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Fact Check: आदिवासियों की ज़मीन पर नमाज़ के लिए कब्ज़े वाली खबर गलत है

  • By: Pallavi Mishra
  • Published: Jun 6, 2019 at 06:01 PM
  • Updated: Jun 7, 2019 at 02:05 PM

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। दैनिक भारत नाम की एक वेबसाइट ने 05/06/2019 को एक खबर चलाई जिसकी हेड लाइन थी, “नमाज़ के लिए आदिवासियों की जमीन पर कर रहे थे कब्ज़ा, तीर धनुष से आदिवासियों ने बचाई जमीन।” इस खबर को सोशल मीडिया पर बहुत से लोग शेयर कर रहे हैं। फेसबुक पर इसे 1000 से ज्यादा बार अभी तक शेयर किया गया है। हमारी पड़ताल में हमने पाया कि दैनिक भारत द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट गलत है। असल में यह जमीन आदिवासियों की नहीं, बल्कि मो. अनवारुल हक नाम के एक व्यक्ति की है जिसकी जमीन पर आदिवासियों ने कब्जा किया था। ईद वाले दिन चाय बगान से सटे एक ईदगाह में इबादत करने आये एक विशेष समुदाय के लोगों से खतरा समझ कर आदिवासियों ने हड़बड़ी में तीरों से हमला कर दिया। स्थिति अब काबू में है।

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इस पोस्ट में क्लेम किया गया है, “नमाज़ के लिए आदिवासियों की जमीन पर कर रहे थे कब्ज़ा, तीर-धनुष से आदिवासियों ने बचाई जमीन” इस स्टोरी के अनुसार, “किशनगंज के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले धुलाबाड़ी चाय बागान में अदिवासियों की जमीन पर नमाजियों ने कब्जे की कोशिश की, कब्ज़ा नमाज़ पढने के मकसद से हो रहा था। आदिवासियों ने इस बात का विरोध किया। आदिवासियों ने नमाज़ के लिए जमीन देने से इनकार किया तो विवाद बढ़ने लगा, नमाजियों ने संख्या बल दिखाने की कोशिश करी तो आदिवासियों ने फिर अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ने का मन बना लिया और फिर आदिवासियों ने अपनी जमीन बचाने के लिए तीर-धनुष का इस्तेमाल किया।” इस स्टोरी के अंदर Squint Nayan 🌈 @squintneon नाम के ट्विटर हैंडल द्वारा किया गया एक ट्वीट भी है जिसमे भी यही जानकारी दी गयी है। स्टोरी के साथ एक फोटो भी लगा है जिसमें एक व्यक्ति को कुछ लोग उठाकर ले जा रहे हैं और उस व्यक्ति के सीने में एक तीर घुसा हुआ है। हमारी पड़ताल में हमने पाया कि दैनिक भारत द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट गलत है.

FACT CHECK

अपनी पड़ताल को शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले स्टोरी में इस्तेमाल की हुई तस्वीर का स्क्रीनशॉट लिया और उसे गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। पहले ही पेज पर हमें लाइव हिंदुस्तान वेबसाइट की एक खबर मिली जिसने इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। लाइव हिंदुस्तान की खबर की हेडलाइन थी, “चाय बागान मालिकों और आदिवासियों में झड़प, तीर से हमला, डीएम पर भी फेंके पत्थर।” इस खबर के अनुसार, मोहम्मद इम्तियाज नाम के एक व्यक्ति का किशनगंज में चाय बागान है जिसपे करीब डेढ़ माह पहले कुछ आदिवासियों ने कब्जा कर लिया था। आदिवासियों को रोकने के लिए जब चाय बागान मालिक अपने कुछ लोगों के साथ वहां पहुंचा तो आदिवासियों ने उन लोगों पर हमला कर दिया जिसमें लगभग आधा दर्जन लोग घायल हो गए। पुलिस ने बल का प्रयोग किया और कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था।

हमने इन कीवर्ड्स के साथ गूगल पर ढूँढा तो हमें यही खबर लोकमत न्यूज़ नाम की एक वेबसाइट पर भी मिली।

अब समय था अपनी ओर से इस पड़ताल की पुष्टि करने का। इसी सिलसिले में हमने दैनिक जागरण के किशनगंज के रिपोर्टर अमितेश से संपर्क किया। अमितेश ने हमें यह खबर विस्तार से समझाई। उन्होंने हमें बताया कि इसी वर्ष अप्रैल के अंत में मो. अनवारुल हक नाम के एक व्यक्ति के चाय बाग़ान पर लगभग 100 आदिवासियों ने कब्ज़ा कर लिया था और कच्ची झोपड़ियां बनाकर वहां रहने लगे थे। मो. अनवारुल हक, उनके भाई मो. इम्तियाज़ के साथ लगभग 1000 लोग जब ईद वाले दिन ईदगाह में नमाज़ पढ़ने पहुंचे तो भीड़ को देख कर आदिवासियों ने हड़बड़ी में तीरों से हमला शुरू कर दिया जिसमे 5 लोग ज़ख़्मी हुए। मौके पर पुलिस ने भी बल का प्रयोग किया। किशनगंज के डीएम हिमांशु शर्मा भी मौके पर पहुंचे थे।

इस सिलसिले में हमने किशनगंज के डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट हिमांशु शर्मा से भी बात की जिन्होंने हमें बताया कि “चाय बगान की ज़मीन को वर्ष 2006 में मोहम्मद अनवारुल और उनके भाई ने लीगली खरीदा था। इसी ज़मीन पर कुछ महीने पहले लगभग 40 आदिवासी परिवार झोपड़ियां बना कर रहने लगे। मोहम्मद अनवारुल की शिकायत के बाद प्रशासन ने आदिवासियों से बात की और उन्हें वहां से हटाने के लिए बात चीत चल रही थी। इन आदिवासियों को प्रशासन द्वारा कुछ ज़मीन देने का भी प्रस्ताव दिया गया था जिसे कुछ आदिवासी परिवारों ने स्वीकार भी कर लिया था। इसी बीच 5 जून को ईद वाले दिन चाय बाग़ान से लगे हुए ईदगाह की दीवार पर किसी ने संप्रदाय विशेष का झंडा लगाया। ईदगाह में एक सम्प्रदाय विशेष के लोग इबादत करने आये और उन्होंने इस झंडे का विरोध किया और पुलिस को कहा कि यह जानबूझकर आदिवासियों द्वारा की गई हरकत है। शिकायत पर पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और बातचीत से मामले को सुलझाने की कोशिश की। अपने आपको घिरा हुआ समझकर आदिवासियों ने हवा में कुछ तीर छोड़े जिसमे 5 लोग घायल हो गए। सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसमे से 4 तुरंत डिस्चार्ज हो गए और एक अन्य की हालत भी ठीक है और उसे जल्द डिस्चार्ज किया जाएगा। इसी दौरान मैं और यहाँ के SP कुमार आशीष भी मौके पर पहुंचे और मामले की मध्यस्थता की। हमने दोनों पक्षों से बात की और चाय बगान की ज़मीन भी खाली करवाई। इन आदिवासियों को गाड़ियों में भर कर हमने जगह खाली करवाई। इसी बीच कुछ असामाजिक तत्वों ने गाड़ियों पर पथरबाज़ी की जिसपर पुलिस ने एक्शन लिया और लाठीचार्ज करके भीड़ को तितर-बितर किया। पूरा मामला एक भूमि विवाद का था जिसे कम्युनल एंगल देने की कोशिश की गयी। किशनगंज में सभी समुदाय शांतिप्रिय हैं पर कुछ असामाजिक तत्व ऐसे सेंसिटिव मौकों का फ़ायदा उठाते हैं और समाज के अंदर अशांति फ़ैलाने की कोशिश करते हैं।”

इस पोस्ट को Dainik Bharat नाम की एक वेबसाइट द्वारा शेयर किया गया था। इस वेबसाइट के अबाउट उस सेक्शन के अनुसार, यह एक न्यूज़ वेबसाइट है। हमने इस वेबसाइट का WHOIS सर्च किया तो पाया कि इस वेबसाइट को 2018-07-10 को बनाया गया था।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि दैनिक भारत द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट गलत है। असल में यह जमीन आदिवासियों की नहीं, बल्कि मोहम्मद अनवारुल हक नाम के एक व्यक्ति की है जिस पर आदिवासियों ने कब्जा किया था। ईद वाले दिन चाय बघान से सटे एक ईदगाह में इबादद करने आये एक विशेष समुदाय के लोगों से खतरा समझ कर आदिवासिओं ने हड़बड़ी में तीरों से हमला कर दिया। स्थिति अब काबू में है।

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