Fact Check: हार्ट अटैक के दौरान ‘कफ सीपीआर’ कारगर उपाय नहीं, वायरल मैसेज फेक

कफ सीपीआर को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज विश्वास न्यूज़ की जांच में फर्जी निकला। ‘कफ सीपीआर’ को लेकर ऐसा कोई भी चिकित्सा-साक्ष्य मौजूद नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘कफ सीपीआर’ कार्डियक अरेस्ट को नहीं रोक सकता।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया पर एक वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि हार्ट अटैक से प्रभावित शख्स खुद खांसकर और तेजी से सांस लेकर अपनी जान बचा सकते हैं। इस प्रक्रिया को ‘कफ सीपीआर’ कहा जाता है। यूजर्स इस दावे को सच मानते हुए शेयर कर रहे हैं। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा फेक है। ‘कफ सीपीआर’ को लेकर ऐसा कोई भी चिकित्सा-साक्ष्य मौजूद नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘कफ सीपीआर’ कार्डियक अरेस्ट को नहीं रोक सकता।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Nasir Tareen ‘ ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, ‘कफ सीपीआर’ स्वयं सीपीआर का एक रूप है। ‘कफ इंट्रा थोरेसिक दबाव को बढ़ाता है और हृदय से रक्त को निकालकर नली में वापस भेज देता हे।

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है। 

पड़ताल 

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए गूगल पर कई कीवर्ड्स से सर्च किया। लेकिन हमें ‘कफ सीपीआर’ से जुड़ी कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि कार्डियक अरेस्ट पड़ने पर  आप जोर-जोर से खांसकर अपनी मदद कर सकते हैं।

पड़ताल के दौरान हमें  ‘कफ सीपीआर’ से जुड़ी अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कफ सीपीआर’ के जरिए हार्ट अटैक को ठीक नहीं किया जा सकता है।

रिससिटेशन काउंसिल (Resuscitation Council ) यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि जोर-जोर से खांसने और सांस लेने से हार्ट अटैक ठीक होता है और इसे ‘कफ सीपीआर’ कहते हैं। ऐसी सारी रिपोर्ट्स गलत हैं।

मैकगिल यूनिवर्सिटी ऑफिस फॉर साइंस एंड सोसाइटी द्वारा प्रकाशित एक आर्टिकल में बताया गया है, “सीपीआर केवल एक बेहोश व्यक्ति पर किया जा सकता है, जिसकी पल्स रुक गई हो। यदि आप होश में हैं और खांस सकते हैं, तो आपको सीपीआर नहीं करना चाहिए।” ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के आर्टिकल के अनुसार, “जब आपको लगता है कि आपको या किसी और को दिल का दौरा पड़ रहा है, तो आपको इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं, बल्कि सबसे पहले आपको एम्बुलेंस को कॉल करना चाहिए।”

अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोवैस्कुलर सर्जन ,डॉ मुकेश गोयल से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “यह फर्जी खबर है। दिल का दौरा (मायोकार्डियल इंफार्क्शन) वह स्थिति है, जब हार्ट तक बल्ड या ऑक्सीजन ठीक से पहुंच नहीं पाती है या रुक जाती है। ऐसी स्थिति में अगर अगले 15 से 30 मिनट में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है, तो हार्ट की मसल्स मरने लगती हैं। अगर किसी को संदेह है कि उसे दिल का दौरा पड़ रहा है, तो उसे शांत रहना चाहिए और लेट जाना चाहिए और पास में मौजूद अस्पताल में मदद के लिए कॉल करना चाहिए।

कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब दिल ठीक से पंप नहीं कर पाता है। जिसकी वजह से व्यक्ति कुछ ही सेकंड में बेहोश हो जाता है। इस समय में उसके आस-पास के व्यक्तियों को सीपीआर करना चाहिए (यदि वो जानते हैं कि सीपीआर कैसे किया जाता हैं।) और चिकित्सा सहायता के लिए कॉल करनी चाहिए। 

वायरल दावे को लेकर हमने आईएमए केरल के रिसर्च सेल के वाइस चेयरमैन डॉ राजीव जयदेवन से भी संपर्क किया। उन्होंने कहा, “कफ सीपीआर’ को लेकर वायरल हो रहा दावा फर्जी है। उन्होंने हमें बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आता है तो वो होश में नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में वो कफ सीपीआर कैसे करेंगे। डॉ राजीव जयदेवन ने कहा कि अगर गाड़ी चलाते समय सीने में दर्द होता है और हम गाड़ी चला सकते हैं तो हमें तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। सीने में दर्द का मतलब हार्ट अटैक हो सकता है, जो कार्डियक अरेस्ट के समान नहीं है। हार्ट अटैक में, पंप काम कर रहा होता है, इसलिए व्यक्ति होश में रहता है। कार्डियक अरेस्ट अलग है और तब होता है, जब दिल पूरी तरह से रुक जाता है। इसे याद रखें: हार्ट अटैक – होश में, कार्डियक अरेस्ट- बेहोशी में।”

पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर की जांच की। जांच में पता चला कि यूजर पाकिस्तान के मुल्तान शहर का रहने वाला है। फेसबुक पर यूजर को 168 लोग फॉलो करते हैं। 

निष्कर्ष: कफ सीपीआर को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा मैसेज विश्वास न्यूज़ की जांच में फर्जी निकला। ‘कफ सीपीआर’ को लेकर ऐसा कोई भी चिकित्सा-साक्ष्य मौजूद नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘कफ सीपीआर’ कार्डियक अरेस्ट को नहीं रोक सकता।

False
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