कर्नाटक के स्कूलों में अनिवार्य रूप से कुरान को पढ़ाए जाने का दावा गलत और सांप्रदायिक दुष्प्रचार है। इस दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो कर्नाटक के हसन जिले के एक निजी स्कूल की घटना है, जहां बकरीद के मौके पर ऐसा किया गया था और न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्कूल में अन्य धर्मों के त्योहार को भी समान रूप से मनाया जाता है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया यूजर्स एक वीडियो को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सभी स्कूलों में कुरान पढ़ाया जाना अनिवार्य कर दिया है। विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इनकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत और सांप्रदायिक दुष्प्रचार पाया। वायरल हो रहा वीडियो कर्नाटक के हसन जिले के चनरायापाटना के ज्ञानसागर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल का वीडियो है, जहां बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा था। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कूल में सभी धर्म से संबंधित त्योहारों को मनाया जाता है। सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से कुरान पढ़ाए जाने को लेकर कर्नाटक सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया है।
विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इनकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है, जिसमें लिखा हुआ है, “कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सभी स्कूलों में कुरान पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है. बस के फ्री टिकट, और 200 यूनिट फ्री बिजली के चक्कर में हिन्दुओं ने बीजेपी सरकार के विरोध में मतदान किया था.
अब भुगतो, ⁉️! इसलिए सनातनियों फोकट खाने से बचो, नहीं तो धीरे धीरे मिटा दिये जाओगे… 😡😡”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
न्यूज सर्च में हमें न्यूज9लाइव डॉटकॉम की रिपोर्ट मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है। साथ ही रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर वायरल वीडियो के विजुअल से मेल खाती है। एक जुलाई 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक के हसन जिले में बकरीद के मौके ज्ञानसागर इंटरनेशनल स्कूल में कुरान की आयतों को पढ़े जाने की घटना का कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया।
रिपोर्ट में स्कूल के प्रिंसिपल सुजा फिलिप का भी बयान है। उन्होंने कहा, “हम केवल छात्रों को आध्यात्म से रूबरू कराना चाहते थे। हमारा दूसरा कोई इरादा नहीं था। अगर यह गलत है तो ऐसा दुबारा नहीं होगा। हम यहां सभी त्योहार मनाते हैं। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि किसी भी छात्र को कुरान पढ़ने के लिए नहीं कहा गया। केवल तीन मुस्लिम छात्रों ने ऐसा किया। यह एक धर्मनिरपेक्ष स्कूल है।”
रिपोर्ट में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि स्कूल में प्रत्येक धर्म (हिंदू, मुस्लिम और ईसाई) के त्योहार के दौरान ऐसा किया जाता है। हसन के पुलिस अधीक्षक हरिराम शंकर ने कहा, “छात्र त्योहारों के इतिहास को प्रदर्शित करने के लिए ड्रामा भी करते हैं।”
कई अन्य रिपोर्ट्स में भी इस घटना का समान विवरण समान संदर्भ के साथ मौजूद है।
अब तक की जांच से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो केवल एक स्कूल से संबंधित मामला है और इसका पूरे राज्य से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा आदेश अपने आप में बड़ी खबर होती, लेकिन न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें पूरे राज्य के स्कूलों में कुरान पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने का जिक्र हो।
कर्नाटक के शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर भी हमें ऐसा कोई सर्कुलर नहीं मिला, जिसमें ऐसे किसी आदेश का जिक्र हो।
वायरल वीडियो को लेकर हमने कर्नाटक के स्थानीय पत्रकार से संपर्क किया। कन्नड़ दैनिक होसा दिगंधा के ग्रुप एडिटर विनायक भट ने हमें बताया कि यह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है। साथ ही जिस स्कूल में यह घटना हुई, वह कोई सरकारी स्कूल नहीं था।”
वायरल वीडियो को एक्स पर शेयर करने वाले यूजर को करीब 13 हजार लोग फॉलो करते हैं। इससे पहले भी कर्नाटक सरकार की एक योजना को फेक और सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया था, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां देखा जा सकता है।
निष्कर्ष: कर्नाटक के स्कूलों में अनिवार्य रूप से कुरान को पढ़ाए जाने का दावा गलत और सांप्रदायिक दुष्प्रचार है। इस दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो कर्नाटक के हसन जिले के एक निजी स्कूल की घटना है, जहां बकरीद के मौके पर ऐसा किया गया था और न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्कूल में अन्य धर्मों के त्योहार को भी समान रूप से मनाया जाता है।
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