Fact Check: चंद्रमा की सतह पर रोवर के पहियों के निशान की तस्वीर वास्तविक नहीं
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर को इसरो ने जारी नहीं किया है। इससे साफ होता है कि यह कि रोवर के पहियों के निशान की असली तस्वीर नहीं है। हां, रोवर के पिछले पहियों पर अशोक स्तंभ का चिह्न बना हुआ है और चंद्रमा पर पहियों के निशान भी हमेशा बने रहेंगे।
- By: Sharad Prakash Asthana
- Published: Aug 24, 2023 at 02:34 PM
- Updated: Aug 24, 2023 at 03:05 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। चंद्रयान-3 मिशन के दौरान लैंडर विक्रम के सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतरने के बाद सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें से एक तस्वीर में इसरो और अशोक स्तंभ के चिह्न को देखा जा सकता है। इसे शेयर कर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि चंद्रयान-3 मिशन के दौरान रोवर के टायरों ने चंद्रमा की सतह पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ का निशाना बनाया है। चंद्रमा की सतह पर आज ये छवि स्थायी रूप से अंकित हो गई है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि इसरो ने अभी इस तरह की कोई तस्वीर जारी नहीं की है। हां, स्पेस एक्सपर्ट के मुताबिक, रोवर के पिछले पहियों पर अशोक स्तंभ और इसरो का चिह्न अंकित है और चांद की सतह पर बने पहियों के निशान नहीं मिटेंगे। सोशल मीडिया पर वायरल दावा भ्रामक है।
क्या है वायरल पोस्ट
फेसबुक यूजर ‘त्यागी कल्चर‘ (आर्काइव लिंक) ने 23 अगस्त 2023 को इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा,
“चंद्रयान 3 द्वारा चंद्रमा की सतह पर बनाया गया भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक
चंद्रमा की सतह पर आज ये छवि स्थायी रूप से अंकित हो गई है.. क्योंकि रोवर के टायरों पर यह छाप है, क्योंकि चंद्रमा पर कोई हवा नहीं है इसलिए ये निशान हमेशा के लिए रहेंगे। जय हिन्द जय भारत“
फेसबुक पर कई अन्य यूजर्स ने भी इस तस्वीर को समान दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले इसरो (ISRO) की वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल्स को स्कैन किया, क्योंकि चंद्रयान-3 मिशन की कोई तस्वीर या वीडियो इसरो जारी करता है। इसरो के एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल को हमने चेक किया। इस पर 24 अगस्त को सुबह 8:31 पर पोस्ट की गई है। इसमें बताया गया है कि चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से बाहर आ गया है और भारत ने चांद पर चहलकदमी की है। हालांकि, पोस्ट में कोई तस्वीर नहीं है।
23 अगस्त को रात को 8:17 पर हैंडल से कुछ तस्वीरें पोस्ट कर जानकारी दी गई कि लैंडर और मॉक्स-इस्ट्रैक बेंगलुरु के बीच कम्युनिकेशन लिंक जुड़ गया है। उतरते समय लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे से ली गई तस्वीरें। ये वायरल तस्वीर से बिल्कुल अलग हैं।
23 अगस्त को ही रात 9:21 पर इसरों के अकाउंट से एक तस्वीर पोस्ट की गई। इसके साथ में लिखा था कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा।
इसरो के आधिकारिक फेसबुक पेज और वेबसाइट पर भी ऐसी कोई तस्वीर जारी नहीं की गई है।
इसके बाद हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इसमें हमें चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (आर्काइव लिंक) के आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी यह तस्वीर मिली। इसे 23 अगस्त की रात को अपलोड किया गया है। इसके साथ में लिखा है कि यह वास्तविक नहीं है। यह एनिमेटेड है।
हमने कीवर्ड से भी गूगल पर इस बारे में सर्च किया। आजतक की वेबसाइट पर 23 अगस्त की छपी खबर के अनुसार, “भारत का मिशन चंद्रयान-3 सफल हो गया है। 23 अगस्त की शाम को लैंडर ने चांद की सतह पर लैंडिंग की। इसके 2 घंटे और 26 मिनट बाद रोवर भी लैंडर से बाहर आ गया है। रोवर छह पहियों वाला रोबोट है, जो चांद की सतह पर चलेगा। इसके पहियों में अशोक स्तंभ की छाप है। रोवर के चलने से चांद पर यह छाप छपती चली जाएगी। इसकी मिशन लाइफ एक लूनर डे मतलब 14 दिन है।”
एएनआई ने 24 अगस्त को स्टोरी छापी है। इसमें लिखा है, “छह पहियों वाले रोवर प्रज्ञान की लैंडर विक्रम से बाहर आते हुए एक तस्वीर इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथेराइजेशन सेंटर के चेयरमैन पवन के गोयनका ने शेयर की है। यह एक नोडल एजेंसी है, जो डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस (DOS) में स्वतंत्र रूप से काम करती है।” खबर में दी गई फोटो वायरल तस्वीर से बिल्कुल अलग है।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने डिफेंस एंड एअरोस्पेस एनालिस्ट गिरीश लिंगन्ना से संपर्क किया। उनका कहना है, “चंद्रयान-3 मिशन की तस्वीरें इसरो जारी करेगा। रोवर के पिछले टायरों पर अशोक स्तंभ का चिह्न बना हुआ है। चांद पर रोवर के पहियों के निशान हमेशा बने रहेंगे। वहां कोई एटमॉस्फेयर यानी हवा नहीं है। इस वजह से निशान नहीं मिटेंगे।“
अंत में हमने भ्रामक दावा करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया। 19 मार्च 2015 को बने इस पेज के करीब 75 हजार फॉलोअर्स हैं।
चंद्रयान-3 मिशन शुरू होने के बाद सोशल मीडिया पर कई फर्जी व भ्रामक फोटो व वीडियो शेयर किए गए हैं। इनको लेकर विश्वास न्यूज न्यूज की पड़ताल को यहां पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर को इसरो ने जारी नहीं किया है। इससे साफ होता है कि यह कि रोवर के पहियों के निशान की असली तस्वीर नहीं है। हां, रोवर के पिछले पहियों पर अशोक स्तंभ का चिह्न बना हुआ है और चंद्रमा पर पहियों के निशान भी हमेशा बने रहेंगे।
- Claim Review : चंद्रयान-3 मिशन के दौरान रोवर के टायरों ने चंद्रमा की सतह पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ का निशाना बनाया है।
- Claimed By : FB User- त्यागी कल्चर
- Fact Check : भ्रामक
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