Fact Check : पानी की बौछार करने के तीन साल पुराने वीडियो को हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर किया जा रहा शेयर

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पानी की बौछार का पहला वीडियो हालिया किसान आंदोलन का नहीं, बल्कि साल 2020 में हुए प्रदर्शन का है, जिसे लोग अब हालिया आंदोलन से जोड़ते हुए शेयर कर रहे हैं। दूसरे वीडियो का भारत से कोई संबंध नहीं है। यह तुर्किये का है। इसका  किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। देश में चल रहे किसान आंदोलन से जोड़ते हुए दो वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। पहले वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस किसानों पर पानी की बौछार कर रही है, लेकिन किसान वहां से नहीं हट रहे हैं। वीडियो को हालिया किसान आंदोलन का बताकर शेयर किया जा रहा है। वहीं,  दूसरे वीडियो में लोहे के ग्रिल  लगे हुए एक ट्रैक्टर को देखा जा सकता है। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि किसानों ने ट्रैक्टर में यह बदलाव  पुलिस बैरिकेड्स  को तोड़ने के लिए किए हैं। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। पानी की बौछार का पहला वीडियो हालिया किसान आंदोलन का नहीं, बल्कि साल 2020 में हुए प्रदर्शन का है, जिसे लोग अब हालिया आंदोलन से जोड़ते हुए शेयर कर रहे हैं। दूसरे वीडियो का भारत से कोई संबंध नहीं है। यह तुर्किये का है। इसका  किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर अपना इंतजार ने 12 फरवरी 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “पावर ऑफ इंडियन किसान।”

पोस्ट के आर्काइव लिंंक को यहां पर देखें।

https://twitter.com/devender18redhu/status/1757293546883985785

फेसबुक यूजर आज की आजाद आवाज’’ ने 12 फरवरी 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “सरकार ने सड़कों पर कीलें लगाई हैं तो किसानों ने अपने ट्रैक्टर भी खासतौर पर मॉडीफाई कराए हैं। पंजाब से सोमवार को जत्थे रवाना होंगे।”

पोस्ट के आर्काइव लिंंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

पहले वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें वायरल वीडियो दानिश शेख नामक एक यूट्यूब चैनल पर मिला। वीडियो को 3 दिसंबर 2020 को अपलोड किया गया था। मौजूद जानकारी के मुताबिक, वीडियो कृषि कानूनों को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन का है। 

पड़ताल के दौरान हमें यह वीडियो इसी जानकारी के साथ कई फेसबुक पेज पर साल 2020 में शेयर हुआ मिला। 

दूसरे वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो को गौर देखा। हमने पाया कि ट्रैक्टर पर एक जगह  Hattat 260 G लिखा हुआ है। फिर जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने इसके बारे में सर्च करना शुरू किया। Hattat 260 G की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट्स मिले। मौजूद जानकारी के मुताबिक, यह एक तुर्किये कंपनी है, जो कि ट्रैक्टर बनाती है। यह कंपनी तुर्किये के ÇERKEZKÖY, TEKİRDAĞ शहर में स्थित है। 

हमने यह भी पाया कि ट्रैक्टर पर एक जगह Çelik Akü लिखा हुआ है, जब हमने इसके बारे में सर्च किया। तो पाया कि यह भी तुर्किये की ही एक कंपनी है, जो कि बैटरी बनाती है।

जांच के दौरान हमें हूबहू यह वीडियो तुर्किये के कई सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी मिले। वीडियो को 1 फरवरी 2024 को शेयर किया गया है। 

अधिक जानकारी के लिए हमने किसान आंदोलन कवर करने वाले दैनिक जागरण के पत्रकार बलजीत सिंह से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। पहले वीडियो के बारे में उन्होंने हमें बताया कि यह वीडियो करीब 3 साल पुराना है और पहले हुए किसान आंदोलन से जुड़ा हुआ है। दूसरे वीडियो को लेकर उनका कहना है कि यह वीडियो किसान आंदोलन का नहीं है। यहां बॉर्डर पर अभी तक इस तरह का कोई ट्रैक्टर देखने को नहीं मिला है।

हमने Hattat 260 G को मेल किया हुआ है। रिप्लाई आने पर रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा। 

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि पानी की बौछार का पहला वीडियो हालिया किसान आंदोलन का नहीं, बल्कि साल 2020 में हुए प्रदर्शन का है, जिसे लोग अब हालिया आंदोलन से जोड़ते हुए शेयर कर रहे हैं। दूसरे वीडियो का भारत से कोई संबंध नहीं है। यह तुर्किये का है। इसका  किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है।

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