विश्वास न्यूज की पड़ताल में बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तस्वीर को लेकर किया जा रहा वायरल दावा झूठा पाया गया है। ब्रांद्रा-वर्ली सी लिंक जुलाई 2009 में ही आम लोगों के लिए खोल दिया गया था और इसका निर्माण यूपीए शासन काल में पूरा हो गया था।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक ब्रिज की एक तस्वीर के साथ किए गए एक कथित ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया जा रहा है। वायरल पोस्ट में यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि मुंबई का यह ब्रिज पीएम मोदी के कार्यकाल का है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह वायरल दावा झूठा पाया गया है। ब्रांद्रा-वर्ली सी लिंक जुलाई 2009 में ही आम लोगों के लिए खोल दिया गया था और इसका निर्माण यूपीए शासन काल में पूरा हो गया था।
फेसबुक यूजर Balram Singh Chauhan ने वायरल स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा है, ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ स्क्रीनशॉट पर लिखा है, ‘यह कोई अमेरिका फ्रांस लन्दन का ब्रीज नहीं है यह बांद्रा के मुंबई का ब्रीज है, वाह मोदी जी।’ इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
इसी तरह फेसबुक यूजर चंदन तिवारी ने भी 17 जुलाई 2021 को वायरल स्क्रीनशॉट शेयर किया है। यह किसी @REAL_HINDUVT ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट लग रहा है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल स्क्रीनशॉट में दिख रहे ट्विटर हैंडल @REAL_HINDUVT को सर्च किया। ‘सत्य सनातन’ नाम का यह हैंडल हमें ट्विटर पर मिला। इस हैंडल से 16 जुलाई 2021 को वायरल ट्वीट किया गया है। इस ट्वीट के रिप्लाई में कुछ ट्विटर यूजर तस्वीर में दिख रहे ब्रिज को बांद्रा-वर्ली सी लिंक बता रहे हैं। साथ ही यह भी दावा कर रहे हैं कि यह सी लिंक यूपीए शासन काल में तैयार हो गया था। इसे यहां नीचे देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने ट्वीट में शेयर की गई तस्वीर पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। हमें The Himalyan Club नाम के ट्विटर हैंडल पर 2 जुलाई 2021 को किए गए ट्वीट में यही वायरल तस्वीर मिली। इस ट्वीट में भी इसे बांद्रा-वर्ली सी लिंक बताया गया है।
इसी तरह कांग्रेस के स्टूडेंट विंग NSUI के नेशनल सेक्रेटरी रोशन लाल बिट्टू ने भी वायरल तस्वीर को बांद्रा-वर्ली सी लिंक बताते हुए इसे कांग्रेस का विकास बताया है।
इसी तरह Amazing India नाम के फेसबुक पेज पर भी इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए इसे बांद्रा-वर्ली सी लिंक ही बताया गया है।
हमें गेट्टी इमेज की वेबसाइट पर दूसरे एंगल से ली गईं बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तस्वीरें भी मिलीं। इनमें से एक तस्वीर को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इन सारी जानकारी के बाद बांद्रा-वर्ली सी लिंक को लेकर इंटरनेट पर और पड़ताल की। हमने यह जानना चाहा कि आखिर यह ब्रिज कब तैयार हुआ और यह कब आम लोगों के लिए खोला गया। जरूरी कीवर्ड्स से इंटरनेट पर सर्च करने पर हमें 30 जून 2009 को टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने बांद्रा-वर्ली सी लिंक का उद्घाटन किया। इस सी लिंक को राजीव गांधी सी लिंक नाम दिया गया। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
इसी तरह हमें DNA की वेबसाइट पर 21 सितंबर 2019 की एक रिपोर्ट में बांद्रा-वर्ली सी लिंक से जुड़ी जानकारी मिली। इसमें बताया गया है कि इसकी आधारशिला 1999 में शिवसेना के तत्कालीन चीफ बाल ठाकरे ने रखी थी। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
mumbaicity.gov.in पर मौजूद एक रिपोर्ट में मुंबई के दर्शनीय स्थलों की जानकारी दी गई है। इसमें राजीव गांधी सी लिंक (बांद्रा-वर्ली सी लिंक) के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि इसका निर्माण महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (MSRDC) ने हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी से कराया था।
विश्वास न्यूज की अबतक की पड़ताल से यह बात साबित हो चुकी थी कि यह ब्रिज यूपीए सरकार के दौरान ही बन गया था। इसके निर्माण से पीएम मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। हमने इस वायरल दावे को MSRDC के पीआरओ तुषार अहिरे के संग शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि बांद्रा-वर्ली सी लिंक को दक्षिणी हिस्से को ट्रैफिक के लिए एक जुलाई 2009 और उत्तरी हिस्से को 24 मार्च 2010 को खोला गया था।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Balram Singh Chauhan की प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल मार्च 2016 में बनाई गई है और यूजर मैनपुरी के रहने वाले हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में बांद्रा-वर्ली सी लिंक की तस्वीर को लेकर किया जा रहा वायरल दावा झूठा पाया गया है। ब्रांद्रा-वर्ली सी लिंक जुलाई 2009 में ही आम लोगों के लिए खोल दिया गया था और इसका निर्माण यूपीए शासन काल में पूरा हो गया था।
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