Fact Check: फार्म चिकन से ब्लैक फंगस फैलने का दावा झूठा, मॉर्फ्ड स्क्रीनशॉट किया जा रहा वायरल

विश्वास न्यूज की पड़ताल में ब्लैक फंगस और चिकन को लेकर वायरल किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है और ये इंसानों या जानवरो के संपर्क से नहीं फैलता। पंजाब सरकार ने ब्लैक फंगस और पोल्ट्री फॉर्म को लेकर ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। चिकन खाने से ब्लैक फंगस होने का दावा झूठा है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया पर कथित तौर पर एनडीटीवी की खबर का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि फार्म चिकन खाने से ब्लैक फंगस फैल रहा है और पंजाब में सरकार ने पोल्ट्री फॉर्म्स को संक्रमित एरिया घोषित कर दिया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा गलत साबित हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है और ये इंसानों या जानवरों के संपर्क से नहीं फैलता। पंजाब सरकार ने ब्लैक फंगस और पोल्ट्री फॉर्म को लेकर ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। चिकन खाने से ब्लैक फंगस होने का दावा झूठा है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Sayed Samee ने 25 मई 2021 को कथित तौर पर एनडीटीवी की एक रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है। रिपोर्ट में अंग्रेजी में लिखा है कि पंजाब सरकार ने पोल्ट्री फॉर्म को संक्रमित एरिया घोषित कर दिया है। इसके साथ स्क्रीनशॉट पर अलग से लिखा है कि ब्लैक फंगस फार्म चिकन की वजह से फैल रहा है। अपील भी की गई है कि कुछ दिनों तक फार्म चिकन न खाएं जाएं।

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पड़ताल

भारत में कोरोना वायरस की नई लहर के बीच कई राज्यों में ब्लैक फंगस बीमारी के भी मामले देखने को मिल रहे हैं। लाइव मिंट की 20 मई की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया था कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमायकोसिस को महामारी के रूप में नोटिफाइड करें। इंडियन एक्सप्रेस की 20 मई 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के अन्य कई राज्यों की तरह पंजाब में भी ब्लैक फंगस को महामारी के रूप में नोटिफाई कर लिया गया है।

ब्लैक फंगस के बारे में वायरल दावे की पड़ताल से पहले हमने यह जानना चाहा कि आखिर ब्लैक फंगस क्या है और कैसे फैलता है। हमें अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की आधिकारिक वेबसाइट पर इसके बारे में जानकारी मिली। इसके मुताबिक, ‘म्यूकोरमायकोसिस (जिसे पहले जाइगोमाइकोसिस कहा जाता था) एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल संक्रमण है जो म्यूकोरमायसेट्स नामक मोल्ड के समूह के कारण होता है।’ यहीं बताया गया है कि म्यूकोरमायकोसिस संक्रामक बीमारी नहीं है और यह लोगों के बीच या लोगों और जानवरों के बीच नहीं फैल सकता है। इस जानकारी को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

ऑनलाइन पड़ताल के दौरान हमें हमारे सहयोगी दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 25 मई 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सेंटर ऑफ सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ के चेयरपर्सन डॉ. राजीव दासगुप्ता से ब्लैक फंगस को लेकर एक लंबी बातचीत की गई है। डॉक्टर राजीव दासगुप्ता के साथ ब्लैक फंगस, इसके कारण और बचाव के उपायों के ऊपर ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने जागरण डायलॉग्स सीरीज के तहत किया है। ब्लैक फंगस क्या है, सवाल के जवाब में डॉक्टर राजीव दासगुप्ता ने इस रिपोर्ट में बताया है, ‘म्यूकोर-माइकोसिस को ही ब्लैक फंगस कहा जाता है, जो दुर्लभ है लेकिन गंभीर प्रकार का फंगल संक्रमण है। ये आपकी त्वचा, सिर, गर्दन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट और फेफड़ों को प्रभावित करता है। मैं यहां इस बात का ख़ासतौर पर ज़िक्र करना चाहूंगा कि ब्लैक फंगस एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता लेकिन ये अस्पताल से होने वाले संक्रमण की तरह AC और लिफ्ट के ज़रिए फैल सकता है।’ इस पूरी बातचीत को यहां नीचे देखा और सुना जा सकता है।

दैनिक जागरण वेबसाइट पर 25 मई की ही एक दूसरी रिपोर्ट में नई दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (एम्‍स) के निदेशक डॉक्‍टर रणदीप गुलेरिया के हवाले से ब्लैक फंगस से जुड़ी जानकारियां दी गई हैं। इस रिपोर्ट में डॉक्टर गुलेरिया बता रहे हैं कि ब्‍लैक फंगस एक फंगल इन्फेक्शन है जो कि किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से नहीं फैलता है। उनके मुताबिक, इसकी सबसे बड़ी वजहों में से एक मरीज की प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है। ऐसे लोगों को और वो भी कोरोना से संक्रमित मरीजों को ये बीमारी होने की आशंका होती है। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए यह जानना चाहा कि क्या पंजाब सरकार ने ब्लैक फंगस और फार्म चिकन को लेकर कोई आदेश जारी किया है या नहीं। हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस वायरल दावे की पुष्टि करती हो कि ब्लैक फंगस के लिए पंजाब में चिकन फार्म को भी संक्रमित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।

हमने कीवर्ड्स सर्च से यह भी जानना चाहा कि स्क्रीनशॉट में दिख रही एनडीटीवी की खबर के पीछे की कहानी क्या है। गूगल सर्च करने पर हमें ठीक वही लाइन और तस्वीर एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में मिली, जो वायरल स्क्रीनशॉट में दिख रही है। एनडीटीवी की वेबसाइट पर यह रिपोर्ट 8 मई 2021 को प्रकाशित की गई है और इसमें लुधियाना में पोल्ट्री फार्म को संक्रमित क्षेत्र घोषित करने का जिक्र है। हालांकि, इसके पीछे की वजह ब्लैक फंगस नहीं, बल्कि बर्ड फ्लू है। रिपोर्ट के मुताबिक, लुधियाना के एक पोल्ट्री फार्म के सैंपल बर्ड फ्लू के टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद फैसला हुआ। लुधियाना की इसी खबर के स्क्रीनशॉट को मॉर्फ़्ड कर ब्लैक फंगस से जोड़ वायरल किया जा रहा है। एनडीटीवी की इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को बिहार वेटरनरी कॉलेज के डीन और साइंटिस्ट डॉक्टर जेके प्रसाद संग शेयर किया। डॉक्टर प्रसाद ने हमें बताया कि ऐसा कोई लिटरेचर या वैज्ञानिक साक्ष्य अबतक नहीं मिला है, जो इस बात की पुष्टि करे कि फार्म चिकन खाने से ब्लैक फंगस होता है। उन्होंने बताया कि भारतीयों में आम तौर पर चिकन को अच्छे से पकाकर खाने की आदत है। अच्छे तरीके से पका हुआ चिकन पूरी तरह सुरक्षित है।

विश्वास न्यूज ने वायरल क्लेम के संबंध में लुधियाना की सिविल सर्जन डॉक्टर किरण अहलूवालिया से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने ब्लैक फंगस और चिकन फार्म को लेकर ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि वायरल दावा झूठा है।

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Sayed Samee की प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल फरवरी 2018 में बनाई गई है और यूजर हैदराबाद के रहने वाले हैं। फैक्ट चेक किए जाने तक इस प्रोफाइल के 2330 फॉलोअर्स थे।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में ब्लैक फंगस और चिकन को लेकर वायरल किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है और ये इंसानों या जानवरो के संपर्क से नहीं फैलता। पंजाब सरकार ने ब्लैक फंगस और पोल्ट्री फॉर्म को लेकर ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है। चिकन खाने से ब्लैक फंगस होने का दावा झूठा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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