केंद्र सरकार प्रति कोरोना मरीजों के हिसाब से नगर पालिकाओं को 1.5 लाख रुपये नहीं दे रही। वायरल मैसेज का दावा फर्जी है। एक्सपर्ट्स डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपको कोरोना संक्रमण की आशंका है तो तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए वरना ये जानलेवा भी हो सकता है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि हर एक कोरोना संक्रमित मरीज के लिए केंद्र सरकार महानगरपालिका और नगर पालिकाओं को 1.5 लाख रुपये दे रही है। वायरल मैसेज के मुताबिक, इस वजह से सर्दी-जुकाम के मरीज को भी कोरोना पॉजिटिव बताकर जबर्दस्ती एडमिट करा दिया जा रहा है। वायरल मैसेज में अपील की जा रही है कि लैब में या डॉक्टर के पास टेस्टिंग कराना बंद कर दीजिए। विश्वास न्यूज़ को फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी फैक्ट चेक के लिए ये वायरल मैसेज मिला है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा झूठा निकला है।
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक,ट्विटर, वॉट्सऐप) पर ये मैसेज वायरल हो रहा है। Poonam Mishra नाम की एक फेसबुक यूजर ने भी इस वायरल मैसेज को शेयर किया है। इस वायरल मैसेज में लिखा है, ‘सभी नागरिक कृपया ध्यान दें, केन्द्र सरकार ने हर एक कोरोना पोजिटिव बीमार के लिए डेढ़ लाख रुपया खर्च के तोर पर महानगर पालिका और नगरपालिका को फंडिंग किया है इसलिए महानगर पालिका और नगरपालिका, प्राइवेट डॉक्टर, टेस्टिंग लेब सभी मिलकर पोजिटिव केस ज्यादा से ज्यादा कैसे उपलब्ध हो इसलिए सर्दी, जुकाम, बुखार आदि होने पर उन्हें पोजिटिव बताकर जबरदस्ती एडमिट कर देते हैं और जैसे ही उन्हें डेढ़ लाख का एप्रुवल मील जाता है वे दर्दी को ठीक हो गया कहकर घर वापस भेज देते है *इनका गोरखधंदा बंद करने का एक ही उपाय है डोक्टर्स के पास या टेस्टिंग लेब में जाना बंद कीजिये अगर सर्दी, जुकाम या बुखार हो तो घर पर ही घरेलू उपचार करें।’
इस मैसेज में और भी तमाम बातें लिखीं हैं। यहां इन्हें ज्यों का त्यों पेश किया गया है।
वायरल पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को देखने के लिए यहां क्लिक करें।
विश्वास न्यूज़ ने सबसे पहले जरूरी कीवर्ड्स (कोरोना मरीज, 1,5 लाख रुपये, नगरपालिका आदि…) से इस खबर को इंटरनेट पर सर्च किया। हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इस वायरल मैसेज के दावे की पुष्टि होती हो कि सरकार हर कोरोना मरीज के लिए नगरपालिकाओं को 1.5 लाख रुपये दे रही है। इसके उलट हमें ऐसी रिपोर्ट जरूर मिलीं, जिनमें इस तरह के वायरल मैसेज को गलत बताया गया है। फाइनेंशियल टाइम्स की ऐसी ही एक रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
इस वायरल मैसेज में नगरपालिकाओं को भी हर कोरोना पेशेंट पर 1.5 लाख रुपये देने का दावा किया गया है। इस दावे के संबंध में हमने कानपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के डिप्टी म्युनिसिपिल कमिश्नर स्वर्ण सिंह से बात की। उन्होंने वायरल मैसेज को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि कोरोना मरीजों पर नगर निगमों को केंद्र सरकार से डेढ़ लाख रुपये नहीं दिए जा रहे हैं।
विश्वास न्यूज़ ने इस संबंध में राम सागर मिश्र कम्बाइंड कोविड एल-1 अस्पताल में कंसल्टेंट डॉक्टर सुमित कुमार से संपर्क किया। डॉक्टर सुमित ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों से एक भी पैसे नहीं लिए जा रहे हैं और न ही सरकार की तरफ से प्रति मरीज कोई राशि मिल रही है। डॉक्टर सुमित ने कहा, ‘वायरल मैसेज की यह अपील काफी खतरनाक है कि लोग टेस्ट कराने न जाएं। अगर कोई कोरोना संक्रमित अपनी समस्या को सामान्य फ्लू समझकर टेस्ट कराने नहीं जाता तो वो केवल खुद को ही नहीं, बल्कि अपने परिवार, पड़ोस, समाज सभी को खतरे में डाल रहा है। हमारे यहां कोरोना संक्रमितों की रिकवरी का रेट काफी शानदार है। ऐसे में डरने या मर्ज को छिपाने की जरूरत नहीं है। लोगों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।’
विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल मैसेज को शेयर करने वाली फेसबुक यूजर Poonam Mishra की प्रोफाइल को स्कैन किया। प्रोफाइल से मिली जानकारी के मुताबिक, यूजर एक पार्टी विशेष से ताल्लुक रखती हैं।
निष्कर्ष: केंद्र सरकार प्रति कोरोना मरीजों के हिसाब से नगर पालिकाओं को 1.5 लाख रुपये नहीं दे रही। वायरल मैसेज का दावा फर्जी है। एक्सपर्ट्स डॉक्टरों का कहना है कि अगर आपको कोरोना संक्रमण की आशंका है तो तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए वरना ये जानलेवा भी हो सकता है।
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