Fact Check: श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनाने को लेकर केंद्र सरकार ने नहीं किया कोई एलान, वायरल दावा गलत

केंद्र सरकार की तरफ से श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने का कोई आधिकारिक एलान नहीं किया गया है। हालांकि, जगद्गुरु रामभद्राचार्य, धीरेंद्र शास्त्री और इकबाल अंसारी इसे ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनाने की मांग जरूर कर चुके हैं।    

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। श्रीरामचरित मानस को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनाया जाएगा। यह भी दावा किया गया है कि इसकी निंदा करने वालों पर राष्ट्रद्रोह का केस चलेगा। यूजर्स जिस तरह से इस पोस्ट को शेयर कर रहे हैं, उससे ऐसा लग रहा है जैसे केंद्र सरकार ने ऐसी कोई घोषणा की है।

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल दावा गलत निकला। केंद्र सरकार ने श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनाने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हां, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार में तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने दावा किया था कि भाजपा सरकार आने पर श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बना दिया जाएगा।

क्या है वायरल पोस्ट

फेसबुक यूजर Bhupendra Singh ने 9 नवंबर को पोस्ट शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा,

“ब्रेकिंग न्यूज

श्री रामचरित मानस बनेगा राष्ट्रीय ग्रंथ

निंदा करने वालों पर लगेगा राष्ट्रद्रोह का केस

जय_जय_सिया_राम”

पड़ताल

वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली। अगर केंद्र सरकार ने इस तरह का कोई आधिकारिक एलान किया होता तो मीडिया में रिपोर्ट जरूर आती।  

हालांकि, सर्च में हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 4 नवंबर 2023 को छपी रिपोर्ट मिली। इसमें लिखा है कि बिहार के पश्चिम चंपारण में आयोजित राम कथा के दौरान तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने दावा किया था कि श्रीरामचरितमानस ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनेगा।

27 अक्टूबर 2023 को नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट में लिखा है कि जगदगुरु रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने की मांग की है।

24 मार्च 2023 को एबीपी लाइव की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने रामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने किसी भी धर्म के मुख्य ग्रंथ पर टिप्पणी करने वाले को सजा देने की बात भी की थी।  

इसी तरह से धीरेंद्र शास्त्री भी इस तरह की मांग कर चुके हैं। टीवी 9 की वेबसाइट पर इस रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

हमें सर्च में  श्रीरामचरित मानस  को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित किए जाने वाली मांग वाली रिपोर्ट तो मिली, लेकिन ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा इसे ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने का एलान किया गया हो।

यह दावा पहले भी वायरल हो चुका है, उस समय विश्‍वास न्‍यूज ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री से संपर्क किया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है और न ही ऐसी कोई योजनाहै। उन्होंने वायरल दावे को गलत बताया था।

गलत दावा करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। एक विचारधारा से प्रभावित यूजर के पांच हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: केंद्र सरकार की तरफ से श्रीरामचरित मानस को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने का कोई आधिकारिक एलान नहीं किया गया है। हालांकि, जगद्गुरु रामभद्राचार्य, धीरेंद्र शास्त्री और इकबाल अंसारी इसे ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ बनाने की मांग जरूर कर चुके हैं।    

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