अंतिम संस्कार पर 18% जीएसटी लगाए जाने का दावा भ्रामक है। जीएसटी एक्ट के मुताबिक शवों का दाह संस्कार, शवों को दफनाया जाना और पार्थिव शरीर का परिवहन जीएसटी के दायरे में ही नहीं है। ऐसे में इस पर 18% जीएसटी को लगाए जाने का दावा मनगढ़ंत और भ्रामक है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक के बाद टैक्स दरों में किए गए बदलाव के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि सरकार ने अब श्मशान सर्विस पर भी 18% जीएसटी लागू कर दिया है। पोस्ट से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि श्मशान में शवों को जलाने या दफनाने पर भी 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना होगा।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक और गुमराह करने वाला पाया। चंडीगढ़ में आयोजित जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक के बाद कई अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला लिया गया और ये फैसले 18 जुलाई से लागू भी हो चुके हैं लेकिन अंतिम संस्कार पर किसी भी तरह का टैक्स लगाए जाने का दावा गलत है। वास्तव में सड़क, पुल, रेलवे, मेट्रो व श्मशान समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ठेका कार्यों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है, न कि अंतिम संस्कार पर। जीएसटी एक्ट के तहत अंतिम संस्कार को न तो वस्तु और न ही सेवा की श्रेणी में रखा गया है, ऐसे में इस पर किसी तरह के टैक्स को लगाए जाने का कोई मतलब ही नहीं बनता है।
फेसबुक यूजर ‘Harjit Singh Chadha’ ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है, ”18% GST on Crematorium Services
यानी श्मशान सर्विस पर 18% gst अब ऊपर भी बिना जीएसटी दिए …?”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस दावे को शेयर किया है।
हाल ही में जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक हुई थी, जिसमें अधिक वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला लिया। ये सभी वस्तुएं 18 जुलाई से प्रभाव में भी आ चुके हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर 18 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ग्राहकों को अब कुछ घरेलू सामग्रियों, होटल और बैंकिंग सेवाओं समेत अन्य पर ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे क्योंकि 18 जुलाई से संसोधित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) प्रभाव में आ रहा है।
जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में कई सामग्रियों पर जीएसटी दरों में इजाफा किया गया है, वहीं कुछ की मौजूदा दरों में बदलाव किया गया है और पहले से जो वस्तुएं इसके दायरे से बाहर थीं, उसे अब इसके दायरे में ला दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क, पुल, रेलवे और मेट्रो व श्मशान समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यों के लिए ठेका कार्यों पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है।
इसी रिपोर्ट को ऐसे साझा किया जा रहा है कि सरकार ने अंतिम संस्कार पर 18 फीसदी जीएसटी को लागू कर दिया है, जो गलत दावा है।
जीएसटी एक्ट की III अनुसूची में उन गतिविधियों और लेन-देन का जिक्र है, जिसे न तो सेवा और न ही वस्तु के तौर पर मान्यता दी गई है। यानी ये सेवाएं और वस्तुएं जीएसटी के दायरे में ही नहीं है। ऐसे में इन पर जीसटी लगाए जाने का कोई औचित्य ही नहीं बनता है।
जीएसटी मामलों के जानकार और सीए सुजीत कुमार ने कहा कि अंतिम संस्कार या शवों के परिवहन तक को स्पष्ट तौर पर जीएसटी एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया है। यह उन कुछ वस्तु और सेवाओं की श्रेणी में है, जो एक्ट के दायरे में नहीं आती हैं।
निष्कर्ष: अंतिम संस्कार पर 18% जीएसटी लगाए जाने का दावा भ्रामक है। जीएसटी एक्ट के मुताबिक शवों का दाह संस्कार, शवों को दफनाया जाना और पार्थिव शरीर का परिवहन जीएसटी के दायरे में ही नहीं है। ऐसे में इस पर 18% जीएसटी को लगाए जाने का दावा मनगढ़ंत और भ्रामक है।
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