Fact Check : जी20 शिखर सम्मेलन के लिए श्रीनगर में पुनर्निर्माण किए गए क्लॉक टावर की नहीं है ये तस्वीर

यह तस्वीर नेपाल के बीरगंज बाजार स्थित क्लॉक टावर की है। जिसे अब भारत का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। 

विश्वास न्यूज(नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर एक खूबसूरत क्लॉक टावर की तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वायरल तस्वीर जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में बने क्लॉक टावर की है। वायरल पोस्ट के अनुसार, शहर में जी20 बैठक से पहले इस क्लॉक टावर का पुनर्निर्माण किया गया। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर का भारत से कोई संबंध नहीं है। यह तस्वीर नेपाल के बीरगंज बाजार स्थित क्लॉक टावर की है। जिसे अब भारत का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर राहुल कौशिक ने 21 मई 2023 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए अंग्रेजी में लिखा है,”हमारी विरासत और वास्तुकला को प्रतिबिंबित करने के लिए SMC ने क्लॉक टावर (घंटा घर) का पुनर्निर्माण किया है। G20 सम्मेलन के लिए इसका पुनर्निर्माण किया गया। 

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान इस घंटाघर की तस्वीर नेपाल बीरगंज के कांसुलेट जनरल ऑफ इंडिया वेबसाइट पर मिली। तस्वीर को बीरगंज में भारत के दूतावास द्वारा पोस्ट करते हुए नेपाल का बताया गया है। 

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। इस दौरान हमें यह तस्वीर नेपाली वेबसाइट मकालु खबर की एक रिपोर्ट में मिला। रिपोर्ट को 4 नवंबर 2021 को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में तस्वीर को नेपाल के बीरगंज बाजार में स्थित बताया गया है।

सर्च के दौरान हमें वायरल तस्वीर गोविंद फोटोग्राफी नामक एक फेसबुक पेज पर मिली। तस्वीर को 17 मार्च 2023 को शेयर करते हुए नेपाल का बताया गया है।

हमें कई अन्य वेबसाइट पर यह तस्वीर इसी जानकारी के साथ शेयर हुई मिली। 

श्रीनगर के घंटाघर के बारे में जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें द इकोनॉमिक टाइम्स के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 26 जनवरी 2023 को अपलोड हुआ मिला। वीडियो में श्रीनगर के घंटाघर को देखा जा सकता है। 

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच के अंत में दैनिक जागरण, कश्मीर के ब्‍यूरो चीफ नवीन नवाज से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्‍ट को शेयर किया। उन्होंने कन्फर्म करते हुए बताया कि वायरल तस्‍वीर श्रीनगर की नहीं है।

दोनों घंटाघरों की तस्वीर को नीचे देखा जा सकता है।

पड़ताल के अंतिम चरण में हमने वायरल तस्वीर को भ्रामक पोस्ट के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर का अकाउंट अप्रैल 2011 से सक्रिय है। यूजर को 810 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल तस्वीर का भारत से कोई संबंध नहीं है। यह तस्वीर नेपाल के बीरगंज बाजार स्थित क्लॉक टावर की है। जिसे अब भारत का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। 

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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