक फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि दारुल उलूम देवबंद के नाम से सब्जियों और सामानों में केमिकल मिलाकर बेचने का फतवा फर्जी है। दारुल उलूम देवबंद की ओर से इस तरह का कोई फतवा जारी नहीं किया गया है। वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट पैरोडी अकाउंट से किए गए एक ट्वीट का है, जो कि काफी सालों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
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