सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो करीब पांच साल पुराना है। उस समय प्रदर्शनकारियों ने डी—वोटर के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया था न कि अलग देश की मांग को लेकर। इसका हाल—फिलहाल से भी कोई संबंध नहीं है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर 1.27 सेकंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कुछ मुस्लिम रैली निकाल रहे हैं। इसके बाद पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों को उन पर लाठीचार्ज करते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स वीडियो को शेयर करके दावा कर रहे हैं कि असम के मुसलमानों ने अलग देश की मांग करते हुए जुलूस निकाला। इसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में दावे को भ्रामक पाया। दरअसल, वायरल वीडियो जुलाई 2017 का है। प्रदर्शकारी अलग देश नहीं, बल्कि ‘डी वोटर’के विरोध में प्रदर्शन रहे थे।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक पेज ‘भगवा देशभक्त‘ (आर्काइव) पर इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा गया,
आसाम में मुसलमानों ने अलग देश बनाने के लिए जुलूस निकाला, फिर उनका हाल देखिए…
पड़ताल
वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले गूगल के InVID टूल से कीफ्रेम निकालकर उसे गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इसमें हमें फेसबुक पेज ‘Dungarpur हमारा डूँगरपुर news’ पर 3 जुलाई 2017 को अपलोड किया गया वायरल वीडियो मिला। मतलब यह वीडियो हाल—फिलहाल का तो नहीं है। इसमें लिखा है, असम ओर बंगाल में रिफ्यूजी मुसलमान को आजादी चाहिए थी उसके बाद हमारे जवानों ने उनकी कैसे कुटाई की देखो
इसके बारे में और सर्च करने पर हमें 2 जुलाई 2017 को newsclick पर प्रकाशित खबर मिली। इसमें वायरल वीडियो की एक तस्वीर को देखा जा सकता है। खबर के मुताबिक, मामला असम के गोलपारा जिले के खरबोजा गांव का हैं। वहां प्रदर्शनकारी डी (संदिग्ध) वोटर्स के मामले में प्रदर्शन कर रहे थे। डी वोटर के मामले को लेकर वे नेशनल हाईवे की ओर मार्च कर रहे थे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विदेशी न्यायाधिकरण डी वोटर्स की लिस्ट की समीक्षा कर रहे हैं।
TIMES OF DHUBRI यूट्यूब चैनल पर भी वायरल वीडियो को देखा जा सकता है। इसे 2 जुलाई 2017 को अपलोड किया गया है। इसके डिस्क्रिप्शन में लिखा है कि डी—वोटर के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया। मामला असम के गोलपारा जिले का है।
इसकी पुष्टि के लिए हमने असम के स्थानीय पत्रकार किशोर गोस्वामी से बात की। उनका कहना है, ‘यह मामला गोलपारा में नरनारायण सेतु आउटपोस्ट के सामने 2017 को हुआ था। यह तब से सांप्रदायिक रंग देकर वायरल होता आ रहा है। प्रदर्शन डी—वोटर और एनआरसी विवाद को लेकर था। इसका अलग देश और बांग्लादेशियों से कोई संबंध नहीं है। वायरल दावा झूठा है।’
इससे पहले भी एक अन्य वीडियो को वायरल कर मिलता—जुलता दावा किया गया था। विश्वास न्यूज की पूरी पड़ताल को यहां पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो करीब पांच साल पुराना है। उस समय प्रदर्शनकारियों ने डी—वोटर के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया था न कि अलग देश की मांग को लेकर। इसका हाल—फिलहाल से भी कोई संबंध नहीं है।
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