Fact Check: BJP को पाकिस्तानी कंपनी से चंदा मिलने दावा FAKE, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली HUB POWER भारतीय कंपनी है
यह दावा गलत और चुनावी दुष्प्रचार है कि पाकिस्तानी कंपनी "हब पावर कंपनी" ने पुलवामा हमले के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को चंदा दिया। चुनाव आयोग की तरफ से जारी इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरण में शामिल कंपनी "हब पावर कंपनी" भारतीय कंपनी है। दूसरा, इलेक्टोरल बॉन्ड के नियमों के मुताबिक, कोई विदेशी कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड की खरादीर नहीं कर सकती है, इसलिए किसी पाकिस्तानी कंपनी के बॉन्ड के खरीदने का दावा गलत और तथ्यों पर आधारित नहीं है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Mar 18, 2024 at 07:10 PM
- Updated: Mar 22, 2024 at 01:32 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। चुनाव आयोग की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण जारी किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली कंपनियों में एक पाकिस्तानी कंपनी भी शुमार है, जिसने कथित तौर पर पुलवामा हमले के दो महीने बाद पार्टी को करोड़ों रुपये का चंदा दिया।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत और चुनावी दुष्प्रचार पाया। चुनाव आयोग की तरफ से जारी विवरण के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली कंपनी का नाम “हब पावर कंपनी” है, जिसे “हबको” यानी “द हब पावर कंपनी लिमिटेड” समझ कर शेयर किया जा रहा है, जो पाकिस्तानी कंपनी है। जबकि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी “हब पावर कंपनी” भारतीय कंपनी है, जिसका जीएसटी रजिस्ट्रेशन, पंजीकरण के दिन ही रद्द कर दिया गया था।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को 2018 में अधिसूचित किया था और इसके नियमों के मुताबिक, भारत का नागरिक या भारत में स्थापित कोई कंपनी ही इस बॉन्ड को खरीदने की योग्यता रखती है। इसलिए किसी पाकिस्तानी कंपनी के इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने का दावा तथ्यों पर आधारित नहीं है।
क्या है वायरल?
सोशल मीडिया यूजर ‘piyush.z.z’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “पाकिस्तानी हब पावर कंपनी ने पुलवामा के 2 महीने बाद भाजपा को करोड़ों का चंदा दिया।”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। एक्स पर कई यूजर ने इस पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है।
पड़ताल
इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण चुनाव आयोग को जमा कराने का आदेश दिया था, जिसे एसबीआई की तरफ से मिलने के बाद आयोग ने सार्वजनिक कर दिया। इस विवरण को दो भागों में सौंपा गया था, जिसमें पार्ट 1 में तारीख के अनुसार, कंपनियों की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदे जाने का विवरण शामिल है।
इसी सूची में हमें हब पावर कंपनी (HUB POWER COMPANY) का नाम मिला, जिसने 18 अप्रैल 2019 को अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी की है।
इंडिया मार्ट की वेबसाइट (आर्काइव लिंक)पर इस नाम से सर्च करने पर इस कंपनी का विवरण मिला। जानकारी के मुताबिक, यह दिल्ली स्थित कंपनी है, जिसका जीएसटी नंबर 07BWNPM0985J1ZX है।
इस जीएसटी नंबर को हमने https://services.gst.gov.in/ पर सर्च (आर्काइव लिंक)किया, जो भारत सरकार की वेबसाइट है। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह दिल्ली स्थित कंपनी है, जिसका नाम “HUB POWER COMPANY” है। यह कंपनी 12.11.2018 को पंजीकृत हुई थी, लेकिन उसी दिन इसका पंजीकरण रद्द हो गया था।
कंपनी का पता पूर्वी दिल्ली स्थित गीता कॉलोनी है और इसके अन्य ऑफिस का पता भी दिल्ली ही है।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि जिस कंपनी को पाकिस्तान की कंपनी बताया जा रहा है, वह पाकिस्तानी नहीं है। रिपोर्ट्स (आर्काइव लिंक)के मुताबिक, एसबीआई ने बॉन्ड नंबर संबंधी विवरण जारी नहीं किया है, जिसकी वजह से यह पता लगाना मुमकिन नहीं है कि किस व्यक्ति या किस कंपनी ने किस दल को चंदा दिया।
इसलिए पोस्ट में किया गया यह दावा भी गलत है कि हब पावर कंपनी (जो भारतीय कंपनी है) ने बीजेपी को चंदा दिया। मौजूदा विवरण से बस इस बात की जानकारी मिलती है कि किस व्यक्ति या कंपनी ने कितनी रकम का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा, न कि उस बॉन्ड को किस पार्टी को दिया गया।
इसके बाद हमने हबको यानी HUBCO को लेकर सर्च किया। सर्च में मिली जानकारी (आर्काइव लिंक) के मुताबिक, हबको पाकिस्तान की बिजली उत्पादक कंपनी है।
हबको ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल (आर्काइव लिंक) से इस मामले में स्पष्टीकरण भी जारी किया है, जिसके मुताबिक, भारतीय कंपनी “हब पावर कंपनी” को पाकिस्तानी कंपनी “HUBCO” समझकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने जनवरी 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अधिसूचित (आर्काइव लिंक)किया था, जिसके तहत एसबीआई की चिह्नित शाखाओं से 1,000, 10,000, 1,00,00, 10,00,000 और 1,00,00,000 रुपये के बॉन्ड की खरीदारी की जा सकती थी।
नियमों के मुताबिक, “भारत का कोई नागरिक या भारत में स्थापित कोई कंपनी ही इस बॉन्ड को खरीद सकती है।”
यानी कोई विदेशी कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम (अब रद्द) के तहत बॉन्ड की खरीदारी ही नहीं कर सकता था। वायरल दावे को लेकर हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो चीफ आशुतोष झा से संपर्क किया। उन्होंने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “नियमों के मुताबिक, कोई विदेशी कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी कर ही नहीं सकती थी।”
वायरल दावे को शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल विचारधारा विशेष से प्रेरित है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड संबंधी विवरण को देखा जा सकता है। चुनाव से संबंधित अन्य भ्रामक व फेक दावों की जांच करती फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज के चुनावी सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: यह दावा गलत और चुनावी दुष्प्रचार है कि पाकिस्तानी कंपनी “हब पावर कंपनी” ने पुलवामा हमले के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को चंदा दिया। चुनाव आयोग की तरफ से जारी इलेक्टोरल बॉन्ड के विवरण में शामिल कंपनी “हब पावर कंपनी” भारतीय कंपनी है। दूसरा, इलेक्टोरल बॉन्ड के नियमों के मुताबिक, कोई विदेशी कंपनी इलेक्टोरल बॉन्ड की खरादीर नहीं कर सकती है, इसलिए किसी पाकिस्तानी कंपनी के बॉन्ड के खरीदने का दावा गलत और तथ्यों पर आधारित नहीं है।
चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी में केवल इस बात का पता चलता है कि किस कंपनी या व्यक्ति ने कितने रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा और किस दल को कुल कितने रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड मिला। आयोग की तरफ से दी गई जानकारी से यह पता नहीं चलता है कि जिस व्यक्ति या कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदा, वह किस दल को दिया गया।
पाकिस्तान की बिजली उत्पादक कंपनी का नाम “The Hub Power Company Limited” यानी “द हब पावर कंपनी लिमिटेड” (HUBCO) है, जिसे भारत की कंपनी “हब पावर कंपनी” समझकर गलत जानकारी शेयर की जा रही है।
- Claim Review : पाकिस्तानी कंपनी हब पावर ने पुलवामा हमले के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को दिया चंदा।
- Claimed By : Insta User-piyush.z.z
- Fact Check : झूठ
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