Fact Check: हार्ट अटैक के दौरान ‘कफ सीपीआर’ नहीं है कारगर, फेक मैसेज फिर हुआ वायरल

कफ सीपीआर को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा हमारी जांच में फर्जी साबित हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘कफ सीपीआर’ हार्ट अटैक को नहीं रोक सकता।

Fact Check: हार्ट अटैक के दौरान ‘कफ सीपीआर’ नहीं है कारगर, फेक मैसेज फिर हुआ वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज) : सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि हार्ट अटैक आने पर खुद खांसकर और तेजी से सांस लेकर अपनी जान बचाई जा सकती है। इस प्रक्रिया को ‘कफ सीपीआर’ कहा जाता है।  

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा फेक है। ‘कफ सीपीआर’ को लेकर ऐसा कोई भी चिकित्सा-साक्ष्य मौजूद नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘कफ सीपीआर’ हार्ट अटैक को नहीं रोक सकता।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘यशराज व्लॉग्स नरौरा’ ने 31 मार्च को वायरल पोस्ट में  लिखा है, ‘ज़रूरी सूचना। अगर कोई भी अकेला हो और अचानक सीने में दर्द (Chest Pain) हो जाए और दर्द बाएं हाथ से शुरू होकर दांतों के जबड़े तक महसूस हो तो ये हार्ट अटैक (Heart Attack) हो सकता है। अगर कोई आपकी मदद के लिए वहां मौजूद नहीं है या हॉस्पिटल दूर है तो अपनी मदद आप खुद किजिए। फौरन जोर जोर से खाना शुरु करें और हर बार खासने से पहले एक लम्बा साँस ले। ऐसा करने से आपके फेफड़ों (Lungs) को ऑक्सीजन (Oxygen) मिलेगी। कृपया शेयर ज़रूर करे। क्या पता आपकी वजह से किसी की जान बच जाए… मन करे तो जय श्री महाकाल लिखना।

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखा जा सकता है।

पड़ताल

यह दावा एक बार पहले भी वायरल हो चुका है। उस समय भी विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की पड़ताल की थी। उस समय सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर कई कीवर्ड्स से सर्च किया था। लेकिन हमें ‘कफ सीपीआर’ से जुड़ी कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं मिली थी, जिसमें इस बात का जिक्र हो कि  हार्ट अटैक पड़ने पर आप जोर-जोर से खांस कर अपनी मदद कर सकते हैं।

पड़ताल के दौरान हमें  ‘कफ सीपीआर’ से जुड़ी अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट मिली थी, जिसके मुताबिक, ‘कफ सीपीआर’ के जरिए हार्ट अटैक को ठीक नहीं किया जा सकता है।

रिससिटेशन काउंसिल (Resuscitation Council ) यूके की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि जोर-जोर से खांसने और सांस लेने से हार्ट अटैक ठीक होता है और इसे ‘कफ सीपीआर’ कहते हैं, वे सारी रिपोर्ट्स गलत हैं।

मैकगिल यूनिवर्सिटी ऑफिस फॉर साइंस एंड सोसाइटी द्वारा प्रकाशित एक आर्टिकल में बताया गया था, “सीपीआर केवल एक बेहोश व्यक्ति पर किया जा सकता है, जिसकी पल्स रुक गई हो। यदि आप होश में हैं और खांस सकते हैं, तो आपको सीपीआर नहीं करना चाहिए।” ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के आर्टिकल के अनुसार, “जब आपको लगता है कि आपको या किसी और को दिल का दौरा पड़ रहा है, तो आपको इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं, बल्कि सबसे पहले एम्बुलेंस को कॉल करना चाहिए।”

अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली के अपोलो अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोवैस्कुलर सर्जन ,डॉ मुकेश गोयल से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया था, “यह फर्जी खबर है। दिल का दौरा (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन ) वह स्थिति है, जब हार्ट तक बल्ड या ऑक्सीजन ठीक से पहुंच नहीं पाती है या रुक जाती है। ऐसी स्थिति में अगर अगले 15 से 30 मिनट में रक्त की आपूर्ति नहीं होती है, तो हार्ट की मसल्स मरने लगती हैं। अगर किसी को संदेह है कि उसे दिल का दौरा पड़ रहा है, तो उसे शांत रहना चाहिए और लेट जाना चाहिए और पास में मौजूद अस्पताल में मदद के लिए कॉल करना चाहिए।”

वायरल दावे को लेकर हमने आईएमए केरल के रिसर्च सेल के वाइस चेयरमैन डॉ राजीव जयदेवन से भी संपर्क किया। उन्होंने कहा, “कफ सीपीआर’ को लेकर वायरल हो रहा दावा फर्जी है। उन्होंने हमें बताया कि अगर किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आता है तो वो होश में नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में वो कफ सीपीआर कैसे करेंगे। डॉ राजीव जयदेवन ने कहा कि अगर गाड़ी चलाते समय सीने में दर्द होता है और हम गाड़ी चला सकते हैं तो हमें तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। सीने में दर्द का मतलब हार्ट अटैक हो सकता है, जो कार्डियक अरेस्ट के समान नहीं है। हार्ट अटैक में, पंप काम कर रहा होता है, इसलिए व्यक्ति होश में रहता है। कार्डियक अरेस्ट अलग है और तब होता है, जब दिल पूरी तरह से रुक जाता है। इसे याद रखें: हार्ट अटैक – होश में, कार्डियक अरेस्ट- बेहोशी में।”

पड़ताल के अंत में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर की जांच की। जांच में पता चला कि यूजर को 1 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: कफ सीपीआर को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा हमारी जांच में फर्जी साबित हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, ‘कफ सीपीआर’ हार्ट अटैक को नहीं रोक सकता।

False
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