विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर एक दावा वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए भी कोवैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा पाया गया है। इस फैक्ट चेक को किए जाने तक ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 2 से 18 साल तक के आयुवर्ग पर कोवैक्सीन के फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल तक की ही अनुमति दी है। भारत में अभी कोविड-19 वैक्सीन 18 साल से अधिक उम्र के वयस्कों को ही दी जा रही हैं।
फेसबुक यूजर Trilok Meena ने 9 मई 2021 को किए गए एक पोस्ट में लिखा है, ‘शानदार खबर, भारत बायोटेक की (मेड इन इंडिया) कोवैक्सीन को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मंजूरी मिल गई है।’
इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इंटरनेट पर ओपन सर्च के माध्यम से यह जानना चाहा कि क्या भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर ऐसी कोई खबर आई है या नहीं। कोविड-19 और इसके वैक्सीन से जुड़ी खबरें फिलहाल की सबसे चर्चित खबरें हैं। ऐसे में अगर किसी वैक्सीन के लिए कोई ऐसा बड़ा अपडेट आता है, तो प्रामाणिक मीडिया हाउस इसकी रिपोर्ट जरूर करते। हमें इंटरनेट पर ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस दावे की पुष्टि करती हो कि कोवैक्सीन को 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल के लिए मंजूर कर लिया गया है।
इसके उलट हमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर 13 मई 2021 को किया गया एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में जानकारी दी गई है कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 2-18 आयुवर्ग पर कोवैक्सीन के फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। इस ट्वीट के साथ प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) पर जारी एक विज्ञप्ति का लिंक भी दिया गया है। इसके मुताबिक, कोवैक्सीन की निर्माता कंपनी भारत बायोटेक लिमिटेड को यह अनुमति 12 मई 2021 को दी गई है। कंपनी 525 स्वस्थ वॉलन्टियर्स पर इस ट्रायल को अंजाम देगी। इस ट्वीट को यहां नीचे देखा जा सकता है।
यानी कोवैक्सीन को 12 से अधिक उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी गई है, बल्कि 2-18 आयुवर्ग पर ट्रायल की अनुमति है। यह अनुमति भी अभी 12 मई 2021 को दी गई है, जबकि इससे जुड़ा दावा उपरोक्त दावा पहले से वायरल हो रहा है।
विश्वास न्यूज ने इस पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट को खंगाला। यहां कोविड-19 वैक्सीन के आम तौर पर पूछे जाने वाले सवालों (FAQs) वाले लिस्टिंग पेज पर हमें यही जानकारी मिली कि 1 मई 2021 से 18 साल से अधिक उम्र के ही लोगों को कोविड-19 वैक्सीन दी जा रही हैं। इसे यहां नीचे देखा जा सकता है।
आपको बता दें कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बनाया है। हमें भारत बायोटेक की वेबसाइट पर कोवैक्सीन की एक फैक्ट शीट मिली। इस फैक्ट शीट में साफ-साफ लिखा गया है कि अभी 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर ही इसके आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली हुई है। इस जानकारी तो यहां नीचे देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे के संबंध में कोविड-19 को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय हेल्पलाइन +91-11-23978046 पर संपर्क किया। हमें वहां से भी जानकारी मिली कि अभी बच्चों पर कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर कोई आदेश नहीं आया है। राष्ट्रीय हेल्पलाइन से सलाह दी गई कि कोविड-19 या वैक्सीन से जुड़ी कोई भी जानकारी के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट और हेल्पलाइन पर ही भरोसा करें।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Trilok Meena की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर बरान, राजस्थान के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए कोवैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी मिलने का दावा झूठा पाया गया है। इस फैक्ट चेक को किए जाने तक ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 2 से 18 साल तक के आयुवर्ग पर कोवैक्सीन के फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल तक की ही अनुमति दी है। भारत में अभी कोविड-19 वैक्सीन 18 साल से अधिक उम्र के वयस्कों को ही दी जा रही हैं।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए, क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का इलाज खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
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